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सूचना और संचार क्रान्ति का विश्व समाज को बेहतर बनाने में अह्म योगदान है!

उत्तर प्रदेश

(1) सूचना क्रान्ति की दिशा में महत्वपूर्ण पहल :-

                संयुक्त राष्ट्र संघ का पहला विश्व सूचना सोसायटी दिवस 17 मई, 2006 को मनाया गया था। मार्च 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दुनिया भर के लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने से मदद के लिए अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) की भूमिका को बढ़ाने के लिए 17 मई को प्रतिवर्ष विश्व सूचना सोसायटी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई। इस प्रकार    विश्व सूचना सोसायटी दिवस द्वारा मौलिक मानवाधिकारों पर केंद्रित, समावेशी और विकासोन्मुखी सूचना समाज का निर्माण तथा विश्व शिखर सम्मेलन की दृष्टि से दुनिया को याद दिलाने के लिए 17 मई को हर साल मनाया जाता है। हमारा मानना है कि सूचना और संचार दुनिया भर में समाज को बेहतर बनाने तथा लोगों को सचेत करने में मदद कर सकते हैं। विश्व सूचना सोसायटी दिवस का उपयोग अपनी पूरी क्षमता बढ़ाने के लिए सूचना और ज्ञान का उपयोग और साझा कर सकते हैं, जिसमें समाज के निर्माण के लिए सूचना और संचार की शक्ति के लोगों की जागरूकता को बढ़ावा देता है। यूनेस्को जैसे संगठन सक्रिय रूप से सूचना तथा संचार पर केंद्रित अभियानों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियों में संलग्न लोगों को आमंत्रित करके इस दिवस में भाग लेते हैं।

(2) विश्व युगान्तकारी परिवर्तन की ओर बढ़ता हुआ :-

                पिछले कुछ वर्षो में विज्ञान के क्षेत्र में युगान्तकारी परिवर्तन आये हैं। विश्व में सूचना और प्रौद्योगिकी क्रांति चल रही है। इसके कारण सूचना युग का पदार्पण हो चुका है। अमरीका और जापान जैसे विकासशील देश पहले ही औद्योगिक समाज से सूचना समाज में परिवर्तित हो चुके हैं। आखिर ऐसा होना ही था क्योंकि मानव सभ्यता ने पिछले पचास सालों में जितना वैज्ञानिक ज्ञान प्राप्त किया है, वह मानव सभ्यता के संपूर्ण इतिहास का नब्बे प्रतिशत बैठता है। इस ज्ञान में सबसे ज्यादा हिस्सा सूचना प्रौद्योगिकी का है। सूचना प्रौद्योगिकी के कारण दूरसंचार, उपग्रह और कम्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में काफी तेजी से प्रगति हुई है।

(3) इंटरनेट एक सुपर हाइवे के रूप में सामने आया है :-

                इंटरनेट दूरसंचार और उपग्रह प्रौद्योगिकी के मदद से लाखों कम्प्यूटरों का एक ऐसा सूचना तंत्र है जिसमें पूरे के पूरे पुस्तकालय और रेडियो, टेलीविजन चैनल, समाचार पत्र-पत्रिकाओं के अलावा कई अन्य तरह की जानकारियाँ उपलब्ध हैं। इंटरनेट की मदद से हम किसी देश के बड़े-बड़े पुस्तकालयों से जानकारियां हासिल कर सकते हैं। संचार प्रौद्योगिकी और इसके विकास के बाद सूचना क्रांति ने मानव जीवन के हर क्षेत्र में कुछ न कुछ परिवर्तन अवश्य किया है। सांस्कृतिक क्षेत्र में सूचना क्रांति ने अनेक कई तरह की प्रक्रियाओं को जन्म दिया है। पहले जहां सूचनाओं और जानकारियों को इकट्ठा करने के लिए एक बड़ा तंत्र तैयार करना पड़ता था। वही आज सूचना क्रान्ति के कारण पहले से कहीं और भी अधिक सूचनाएं एक छोटी सी चिप में सुरक्षित रखी जा सकती है और कम्प्यूटर की मदद से इन सूचनाओं को पल भर में ही विश्व के किसी भी हिस्से में किसी भी व्यक्ति को भेजे जा सकते हैं।

