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भारत के लिए 2017-18 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमानों की रिपोर्ट जारी की गई

देश-विदेश

केन्‍द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री राजेश भूषण ने आज यहां 2017-18 के लिए भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (एनएचए) अनुमानों के निष्कर्ष जारी किए।

यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (एनएचएसआरसी) द्वारा तैयार की गई लगातार पांचवीं एनएचए रिपोर्ट है, जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 2014 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा तकनीकी सचिवालय (एनएचएटीएस) के रूप में नामित किया गया है। एनएचए अनुमान विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा प्रदान किए गए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत स्‍वास्‍थ्‍य लेखा प्रणाली 2011 के आधार पर एक लेखा ढांचे का उपयोग करके तैयार किए जाते हैं।

2017-18 के एनएचए का अनुमान न केवल स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च में वृद्धि की प्रवृत्ति को दर्शाता है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में बढ़ते विश्वास को भी दर्शाता है। एनएचए 2017-18 के वर्तमान अनुमान के साथ, भारत में 2013-14 से पांच वर्षों के लिए सरकारी और निजी दोनों स्रोतों के लिए एनएचए अनुमानों पर एक सतत समय श्रृंखला है। ये अनुमान न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुलना-योग्‍य हैं, बल्कि नीति निर्माताओं को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 में परिकल्पित सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में प्रगति की निगरानी करने में सक्षम बनाते हैं।

श्री राजेश भूषण ने जोर देकर कहा कि 2017-18 के लिए एनएचए के अनुमान स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद में सरकारी स्वास्थ्य व्यय के हिस्से में वृद्धि हुई है। यह 2013-14 में 1.15 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 में 1.35 प्रतिशत हो गया है। इसके अतिरिक्त, कुल स्वास्थ्य व्यय में सरकारी स्वास्थ्य व्यय का हिस्सा भी समय के साथ बढ़ा है। सरकारी खर्च का हिस्सा 2017-18 में 40.8 प्रतिशत था, जो 2013-14 के 28.6 प्रतिशत से काफी अधिक है।

अनुमान के निष्कर्ष यह भी दर्शाते हैं कि कुल सरकारी व्यय के हिस्से के रूप में सरकार का स्वास्थ्य व्यय 2013-14 और 2017-18 के बीच 3.78 प्रतिशत से बढ़कर 5.12 प्रतिशत हो गया है, जो स्पष्ट रूप से देश में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए सरकार की प्राथमिकता को दर्शाता है।

प्रति व्यक्ति के रूप में, सरकारी स्वास्थ्य व्यय 2013-14 से 2017-18 के बीच 1,042 रुपये से बढ़कर 1,753 रुपये हो गया है। सरकार के स्वास्थ्य क्षेत्र में वृद्धि की प्रकृति भी सही दिशा में बढ़ रही है, क्योंकि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा पर अधिक जोर दिया गया है। वर्तमान सरकारी स्वास्थ्य व्यय में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा का हिस्सा 2013-14 के 51.1 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 में 54.7 प्रतिशत हो गया है।

प्राथमिक तथा माध्यमिक स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा का वर्तमान सरकारी स्वास्थ्य व्यय में 80 प्रतिशत से ज्‍यादा हिस्‍सा है। सरकारी स्वास्थ्य व्यय के मामले में प्राथमिक और माध्यमिक स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा के हिस्से में वृद्धि हुई है। निजी क्षेत्र के मामले में, तृतीयक देखभाल का हिस्सा बढ़ा है, लेकिन प्राथमिक तथा माध्यमिक स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा में गिरावट की प्रवृत्ति दिखाई देती है। 2016-17 और 2017-18 के बीच प्राथमिक और माध्यमिक स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा में सरकार का हिस्सा 75 प्रतिशत से बढ़कर 86 प्रतिशत हो गया है। निजी क्षेत्र में प्राथमिक और माध्यमिक स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा का हिस्सा 84 प्रतिशत से घटकर 74 प्रतिशत हो गया है।

स्वास्थ्य पर सामाजिक सुरक्षा व्यय का हिस्सा, जिसमें सामाजिक स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम, सरकार द्वारा वित्तपोषित स्वास्थ्य बीमा योजनाएं और सरकारी कर्मचारियों को की गई चिकित्सा प्रतिपूर्ति शामिल है, में वृद्धि हुई है। कुल स्वास्थ्य व्यय के प्रतिशत के रूप में, वृद्धि 2013-14 में 6 प्रतिशत से 2017-18 में लगभग 9 प्रतिशत हो गई है। अनुमान के निष्कर्ष यह भी दर्शाते हैं कि भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता को दर्शाते हुए स्वास्थ्य के लिए विदेशी सहायता 0.5 प्रतिशत तक कम हो गई है।

जन स्वास्थ्य सुविधा की दिशा में सुधार के लिए सरकार के प्रयास इस बात से भी प्रमाणित होते हैं कि कुल स्वास्थ्य व्यय का हिस्‍से के रूप में आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (ओओपीई) 2013-14 के 64.2 प्रतिशत से कम होकर 2017-18 में 48.8 प्रतिशत हो गया है। प्रति व्यक्ति ओओपीई के मामले में भी 2013-14 से 2017-18 के बीच 2,336 रुपये से घटकर 2,097 रुपये हो गया है। इस गिरावट का एक कारण सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में सेवाओं के उपयोग में वृद्धि और सेवाओं की लागत में कमी है। अगर हम एनएचए 2014-15 और 2017-18 की तुलना करें तो सरकारी अस्पतालों के लिए ओओपीई में 50 प्रतिशत की कमी आई है।

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