27 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

जियो के सहारे रिलायंस का ‘प्राइस वार’

देश-विदेश

नई दिल्ली: रिलायंस की ओर से नए मोबाइल नेटवर्क जियो को बाज़ार में उतारने के बाद दूरसंचार कंपनियों के बीच नए ग्राहकों को पाने की लड़ाई तेज़ होने की संभावना है। जियो ने तेज़ स्पीड की 4जी मोबाइल सेवा और एलटीई यानी लांग टर्म इवोल्यूशन इंटरनेट शुरू करने की पेशकश की है।

4जी मोबाइल इंटरनेट सेवा देने वाली पहली कंपनी रिलायंस नहीं है, दूसरी कई कंपनियां काफ़ी पहले से इस मैदान में हैं।लेकिन जियो ने अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुक़ाबले काफ़ी कम दर पर यह सेवा देने का फ़ैसला किया है। असली संकट की वजह इसकी क़ीमतें हैं।

रिलायंस की कोशिश ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के हाथों में मोबाइल हैंडसेट थमा देने की है। इसकी योजना 50 डॉलर यानी 35 सौ रुपए से भी कम क़ीमत में हैंडसेट लोगों को मुहैया कराने की है। कंपनी का नेटवर्क तक़रीबन 18,000 नगरों-कस्बों और दो लाख गांवों तक फैला हुआ है। रिलायंस की योजना साल भर में देश के 90 फ़ीसद लोगों तक अपनी पंहुच बनाने की है।

यह योजना कुछ ज़्यादा ही महत्वाकांक्षी लगती है। पर इसके पीछ देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज़ है।इसके अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने कंपनी की सालाना आम बैठक में इसका एलान किया। हालांकि कंपनी ने इस तरह की सेवा शुरू करने का विचार 2010 में ही किया था। इस तरह यह छह साल की देर से शुरू हो रही है।

मुकेश अंबानी देश के सबसे धनी व्यक्ति हैं। अगर वो अपना सारा संसाधन इसके पीछे झोंक दें तो छोटी कंपनियों के लिए दिक्क़त होना लाज़िमी है। अंबानी ने ज्यों ही 4जी सेवा का एलान किया, देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल के शेयरों की कीमत 8.50 फ़ीसद टूटी. इससे निवेशकों को 1.30 अरब डॉलर का नुक़सान हुआ।

दूसरी दूरसंचार कंपनी आइडिया सेल्यूलर के शेयरों की कीमत में 7 फ़ीसद की कमी दर्ज की गई। इससे निवेशकों को 50 करोड़ डॉलर का चूना लगा। हालांकि दिन का कारोबार ख़त्म होते समय रिलायंस के शेयरों की कीमत भी तीन फ़ीसद गिरी।

कंपनी ने 4जी सेवा शुरू करने का एलान करते हुए बड़े राष्ट्रीय अख़बारों में पूरे पेज का विज्ञापन दिया। इसमें प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया। स्वाभाविक है आलोचकों ने व्यावसायिक प्रतिस्पर्द्धा को ग़लत ढंग से प्रभावित करने का आरोप लगाया। इसे ऐसे समझा जा सकता है। भारत की दूरसंचार कंपनियों की कमाई का बड़ा ज़रिया डेटा नहीं, वॉयस कॉल है। और रिलयांस ने मुफ़्त वॉयस कॉल की पेशकश कर दी है। इससे दूसरी कंपनियों को नुक़सान तो होगा ही।

दूसरी बातें भी हैं। भारत में ज़्यादातर लोग इंटरनेट के लिए फ़ोन का इस्तेमाल करते हैं। दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अनुमान है कि देश के 15 करोड़ से भी अधिक ब्रॉडबैंड उपभोक्ताओं का कम से कम 90 फ़ीसदी मोबाइल के ज़रिए इंटरनेट का इस्तेमाल करता है।

दूरसंचार कंपनियों की कमाई का अगला ज़रिया डेटा पैक है। लेकिन रिलायंस जियो का सबसे सस्ता प्लान दो डॉलर यानी क़रीब 130 रुपए प्रतिमाह है। उसे डेटा, वॉयस, वीडियो और तमाम दूसरी सेवाओं के लिए अलग से पैसे नहीं देने होंगे।कुछ लोगों ने इस पर चिंता जताई है।
ग्रेहाउंड रिसर्च के संचित गोगिया को इस बात की चिंता है कि इससे रिलायंस का बाज़ार पर एकाधिकार हो जाएगा। उन्होंने बीबीसी से कहा, “एक व्यवसायिक घराने का स्टार्ट अप, कंटेट, वीएएस, टेलीफ़ोन, मोबाइल, ब्रॉडबैंड यानी सभी सेवाओं पर नियंत्रण हो जाएगा, इससे मुझे चिंता होती है और नियामकों को भी होनी चाहिए।”

रिलायंस दूरसंचार बाज़ार में ऐसे समय दाख़िल हो रहा है, जब इस उद्योग पर कुल मिला कर 50 अरब डॉलर का कर्ज़ है।
वो कहते हैं कि भारत एक खुला बाज़ार है, यहां कीमतों के स्वाभाविक स्तर पर पंहुचने के लिए तीन से पांच कंपनियों का बाज़ार में होना ज़रूरी है। दिल्ली में रहने वाली शिल्पा धींगड़ा एक ऐसा मोबाइल हैंडसेट खरीदना चाहती हैं, जो 4जी सेवा के अनुकूल हो।

उन्होंने बीबीसी से कहा, “मैं व्हॉट्सऐप, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और फ़ेसबुक का दिन भर इस्तेमाल करती रहती हूं। इसलिए सस्ता इंटरनेट मेरे लिए अच्छा है।” राजधानी दिल्ली में रिलायंस की दुकानों के आगे लंबी कतारें लगी हुई हैं। सिम कार्ड तो मुफ़्त मिल रहे हैं. पर वह काम करे, इसके लिए 4जी वोल्ट (वीओएलटीई) को सपोर्ट करने वाले हैंडसेट की ज़रूरत है।

आईटी पेशेवर अतुल मोहन थोड़ा चिंतित हैं, वो अलग-अलग योजनाओं को देख रहे हैं, वो कहते हैं, “सिर्फ़ विज्ञापन देखकर हम अपना दूरसंचार ऑपरेटर नहीं बदल देंगे।” वो दूससंचार ऑपरेटर बदलने के पहले नेटवर्क की क्वालिटी देख लेना चाहते हैं पर ऑपरेटर परेशान हैं, मौजूदा कंपनियों ने जिओ पर व्यापार के अनुचित तौर-तरीक़े अपनाने का आरोप लगाया है। रिलायंस ने पलटवार करते हुए कहा है कि ये कंपनियां ग़लत तरीक़े से रुकावटें डालती रही हैं।

मुकेश अंबानी का कहना है कि सिर्फ एक हफ़्ते में दो अलग-अलग नेटवर्क के बीच जाने वाले पांच करोड़ कॉल नाकाम रहे हैं। जिओ में तक़रीबन 20 अरब डॉलर का निवेश किया गया है. यह अपने तरह का सबसे बड़ा वेंचर है। इस देश में अभी भी इंटरनेट की स्पीड निहायत ही धीमी है और कॉल ड्रॉप रोज़मर्रा की बात है। इसलिए सस्ती दरों पर शुरू में ग्राहक तो आसानी से मिल जाएंगे, पर इन समस्याओं का निपटारा करने के बाद ही ये ग्राहक बने रहेंगे।

साभार बीबीसी हिन्दी

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More