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प्रौद्योगिकी की मदद से तेलंगाना में हथकरघा बुनकरों को सशक्त बनाएगा माइक्रोसॉफ्ट फिलैन्थ्रपीज़

उत्तराखंड

देहरादून: माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने अपनी रिवीव परियोजना के तहत हथकरघा बुनकरों के लिए एक नए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म   re-weave.in,  के शुभारंभ कीघोषणा की, जो कंपनी के लोकोपकारी पहल का एक हिस्सा है। यह ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कारीगरों एवं खरीदारों के बीच प्रत्यक्ष संपर्क में मदद करेगा, जिससे उन्हें नए ग्राहकों तक पहुंचने एवंअपने बाजार के विस्तार करने में सहायता मिलेगी।

इस नए ई-कॉमर्स वेबसाइट पर बुनकर समुदाय द्वारा पारंपरिक डिजाइनों तथा कुदरती रंगों से निर्मित विशिष्ट उत्पादों का संग्रह उपलब्ध होगा। यह ई-मार्केट प्लेस इन्हें अपने उत्पादों कोबड़े पैमाने पर ग्राहकों को बेचने में मदद करेगा। इसके अलावा, यह पारंपरिक एवं लुप्त हो रही भारतीय कला को पुनर्जीवित करते हुए बुनकरों को अपनी आय बढ़ाने एवं आजीविका का स्थाईसाधन उपलब्ध कराने में मदद करेगा।

माइक्रोसॉफ्ट ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी  के साथ मिलकर ‘सीएडी एंड कलर फॉर हैंडलूम वीविंग’ में एक विशेष पाठ्यक्रम भी तैयार किया है, जिसके जरिए हैंडलूमडिजाइन में डिजिटल तौर पर प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा।

आज  नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी में आयोजित एक विशेष समारोह के दौरान, 100 हथकरघा बुनकरों के पहले बैच को डिजाइन कोर्स के सफलतापूर्वक समापन के लिएप्रमाणपत्र प्रदान किया गया। अपनी स्थापना के बाद से ही, इस संस्थान ने माइक्रोसॉफ्ट ऐश़र- आधारित सामुदायिक प्रशिक्षण मंच, अर्थात प्रोजेक्ट संगम के जरिए आजीविका के स्थायीविकल्पों के निर्माण के अलावा कौशल उन्नयन, डिज़ाइन, मार्केटिंग और उद्यमिता जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं में प्ब्ज् तथा डिजिटल टूल का उपयोग करते हुए कौशल विकास पर अधिक बलदिया है।

बुनकर समुदाय की बस्तियों में डिजिटल सशक्तिकरण केंद्रों का लगातार विस्तार जारी है – माइक्रोसॉफ्ट ने राजौली एवं चौटुप्पल में दो नए डिजिटल सशक्तिकरण केंद्रों का उद्घाटन कियाजबकि वारंगल और सिद्दीपेट में इन केंद्रों का जल्द ही शुभारंभ होगा। पोचमपल्ली, गड़वाल और नारायणपेट के केंद्र पिछले कुछ समय से कार्यरत हैं।

इस कार्यक्रम के दौरान श्री जयेश रंजन, प्रधान सचिव, उद्योग एवं आईटी, तेलंगाना ने कहा, “आज डिजिटल तकनीक से भारतीय समाज के हर वर्ग के लोगों के जीवन में बदलाव आ रहा है।दुनिया भर में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में माइक्रोसॉफ्ट जैसी अग्रणी कंपनियों के साथ कदम से कदम मिलाकर काम करने से हम प्रौद्योगिकी को तेलंगाना के दूरस्थ जिलों में अपने बड़े बुनकरसमुदायों तक पहुंचाने में सक्षम हुए हैं। ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस और डिजाइन प्रशिक्षण जैसी पहलों के माध्यम से बुनकर समुदायों एवं कारीगरों को बेहतर आमदनी के साथ-साथ आजीविका केस्थाई साधन की उपलब्धता में मदद मिलेगी। यह बुनकरों की युवा पीढ़ी को अपनी परंपराओं को कायम रखने तथा अन्य व्यवसायों का रुख नहीं करने के लिए प्रेरित करने का एकव्यावहारिक समाधान भी है।”

इस पहल पर चर्चा करते हुए, श्री अनिल भंसाली, प्रबंध निदेशक, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया (त्-क्) ने कहा, “हमारे नए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, डिजिटल सशक्तिकरण केंद्रों एवं नई तरीके से डिजाइनकिए गए पाठ्यक्रमों की शुरुआत के साथ अब बुनकर समुदाय भी हथकरघा के क्षेत्र में भारत की समृद्ध विरासत का लाभ उठाने तथा बड़ी संख्या में ग्राहकों तक पहुंचने में सक्षम होंगे। रिवीवपूरी तरह से माइक्रोसॉफ्ट के मिशन के अनुरूप है क्योंकि जिन समुदायों में हम काम करते हैं, वहां प्रत्येक व्यक्ति व संगठन के सशक्तिकरण के उद्देश्य से हमने सभी लोगों के लिए अवसरउपलब्ध कराने तथा डिजिटल जगत में मौजूदा अंतराल को दूर करने पर विशेष ध्यान दिया है और इसके लिए अपने ऐश़र- आधारित सामुदायिक प्रशिक्षण मंच, अर्थात प्रोजेक्ट संगम केसाथ-साथ विशेषज्ञता का भरपूर लाभ उठाया है।”

इस मौके पर चित्रा सूद, निदेशक, बिजनेस मैनेजमेंट, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया (त्-क्) ने कहा, “ग्रामीण भारतीय आबादी को रोजगार प्रदान करने की दृष्टि से भारतीय हथकरघा उद्योग कादूसरा स्थान है, जिसमें लगभग 43 लाख बुनकर कार्यरत हैं। रिवीव के माध्यम से हमने हथकरघा बुनकरों एवं उनके परिवारों के लिए अपने समर्थन का विस्तार किया है। इसके लिए हमनेहथकरघा बुनकरों के कामकाज को अनुकूलतम बनाया है, उन्हें बड़े पैमाने पर मौजूद ग्राहकों से अच्छी तरह जोड़ा है तथा उन्हें अपने निर्मित वस्तुओं के स्वरूप को बदलने में सहायता की है।इन शुरुआती प्रयासों से हमें तीन बुनकर समूहों की वार्षिक आय में संतोषजनक वृद्धि देखने को मिली है।”

प्रोजेक्ट रिवीव का उद्देश्य बुनकरों को गैर-लाभकारी संगठनों के माध्यम से कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराने में सहायता करना है। बुनकरों को प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल में प्रशिक्षण दियाजाता है, ताकि वे सामाजिक एवं पर्यावरण के प्रति जागरूक उपभोक्ता की मांगों को पूरा करने के लिए नए और टिकाऊ हस्तनिर्मित उत्पाद बना सकें।

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