नई दिल्ली: आज राज्यसभा में उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री रामविलास पासवान ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार ने चीनी मिलों की तरलता बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं, ताकि वे देश के गन्ना किसानों की बकाया धन राशि चुकाने में सक्षम हो सकें। ये उपाय इस प्रकार हैं –• चीनी के मौसम 2013-14 के लिए बैंकों के जरिए (एसईएफए 2014) चीनी मिलों को अतिरिक्त वित्तीय सहायता के तौर पर 6600 करोड़ रूपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया गया है।
• चीनी के मौसम 2013-14 और 2014-15 के दौरान कच्ची चीनी के निर्यात और उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
• चीनी के मौसम 2014-15 के लिए बैंकों के जरिए 6000 करोड़ रूपये का आसान ऋण दिया जा रहा है। इस ऋण पर सहायता दी जा रही है, जिसे एक साल तक चुकाने की आवश्यकता नहीं होगी।
• ईबीपी के लिए आपूर्ति शृंखला प्रक्रिया को आसान बनाया गया है और कीमत निर्धारित कर दी गई है।
• 2015-16 के चीनी के मौसम में ईबीपी को आपूर्ति किये जाने वाले एथेनॉल पर उत्पाद शुल्क घटा लिया गया है।
• आयात शुल्क को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है।
• अग्रिम प्राधिकार योजना की प्रक्रिया समय को 18 महीने से कम करके 6 माह कर दिया गया है।
• गड़बडि़यां रोकने के लिए चीनी के संबंध में ”शुल्क मुक्त आयात प्राधिकार” को वापस ले लिया गया है।
ये सारे कदम चीनी उद्योग के तरलता संकट को कम करने के लिए और उन्हें किसानों के बकाया का समय पर भुगतान करने के लिए उठाए गए हैं। इस उद्देश्य के लिए किसी अतिरिक्त निधि का प्रावधान नहीं किया गया है।