33 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

बहुपक्षीय सहयोग कोविड -19 जैसी वैश्विक चुनौतियों पर काबू पाने की कुंजी है: डॉ. हर्षवर्धन

देश-विदेश

“हमारी प्रमुख संस्था – इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) – कोविड-19 के टीकों के परीक्षण में शामिल है। भारत टीकों के सभी प्रमुख दावेदारों के लिए नैदानिक ​​परीक्षण भी कर रहा है। भारत में लगभग 30 टीके विकास के विभिन्न चरणों में हैं। उनमें से दो विकास के सबसे उन्नत चरण में हैं – आईसीएमआर – भारत बायोटेक साझेदारी के जरिए विकसित कोवैक्सीन और भारत के सीरम संस्थान द्वारा विकसित कोवीशील्ड।

यह संस्थान, जोकि दुनिया में टीकों की सबसे बड़ा उत्पादक है, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित टीकों के लिए परीक्षण कर रहा है। दोनों टीके नैदानिक ​​परीक्षण के तीसरे चरण में हैं। हमारी शीर्ष फार्मा कंपनियों में से एक, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, अंतिम चरण के मानव परीक्षणों के संचालन और नियामक अनुमोदन प्राप्त करने के बाद भारत में रूसी टीकों का वितरण करेगी।” ये बातें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज यहां आभासी रूप से आयोजित प्रथम आभासी एससीओ युवा वैज्ञानिक संगोष्ठी (वर्चुअल एससीओ यंग साइंटिस्ट कॉन्क्लेव) में अपने उद्घाटन भाषण में कही। उन्होंने कहा, “इस संगोष्ठी का व्यापक उद्देश्यएससीओ (शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन) के प्रतिभाशाली युवाओंको एक साझामंच पर लाकर अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से आम सामाजिक चुनौतियों के समाधान के लिए उनके ज्ञान का दोहन करना है।”

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “कोविड-19 के खिलाफ जवाबी प्रतिक्रिया में, भारत अपनी महत्वपूर्ण वैज्ञानिक क्षमता का उपयोग कर रहा है। स्वदेशी टीकों के विकास, पारंपरिक ज्ञान पर आधारित देखभाल संबंधी अनूठे निदान एवं चिकित्सीय सूत्रीकरण से लेकर अनुसंधान संसाधनों, अनुसंधान एवं विकास संबंधी भारतीय सार्वजनिक एवं निजी संस्थाओं को स्थापित करने तक जैसे कदम महामारी का मुकाबला करने में कारगर उपाय विकसित करने के लिए अथक रूप से काम कर रहे हैं।” उन्होंने बताया,“सरकार के समर्थन की मदद से, 100 से अधिक स्टार्पअप ने कोविड-19 से निपटने के लिए नवीन उत्पाद और समाधान प्रदान किए हैं।”

केन्द्रीय मंत्री ने “एससीओ के युवा वैज्ञानिकों से एक विशेष अनुरोध” किया कि दुनिया के कल्याण और मानव कल्याण के लिए, “उन्हें आगे आना चाहिए और कोरोना की वर्तमान महामारी सहित हमारी सामान्य सामाजिक चुनौतियों के समाधान के लिए हाथ मिलाना चाहिए। “उन्होंने यह कहते हुए कि “कोविड-19 महामारी एक परीक्षा है”, इस बात पर जोर दिया कि, “इसने यह दर्शाया है कि बहुपक्षीय सहयोग ऐसी वैश्विक चुनौतियों पर काबू पाने की कुंजी है।”

डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि भारत सरकार ने कोविड-19 टीके के अनुसंधान के लिए 12 करोड़ अमेरिकी डॉलर के अनुदान देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा, “यह अनुदान कोविड सुरक्षा मिशन के लिए प्रदान किया जा रहा है और इसका उपयोग विशुद्ध रूप से इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिए किया जाना है।” यह कहते हुए कि “नवाचार उत्पादकता और समृद्धि में बढ़ोतरी का महत्वपूर्ण चालक है” उन्होंने दर्शकों से कहा, “भारत स्टार्ट-अप और नवाचार का एक केन्द्र बनकर उभरा है। भारतीय युवाओं ने अपनी भविष्य की ओर उन्मुख और अनूठी सोच के कारण एक अलग पहचान बनाई है।”

उन्होंने यह भी कहा कि, “युवा प्रतिभाओं को विज्ञान के चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में अवसर और नेतृत्व प्रदान करने के लिए, भारत ने पांच विशेष अनुसंधान प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं। प्रत्येक प्रयोगशाला विज्ञान के एक केन्द्रित क्षेत्र – कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम प्रौद्योगिकियां, संज्ञानात्मक प्रौद्योगिकियां, असममित प्रौद्योगिकियां और स्मार्ट सामग्री – से संबंधित है।” उन्होंने कहा,  “निर्धारित मानदंड के अनुरूप इन प्रयोगशालाओं में निदेशक सहित सभी 35 वर्ष से कम आयु के हैं।”

डॉ. हर्षवर्धन ने याद दिलाया कि हाल ही में 10 नवंबर, 2020 को आयोजित एससीओ के सदस्य देशों के प्रमुखों की बैठक में भारत ने स्टार्टअप पारिस्थिति की तंत्र में हमारे समृद्ध अनुभव को साझा करने के लिए नवाचार और स्टार्टअप पर एक विशेष कार्य समूह बनाने का प्रस्ताव दिया था। केन्द्रीय मंत्री ने आगे कहा, “हमने पारंपरिक औषधियों पर एक कार्यकारी समूह का भी प्रस्ताव दिया है, ताकि पारंपरिक और प्राचीन औषधियों का ज्ञान एससीओ देशों में फैले और समकालीन चिकित्सा में प्रगति एक दूसरे के पूरक हो सकें।” डॉ. हर्ष वर्धन ने इस बात पर जोर दिया कि “एससीओ का विकास विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार क्षेत्र में इसकी सफलता पर निर्भर करता है। इस परिदृश्य को बदलने की जरूरत है।”

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री नेभारत द्वारा आयोजित इस पहले एससीओ युवा वैज्ञानिक संगोष्ठी के लिए नामित किये गये सभी युवा वैज्ञानिकों को बधाई दी और उन्होंने “कोविड-19 महामारी द्वारा उत्पन्न चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद इस संगोष्ठी के आयोजन के लिए अपने संगठनों, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान और विदेश मंत्रालय के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया।” उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि “युवा वैज्ञानिकों के लिए आदर्श वाक्य नई खोज, पेटेंट, उत्पादन और समृद्धि होना चाहिए। ये चार कदम हमारे सदस्य देशों को तेजी से विकास की ओर ले जाएंगे।”

श्री व्लादिमीर नोरोव, महासचिव, शंघाई सहयोग संगठन; डॉ. एस. चंद्रशेखर, निदेशक, सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद, भारत; श्री विकास स्वरूप, सचिव (पश्चिम), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार; प्रोफेसर आशुतोष शर्मा, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार; श्री संजीव कुमार वार्ष्णेय; प्रमुख, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रभाग, डीएसटी; एससीओ सदस्य देशों के नामांकित युवा वैज्ञानिक; एससीओ सदस्य देशों के वरिष्ठ विशेषज्ञ / संरक्षक; एससीओ सदस्य देशों के वैज्ञानिक मंत्रालयों के प्रतिनिधि; भारतीयउच्चायोगों के प्रमुख / राजदूत, एससीओ देशों में विज्ञान परामर्शदाताइस आयोजन में आभासी रूप सेभाग लेने वाले गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे।

“एससीओ की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी के लिए यहां क्लिक करें”

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More