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कोविड-19 के बाद पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत को आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने में अग्रणी भूमिका निभाएगा: डॉ जितेंद्र सिंह

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि कोविड युग की समाप्ति के बाद पूर्वोत्तर क्षेत्र अपनी विशाल प्राकृतिक और मानव कौशल संसाधनों की सहायता से भारत को एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने के लिए नेतृत्व प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के सफल प्रबंधन के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र की महिला शक्ति (मातृशक्ति) आर्थिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में बढ़त प्राप्त कर रही हैं। उन्होंने कहा कि महामारी के खिलाफ लड़ाई में महिलाओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और पूर्वोत्तर क्षेत्र को कोरोना प्रबंधन के मॉडल के रूप में उभरने में सहायता प्रदान की है। वे एक वेबिनार के माध्यम से, पूर्वोत्तर क्षेत्र सामुदायिक संसाधन और प्रबंधन कार्यक्रम (एनईआरसीओआरएमपी) से जुड़े विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के साथ बातचीत कर रहे थे। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि श्री नरेंद्र मोदी सरकार के अंतर्गत, पिछले पांच वर्षों में पूर्वोत्त क्षेत्र विकास के मॉडल के रूप में उभर कर सामने आया है और छठे वर्ष में यह कोरोना प्रबंधन के एक रोल मॉडल के रूप में उभरा है जहां पर बहुत कम ही मामले सामने आए हैं और सभी 8 राज्यों को मिलाकर अब तक केवल 17 मौतें हुई हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर को हमेशा से ही सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की है। 2014 में सरकार का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद ही, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश के ज्यादा विकसित क्षेत्रों के बराबर लाने की दिशा में हर संभव प्रयास किया जाएगा। पिछले छह वर्षों में, न केवल विकास की राह में आनेवाली कमियों को सफलतापूर्वक दूर किया गया, बल्कि पूर्वोत्तर क्षेत्र ने मनोवैज्ञानिक विश्वास भी प्राप्त कर लिया है। उन्होंने कहा कि भारत में कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था के लिए बांस बहुत महत्वपूर्ण है और वह अपने बांस और अन्य संसाधनों के समर्थन से भारत को एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने में सहायता प्रदान करेगा, इसके अलावा आने वाले मौसम में इस क्षेत्र की विशाल पर्यटन क्षमता का उपयोग किया जाएगा क्योंकि अधिकांश यूरोपीय देश कोरोनावायरस की दूसरी लहर का सामना कर रहे हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के पारस भारत के बांस भंडार का 60 प्रतिशत हिस्सा है और यह एक बहुत बड़ा फायदा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस क्षेत्र को जिस प्रकार से बढ़ावा मिल रहा है उस प्रकार से उसे आजादी के बाद कभी प्राप्त नहीं हुआ। इस संदर्भ में उन्होंने 2017 में मोदी सरकार द्वारा किए गए 100 वर्ष पुराने भारतीय वन अधिनियम में संशोधन का उल्लेख किया, जिसके परिणामस्वरूप बांस के माध्यम से आजीविका के अवसर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से घर में उगाए गए बांस को इससे छूट प्रदान की गई। उन्होंने कोरोना महामारी की समाप्ति के बाद राष्ट्रीय राजधानी में स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की प्रदर्शनी को आयोजित करने का भी वादा किया।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि यहां पर सड़क, रेल और हवाई संपर्क में बहुत ही महत्वपूर्ण विकास हुआ है, जिससे न केवल पूरे क्षेत्र में बल्कि पूरे देश में वस्तुओं और व्यक्तियों के आवागमन को सुगम बनाने में मदद मिली है। अरुणाचल प्रदेश और मेघालय जैसे राज्य अब रेलवे के माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी के साथ जुड़े हुए हैं, जिन्होंने अब तक रेलवे नहीं देखा था। इसी प्रकार सिक्किम जैसे राज्य ने पहली बार हवाई अड्डा देखा है। अन्य राज्य भी नए बंदरगाहों का उद्घाटन या मौजूदा संसाधनों की सुविधाओं और क्षमताओं में वृद्धि कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पुणे के बाद एक नया फिल्म और टेलीविजन इंस्टीट्यूट जल्द ही अरुणाचल प्रदेश में खोला जाएगा। पूर्वोत्तर के 14 आकांक्षी जिलों के बारे में बताते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आकांक्षी जिले की अवधारणा 49 प्रमुख संकेतकों पर आधारित थी, जिनमें स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति एक महत्वपूर्ण घटक थी और कहा कि आकांक्षी जिलों की सर्वोत्तम प्रथाओं को शेष भारत के साथ साझा किया जाएगा।

महिला स्वयं सहायता समूह की अधिकांश सदस्यों ने मंत्री को जानकारी प्रदान की कि पूर्वोत्तर क्षेत्र सामुदायिक संसाधन एवं प्रबंधन कार्यक्रम (एनईआरसीओआरएमपी) से प्राप्त रिवॉल्विंग फंड ने उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए बदल कर रख दिया है। बागवानी, चाय, बांस, सूअर पालन, रेशम पालन, पर्यटन जैसी परियोजनाओं के लिए वांछित प्रोत्साहन देने के अलावा, एसएचजी सदस्यों ने बड़े पैमाने पर सैनिटाइजर और मास्क का उत्पादन और वितरण भी किया है। लॉकडाउन अवधि के दौरान जरूरतमंदों को मुफ्त राशन वितरित करने के लिए उनके द्वारा संसाधनों को एकत्रित भी किया गया।

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