31 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

लैंड पूलिंग- दिल्‍ली के शहरी विकास के लिए नया प्रतिमान: हरदीप पुरी

देश-विदेश

नई दिल्ली: आवास एवं शहरी मामलों के राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) हरदीप एस. पुरी ने कहा है कि लैंड पूलिंग दिल्‍ली के शहरी विकास के लिए एक नया प्रतिमान है, जिसमें निजी क्षेत्र भूमि को एकत्रित करने और भौतिक एवं सामाजिक बुनियादी ढांचे के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएगा। श्री पुरी आज दिल्‍ली की लैंड पूलिंग पॉलिसी के लिए वेब पोर्टल लांच करने के दौरान मीडिया को संबोधित कर रहे थे। श्री पुरी ने कहा, ‘यह डीडीए द्वारा बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण करने की प्रचलित नीति के विपरीत है। नई नीति के तहत डीडीए की भूमिका एक सुविधा प्रदाता एवं नियोजक की होगी।’ इस अवसर पर दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल श्री अनिल बैजल, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा, डीडीए के उपाध्‍यक्ष श्री तरुण कुमार और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय तथा दिल्‍ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के वरिष्‍ठ अधिकारीगण भी उपस्थित थे।

   नीति का ब्‍यौरा देते हुए श्री पुरी ने बताया कि इस नीति पर तेजी से अमल सुनिश्चित करने की दिशा में पहले कदम के रूप में डीडीए की वेबसाइट पर उपलब्‍ध वेब-आधारित इंटरफेस का उद्देश्‍य इसमें भागीदारी के लिए ‘इच्‍छा की अभिव्‍यक्ति’ आमंत्रित करना है। इसके तहत नियोजन क्षेत्रों यथा के-1, एल, एन और पी-II में आने वाले किसी भी आकार के सन्निहित भूखंड का कोई भी भूमि स्‍वामी इस वेबसाइट पर पंजीकरण करा सकता है। इस पोर्टल के जरिए किसी भी सन्निहित भूखंड/प्‍लॉट का पंजीकरण कराने की अनुमति है, चाहे वह एक/एक से अधिक खसरा में आता हो, एकल मालिक/एक से अधिक ऐसे सह-मालिकों के स्‍वामित्‍व में हो जो राजस्‍व रिकॉर्ड में अविभाजित संयुक्‍त स्‍वामित्‍व वाली भूमि हो। यह पोर्टल पंजीकरण कराने के लिए एक उपयोगकर्ता (यूजर) अनुकूल प्‍लेटफॉर्म उपलब्‍ध कराता है, जिसमें जोन-वार नक्‍शों (जोनल/राजस्‍व/सेक्‍टर), देय प्रभारों और सामान्‍य दिशा-निर्देशों से जुड़ी तमाम जानकारियां हैं।

     लैंड पूलिंग के मुख्‍य उद्देश्‍यों में छोटे-छोटे भूखंडों को एक बड़े भूखंड के रूप में एकत्रित करना; जलापूर्ति, सीवेज प्रणाली एवं जल निकासी जैसी आवश्‍यक बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को विकसित करना; परिवहन एवं मुख्‍य सड़कों सहित बड़े सामाजिक एवं अन्‍य बुनियादी ढांचे के लिए प्रावधान करना और भूमि मालिकों अथवा डेवलपरों को तय अनुपात में विकसित भूमि वापस करना शामिल हैं। इससे शहर, विशेषकर इसके बाहरी इलाकों में उपलब्‍ध शहरी भूखंडों का प्रभावशाली, टिकाऊ एवं न्‍यायोचित ढंग से विकास सुनिश्चित होगा। इससे नई भूमि की आपूर्ति बढ़ाकर नियोजित ढंग से शहर का विकास एवं विस्‍तार करने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही आवास संबंधी मांग भी पूरी करने में सुविधा होगी।