(4) सूचना क्रांति मानव सभ्यता की सबसे बड़ी महत्वपूर्ण क्रांति है :-

                सूचना प्रौद्योगिकी के कारण ही अब हम पल भर में ही हम दुनिया के किसी भी कोने की खबर प्राप्त कर सकते हैं। निःसंदेह सूचना क्रांति मानव सभ्यता की सबसे बड़ी महत्वपूर्ण क्रांति है। विकासशील देशों में अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सम्बन्धों में साम्राज्यवाद के बचे खुचे अवशेषों को खत्म करने के लिए एक नयी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की मांग की थी। इस मांग के मूल में अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का ढांचा अन्यायपूर्ण होना था। सूचना क्रांति ने परिवर्तन की इन दिशाओं को दरकिनार कर ऐसी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था बनाई जो समाजोपयोगी है। इस क्रांति के बदौलत विकसित देश विश्व में एक ऐसी सूचना और संचार व्यवस्था बनाने में सफल रहे जो विकासशील देशों की अवधारणा के प्रतिरूप ही नहीं है बल्कि जिसने एक तरफा मुक्त प्रभाव और भी तेज कर दिया है।

(5) भारत का युवा वर्ग तैयार है एक विश्वव्यापी नई युवा क्रांति के लिए :-

                भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश है। आज भारत में दूसरे देशों की तुलना में सबसे ज्यादा युवा बसते हैं। युवा वर्ग वह वर्ग होता है जिसमें 14 वर्ष से लेकर 40 वर्ष तक के लोग शामिल होते हैं। आज भारत देश में इस आयु के लोग सबसे बड़ी संख्या में मौजूद है। इस आंकड़े के आधार पर भारत विश्व का सबसे बड़ा युवा देश है। यह एक ऐसा वर्ग है जो शारीरिक एवं मानसिक रूप से सबसे ज्यादा ताकतवर है। जो अपने परिवार, समाज, देश तथा विश्व के विकास के लिए हर संभव प्रयत्न करते हैं। आज भारत देश में 75 प्रतिशत युवा पढ़ना-लिखना जानते हैं। आज भारत ने अन्य देशों की तुलना में अच्छी खासी प्रगति की है। इसमें सबसे बड़ा योगदान शिक्षा का है। आज भारत का हर युवा अच्छी से अच्छी शिक्षा पा रहा है। उन्हें पर्याप्त रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। आज भारत का युवा वर्ग हर क्षेत्र में ऊंचाईयों को छूना चाहता है। भारत का युवा वर्ग तैयार है एक विश्वव्यापी नई युवा क्रांति के लिए।

(6) स्कूल, समाज तथा मीडिया मिलकर सामाजिक परिवर्तन कर सकते है :- 

                समाज के जन जागरण में मीडिया की अह्म भूमिका सदैव से रही है। संचार एवं सूचना क्रान्ति के इस युग में व्यापक विश्व समाज को विश्व एकता के विचारों से बाल एवं युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए पत्र-पत्रिकाओं, इलेक्ट्रनिक तथा सोशल मीडिया की भूमिका पहले की अपेक्षा और अधिक बढ़ गयी है। विश्व के दो अरब से अधिक बच्चों के साथ ही आगे जन्म लेनी वाली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य के लिए विश्व संसद, विश्व सरकार तथा विश्व न्यायालय के गठन के अभियान में सूचना एवं संचार क्षेत्रों से जुड़े लोगों की सक्रिय भूमिका के लिए मानव जाति सदैव ऋणी रहेगी। संचार एवं सूचना क्रान्ति के युग में स्कूल, समाज तथा मीडिया मिलकर सामाजिक परिवर्तन कर सकते है।

