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रेलवे वर्कशॉपों और उत्पादन इकाईयों में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल के लिए भारतीय रेल और गेल (इंडिया) लिमिटेड के बीच समझौता-ज्ञापन

देश-विदेश

नई दिल्ली: घुलनशील एसीटाइलिन, एलपीजी, बीएमसीजी और फरनेस ऑयल / हाई स्पीड डीजल (एचएसडी) जैसी औद्योगिक गैसों की जगह पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल के लिए भारतीय रेल ने मैसर्स गेल (इंडिया) लिमिटेड के साथ एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता भारतीय रेल की वर्कशॉपों, उत्पादन इकाईयों और डिपो को प्राकृतिक गैस आपूर्ति के लिए अवसंरचना सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया गया है। आज रेल भवन में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री अश्वनी लोहानी तथा गेल के अध्यक्ष एवं महानिदेशक श्री बी.सी.त्रिपाठी की मौजूदगी में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

भारतीय रेल की तरफ से भारतीय रेल वैकल्पिक ईंधन संगठन (आईआरओएफ) के सीएओ श्री चेतराम और गेल (इंडिया) लिमिटेड के निदेशक (विपणन) श्री गजेन्द्र सिंह ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।

इस समझौता-ज्ञापन के तहत गेल और भारतीय रेल के बीच यह सैद्धांतिक सहमति बनी है कि 13 चिह्नित वर्कशॉपों के लिए सीएनजी/एलएनजी/पीएनजी की आपूर्ति के संबंध में अवसंरचना विकसित की जाएगी। यह कोई आपूर्ति समझौता नहीं है तथा प्राकृतिक गैस की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इकाईयां इसकी वाणिज्यिक शर्तें तय करेंगी।

इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री अश्वनी लोहानी ने कहा कि रेलवे वर्कशॉपों में प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल भारतीय रेल और गेल के लिए बहुत फायदेमंद है। यह न सिर्फ पर्यावरण अनुकूल कदम है, बल्कि भारतीय रेल के लिए भी लाभप्रद है क्योंकि इसकी मदद से ईंधन खर्च में 25 प्रतिशत तक की कटौती हो जाएगी। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल अपने सभी 54 वर्कशॉपों एवं उत्पादन इकाईयों, बेस किचन, बड़े स्टेशनों, अधिकारी विश्रामगृहों, भारतीय रेल के हॉस्टलों इत्यादि में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देगी।

पृष्ठभूमि : –

माटुंगा वर्कशॉप और कोटा वर्कशॉप में प्रायोगिक परियोजना को कमीशन कर दिया गया है और प्राकृतिक गैस की आपूर्ति शुरू हो चुकी है। माटुंगा के कैरिज रिपेयर वर्कशॉप में घुलनशील एसीटाइलिन/एलपीजी की जगह सीएनजी का इस्तेमाल हो रहा है तथा उम्मीद की जाती है कि प्रतिवर्ष 20 लाख रुपये की बचत होगी। इसी तरह पूर्व मध्य रेलवे के कोटा वर्कशॉप में औद्योगिक गैसों के स्थान पर प्राकृतिक गैस इस्तेमाल की जा रही है और आशा की जाती है कि प्रतिवर्ष 21 लाख रुपये की बचत होगी।

बेंगलूरु स्थित रेल व्हील फेक्ट्री में सीएनजी का इस्तेमाल शुरू किया जा चुका है। इसके अलावा व्हील शॉप के ड्रॉ-फर्नेस तथा एक्सेल शॉप की तीनों भट्टियों में एचएसडी के स्थान पर प्राकृतिक गैस इस्तेमाल की जा रही है। इस तरह प्रति माह 410 किलोलीटर एचएसडी की बचत हो रही है, जो वार्षिक रूप से 8 से 10 करोड़ रुपये के बराबर है। इसके साथ सीओ-2 उत्सर्जन में भी लगभग 28 प्रतिशत की कमी आई है।

घातक ग्रीन हाउस उत्सर्जन में कमी के जरिए पर्यावरण को बहुत लाभ हो रहा है। इसके साथ औद्योगिक गैसों और फर्नेस ऑयल की जगह प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल से लागत में भी बहुत फायदा हो रहा है। एक आकलन के अनुसार वर्कशॉपों/उत्पादन इकाईयों/डिपो तथा भारतीय रेल की आवासीय कालोनियों में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल से प्रतिवर्ष 20 करोड़ रुपये की बचत होगी।

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