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करवाचौथ 27 को, इस साल नही रख सकती नवबधुएं अपना पहला व्रत

उत्तर प्रदेश

गोरखपुर: करवाचौथ व्रत शनिवार (27 अक्टूबर) को परंपरागत रूप से आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा, लेकिन वे नववधुएं जिनका यह पहला करवाचौथ व्रत होगा, वे इस वर्ष यह व्रत शुरू नहीं कर सकेंगी। इसकी वजह है कि इस वर्ष मलमास (अधिक मास) लगा था। जिस संवत्सर में मलमास लगता है, उसमें नया व्रत प्रारंभ नहीं किया जाता।

कुछ ज्योतिषाचार्य शुक्रास्त को भी इसका एक कारण बता रहे हैं लेकिन ज्यादातर का कहना है कि शुक्रास्त का व्रतारंभ पर कोई असर नहीं पड़ता, क्योंकि हर वर्ष शुक्र अस्त रहता है। लेकिन दोनों तरह के ज्योतिषाचार्य इस बात पर सहमत हैं कि इस वर्ष नववधुएं करवाचौथ का व्रत शुरू नहीं करेंगी।

कहते हैं क्या विद्वान ज्योतिषाचार्य पं.कमल शंकर पति त्रिपाठी के अनुसार शुक्र अस्त होने का प्रभाव करवाचौथ व्रतारंभ पर नहीं पड़ेगा, लेकिन इस संवत्सर में मलमास पड़ा था, इस वजह से नववधुएं करवाचौथ व्रत शुरू नहीं कर सकती हैं, लेकिन पूजा-पाठ तथा पति व बड़ों का आशीर्वाद ले सकती हैं।

उधर गुरु गोरक्षनाथ संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य डॉ। रोहित मिश्र का कहना है कि अधिक मास होने के कारण नया व्रत शुरू नहीं किया जाएगा। शुक्र का अस्त होना इस व्रत के आरंभ में बाधक नहीं है। जिन लड़कियों का विवाह इस वर्ष हुआ है वे करवाचौथ व्रत शुरू नहीं करेंगी। लेकिन पूजा व मंगल कामना की जा सकती है। जबकि ज्योतिषाचार्य पं.ब्रजेश पांडेय का कहना है कि इस वर्ष नववधुओं द्वारा करवा-चौथ व्रत शुरू न किए जाने का मूल कारण मलमास का पड़ जाना है। जो तिथि निश्चित है जैसे व्रत व त्योहार आदि, उसमें शुक्र व गुरु का अस्त होना नहीं देखा जाता। विवाहादि में शुक्र व गुरु का अस्त देखा जाता है।

ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पांडेय का कहना है कि इस वर्ष एक तो मलमास पड़ गया, दूसरे शुक्र अस्त चल रहा है। इन दोनों वजहों से नववधुएं इस वर्ष करवाचौथ व्रत का आरंभ नहीं कर सकतीं। शुक्र अस्त तो है ही, वृद्धत्व व बालत्व दोष से भी युक्त है। नववधुएं इस वर्ष केवल पूजा-प्रार्थना करें। ऐसे करें व्रत व पूजा एक पीढ़ा (लकड़ी का पाटा) पर जल से भरा एक पात्र रखें। उस जल में चंदन और पुष्प छोड़ें और एक करवा (मिट्टी का बर्तन) लेकर उसमें गेहूं और उसके ढकनी में चीनी भर लें और एक रुपया नगद रख दें। करवा पर स्वास्तिक बनाकर तेरह बिंदी दें और हाथ में गेहूं के तेरह दाने लेकर कथा सुने। तत्पश्चात करवा पर हाथ रखकर उसे किसी वृद्ध महिला का चरण स्पर्श कर अर्पित करें और चंद्रोदय के समय रखे गए जल से अर्घ्य देकर अपना व्रत तोड़ें।

कुछ महिलाएं चावल को जल में पीस कर दीवार या कागज पर करवाचौथ का चित्र बनाती हैं और उसमें चंद्रमा और गणेश की प्रतिमा उकेरती हैं तथा चावल, गुड़ व रोली से पूजा करती हैं। पूरे दिन महिलाएं भजन व मांगलिक एवं सात्विक कर्मो में व्यतीत करें और सुंदर वस्त्र तथा आभूषण श्रृंगार करके करवा की पूजा करें।

क्या है पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार जब पांडवों पर घोर विपत्ति का समय आया तब द्रोपदी ने भगवान श्रीकृष्ण का आह्वान किया। कृष्ण ने कहा कि यदि तुम भगवान शिव के बताए हुए व्रत करवाचौथ को आस्था व विश्वास के साथ संपन्न करो तो समस्त कष्टों से मुक्त हो जाओगी और समृद्धि स्वत: ही प्राप्त हो जाएगी। परंतु ध्यान रखना कि व्रत के दौरान भोजन-पानी वर्जित है। द्रोपदी ने व्रत रखा और पांडवों का कष्ट दूर हुआ तथा उन्हें पुन: राज्य की प्राप्ति हुई।

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