     उपर्युक्‍त नीति में संसाधनों एवं सेवाओं की उपलब्‍धता को ध्‍यान में रखते हुए ग्रुप हाउसिंग/आवासीय उपयोग के लिए 200 के फर्श क्षेत्र अनुपात या फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) की अनुमति दी गई है। इससे लगभग 17 लाख आवासीय इकाइयां सृजित होने की आशा है, जिनमें तकरीबन 76 लाख लोग रह सकेंगे। किफायती एवं समावेशी आवास को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से ईडब्‍ल्‍यूएस (आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग)/किफायती आवास के लिए अधिकतम स्‍वीकार्य आवासीय एफएआर के अलावा 15 प्रतिशत के एफएआर की भी अनुमति दी गई है। इससे ‘सभी के लिए आवास’ से जुड़े लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने में काफी मदद मिलेगी। कुल 17 लाख आवासीय इकाइयों में से 5 लाख से भी अधिक आवासीय इकाइयां समाज के आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबकों के लिए होंगी।

  • नीति के तहत नये निर्माण ‘अनिवार्य हरित इमारत मानकों’ के अनुरूप होंगे, जैसा कि एमपीडी और भवन निर्माण से जुड़े उप-नियमों में उल्‍लेख किया गया है। इसमें दोहरी पाइपलाइन, गैर-पेय उपयोग के लिए रिसाइकिल किये हुए जल का अधिकतम उपयोग करने, वर्षा जल का संरक्षण करने, शून्‍य अपशिष्‍ट प्रौद्योगिकी अपनाने जैसे सिद्धांतों को शामिल करना शामिल है। समस्‍त ऊर्जा खपत का न्‍यूनतम 10 प्रतिशत  सौर ऊर्जा अथवा अन्‍य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के जरिए सुनिश्चित किया जाएगा।
  • ‘कारोबार में सुगमता’ लक्ष्‍य के अनुरूप डेवलपर निकायों/कंसोर्टियम द्वारा विकास की समूची प्रक्रिया ‘एकल खिड़की प्रणाली’ के जरिए समयबद्ध ढंग से सुनिश्चित की जाएगी, जिसे आज यहां लांच किया गया।
  • एकल मालिक/एक से अधिक सह-मालिकों को ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा और निर्दिष्‍ट प्रभारों/शुल्‍कों का भुगतान करना होगा। इसके आधार पर ही आवेदक को एक विशिष्‍ट पंजीकरण आईडी दी जाएगी, जिसका उपयोग वह भविष्‍य में कर सकेगा।
  • खसरा/भूमि से जुड़े अन्‍य विवरण और अपलोड किये गये अन्‍य दस्‍तावेजों का सत्‍यापन डीडीए संबंधित विभागों/अभिलेखों या रिकॉर्ड के संरक्षक के जरिए करेगा। किसी सेक्‍टर की न्‍यूनतम 70 प्रतिशत सन्निहित भूमि को एकत्रित/पूलिंग कर लेने और राजस्‍व रिकॉर्ड के सत्‍यापन का कार्य पूरा हो जाने पर डीडीए एकल निकाय यानी कंसोर्टियम का गठन करने के लिए उस सेक्‍टर के संबंधित भूमि मालिकों को सूचित करेगा। नीतिगत प्रावधानों के तहत गठित कंसोर्टियम को सभी संबंधित भूमि मालिकों के साथ सलाह-मशविरा कर एक कार्यान्‍वयन योजना तैयार करनी होगी और सेक्‍टर के अंदर विकास कार्य शुरू करने वाले एकल निकाय के रूप में डीडीए में आवेदन करने से पहले उन्‍हें आपस में एक औचारिक अनुबंध पर हस्‍ताक्षर करने होंगे।
  • चिन्हित सेक्‍टरों में अधिकतम भागीदारी/पूलिंग सुनिश्चित करने के लिए पोर्टल 6 माह तक खुला रहेगा, ताकि एकीकृत ढंग से बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के नियोजन एवं कार्यान्‍वयन का कार्य शुरू किया जा सके।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More