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मंत्री ने पायलट परियोजना की शुरूआत करने के लिए एम्स, रायपुर को 50 लाख रुपए सौंपे

देश-विदेश

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने आज केंद्रीय क्षेत्र के फ्लैगशिप कार्यक्रम, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के अंतर्गत, मत्स्य सहकारी समितियों के सदस्यों के लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के माध्यम से एम्स रायपुर द्वारा संचालित होने वाली टेलीमेडिसिन सेवाओं के लिए एक पायलट परियोजना की शुरूआत की। छत्तीसगढ़ मत्स्य सहकारी समितियों के सदस्य अब एम्स रायपुर के डॉक्टरों से अपनी चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए परामर्श प्राप्त कर सकेंगे।

श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने पायलट परियोजना की शुरूआत करने के लिए डॉ. नितिन एम. नागरकर, निदेशक और सीईओ, एम्स, रायपुर को 50 लाख रुपये का चेक सौंपते हुए कहा कि “इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि छत्तीसगढ़ मत्स्य सहकारी समितियों के सदस्यों को जब कभी चिकित्सा की आवश्यकता होगी,  वे टेलीमेडिसिन सुविधा के माध्यम से अपने दूरस्थ इलाकों से ही एम्स, रायपुर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों से संपर्क कर सकेंगे।“

श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने आगे कहा कि “हमारे देश में टेलीहेल्थ सेवाओं के लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं, जहां पर स्वास्थ्य सुविधाएं अर्बन शहरों में बहुत ही ज्यादा केंद्रित हैं, जबकि गांवों और तटीय क्षेत्रों जैसे दूरदराज इलाकों के लोग ऐसे लाभों से अभी भी वंचित हैं।”

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उन्होंने कहा कि “यह परियोजना हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सोच के अनुरूप डिजिटल इंडिया मिशन को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ने वाला एक रास्ता है। महामारी से प्रभावित दुनिया में, टेलीहेल्थ सहित प्रौद्योगिकी-सक्षम सेवाएं पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक बन चुकी हैं। उन्होंने कहा कि इसको ध्यान में रखते हुए, मुझे टेलीमेडिसिन सुविधा का उद्घाटन करते हुए बहुत ही प्रसन्नता महसूस हो रही है, जो मत्स्यपालन और मत्स्यपालन सहकारी समितियों से संबंधित लोगों को गुणवत्तापूर्ण मध्यवर्ती परामर्श सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने में सहायता करेगा।”

एम्स, रायपुर द्वारा स्टार्टअप क्रियाकलाप के रूप में अगले तीन वर्षों के लिए प्रस्तावित इस परियोजना को पीएचसी पाटन (दुर्ग जिला), पीएचसी सेजा (बेमेतरा), पीएचसी रतनपुर (बिलासपुर), पीएचसी धमतरी (चमतरी) और एम्स रायपुर (रायपुर) नामक पांच केंद्रों से पायलट मोड में शुरू किया जा रहा है। यह केंद्र सरकार, छत्तीसगढ़ सरकार, एनसीडीसी और एम्स रायपुर का एक संयुक्त प्रयास है।

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बाद में, इस परियोजना के अंतर्गत और भी जिलों को शामिल किया जाएगा। श्री संदीप नायक एमडी, एनसीडीसी ने बताया कि सुविधाओं की शुरूआत करने के साथ ही सरकार का उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य में अपनी-अपनी सहकारी समितियों से जुड़े मछुआरा और महिला मछुआरा समुदाय के बीच स्वास्थ्य असमानताओं की खाई को भरना है।

टेलीमेडिसिन सुविधा की शुरूआत करने का निर्णय इस बात को जानने के बाद लिया गया कि सहकारी समितियों के कई सदस्य दूरस्थ इलाकों में रहने, गरीबी या कोविड के डर के कारण चिकित्सा सेवाओं का लाभ उठाने से बच रहे थे।

श्री संदीप नायक ने कहा कि “यह विचार दूरदराज के इलाकों में मत्स्य सहकारी समितियों के सदस्यों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करने के साथ ही उनके चिकित्सा खर्च में कमी लाने के लिए है। दूरदराज के क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं का पदार्पण होने से मत्स्य समुदाय के बीच स्वास्थ्य जागरूकता भी उत्पन्न होगी।” उन्होंने बताया कि परामर्श के बाद अगर यह लगा कि रोगी को और ज्यादा विशेष उपचार की आवश्यकता है तो एम्बुलेंस सेवाएं भी उपलब्ध होगी।

जतिंद्र नाथ स्वैन, सचिव, मत्स्य विभाग ने एनसीडीसी के साथ एम्स रायपुर के सहयोगात्मक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि “इससे उन्हें रोकथाम, रोगनिदान और स्वास्थ्य स्थिति के संदर्भ में अधिक जानकारी प्राप्त करने में भी सहायता मिलेगी।“ यह स्टार्टअप के लिए अभिनव परियोजनाओं की शुरूआत करने में मार्गदर्शन भी प्रदान करेगा।

डॉ. नितिन नागरकर ने कहा कि एम्स, रायपुर पहले से ही जनता की भलाई के लिए टेलीकंसल्टेशन सेवाएं प्रदान कर रहा है, जो मुख्य रूप से राज्य के जनजातीय इलाकों में रहते हैं। कोविड महामारी के दौरान चल रही इस गतिविधि को और भी ज्यादा बढ़ाया गया। डॉ. नागरकर ने कहा कि “हम एनसीडीसी के साथ मिलकर मत्स्यपालन सहकारी समितियों के सदस्यों को शहरी केंद्रों में पोषणकर्ताओं और विशेषज्ञों द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल सूविधाएं प्रदान करने में खुशी महसूस कर रहे हैं।”

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