(7) युवा पीढ़ी का दृष्टिकोण वैज्ञानिक एवं विश्वव्यापी बनाना है :-

                सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा प्रतिवर्ष पांच दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय युवा विज्ञान महोत्सव ”मैकफेयर इन्टरनेशनल“ को आयोजित करने का उद्देश्य युवा पीढ़ी का दृष्टिकोण वैज्ञानिक एवं विश्वव्यापी बनाना है। इस महोत्सव द्वारा युवा पीढ़ी में संचार, गणित, विज्ञान, इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रोद्यौगिकी, कम्प्यूटर टैक्नालॉजी, इण्टरनेट एवं साइवर स्पेस के प्रति सूक्ष्म विश्लेषण की प्रवृत्ति को विकसित करने का प्रयास निरन्तर किया जा रहा है। साथ ही मेधावी छात्रों को एक ऐसा विश्व मंच प्रदान कराया जा रहा है जिस पर वे अपनी वैज्ञानिक क्षमता व प्रतिभा की तुलना विश्व के अन्य देशों के छात्रों से कर सके।

(8) युवकों की वैज्ञानिक सोच, इच्छा, आंकाक्षायें और सपने विश्व की भलाई के लिए हो :-

                इस विज्ञान महोत्सव में देश-विदेश के विभिन्न ख्याति प्राप्त विद्यालयों के हाई स्कूल एवं इण्टरमीडिएट कक्षाओं के लगभग 600 भावी वैज्ञानिकों एवं ख्याति प्राप्त विशेषज्ञों का एक स्थान पर लखनऊ में एकत्रित होना अपने आप में एक ऐतिहासिक अवसर होता है। हमारा मानना है कि विज्ञान का उपयोग आम लोगों की बुनियादी आवश्यकताओं, रचनात्मक कार्यो एवं विश्व शान्ति के लिए होना चाहिए। मानव जाति के समक्ष आज अनेक प्रकार की विश्वव्यापी समस्याऐं हैं। इन समस्याओं को हल करने का बहुत बड़ा दायित्व भावी वैज्ञानिकों का हैं। आज के प्रगतिशील युग में इलेक्ट्रानिक्स, सूचना एवं संचार प्रोद्यौगिकी, कम्प्यूटर एवं विज्ञान को सभी क्षेत्रों में अपनाने की आवश्यकता है, तभी हम विश्व के साथ मिलकर आगे बढ़ सकेगे। युवकों में विज्ञान के क्षेत्र में कुछ नया कर गुजरने की अपार ऊर्जा एवं अटूट उत्साह तथा अभूतपूर्व क्षमता है। विज्ञान ने पूरी दुनियॉ को एक दूसरे के निकट लाकर खड़ा कर दिया है और पूरी दुनियॉ सिमट कर एक गांव के रूप में विकसित हो गई है। इसलिए युवकों की वैज्ञानिक सोच, इच्छा, आंकाक्षायें और सपने विश्व की भलाई के लिए होने चाहिए।

(9) यह नयी सहस्त्राब्दि वैज्ञानिक उपलब्धियों, शान्ति एवं विकास की हैं :-

                देश-विदेश के युवा वैज्ञानिकों के मन में विज्ञान का सर्वोच्च ज्ञान प्राप्त करने के साथ ही भारत की सभ्यता, संस्कृति, रीति-रिवाज, रहन-सहन एवं खान-पान की जानकारी प्राप्त करने की तीव्र इच्छा रहती है। साथ ही मैं विश्व के इन भावी वैज्ञानिकों की परिकल्पना में एक ऐसे विश्व को साकार होते देख रहा हूँ जिसका आधार सारी मानव जाति से प्रेम, विश्व शान्ति तथा विश्व एकता है। देश-विदेश के युवा वैज्ञानिक आज न केवल विज्ञान, कम्प्यूटर व गणित विषयां में अपनी सर्वोच्चता सिद्ध कर रहे हैं वरन् सम्पूर्ण संसार को प्यार, अमन-चैन और विश्व शान्ति का सन्देश भी दे रहे हैं। मैं पूरे विश्वास से कहना चाहूँगा कि यह नयी सहस्त्राब्दि वैज्ञानिक उपलब्धियों, शान्ति एवं विकास की हैं।

डा0 जगदीश गांधी, शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

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