39 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

भारत का विकास हिन्‍दी के विकास से जुड़ा है: डॉ. जितेन्‍द्र सिंह

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास (डीओएनईआर), (स्‍वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक‍ शिकायतें एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग राज्‍य मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने एक मजबूत दावा किया है कि भारत का विकास हिन्‍दी के विकास से जुड़ा है और अगले कुछ वर्षों में ही भारत आर्थिक रूप से विश्‍व की एक शक्ति रूप के में विकसित हो जाएगा।

सांस्‍कृतिक तथा सभ्‍यता के पैमाने के अनुसार इसका समतुल्‍य विकास भारत में हिन्‍दी के विकास की स्थिति का लगभग अनुपातिक होगा और यह विकास न केवल एक भाषा के रूप में बल्कि भारत की पहचान के एक मुख्‍य प्रतीक के रूप में होगा। वह कल हिन्‍दी पखवाड़ा और 12वें हिन्‍दी दिवस सम्‍मान पुरस्‍कार वितरण के अवसर पर आयोजित एक समारोह में मुख्‍य अतिथि के रूप में मुख्‍य भाषण दे रहे थे।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि यह एक बड़ी गलती होगी अगर लंबी अवधि तक लोगों के मन में ऐसी स्‍थायी धारणा बनी रहे कि हिन्‍दी संचार के माध्‍यम के रूप में केवल एक समाज के एक विशेष वर्ग या धर्म तक ही सीमित है। जबकि सच्‍चाई यह है कि हिन्‍दी ऐसे प्रत्‍येक व्‍यक्ति की विरासत का एक हिस्‍सा है, जिसने धर्म, जाति, संप्रदाय या क्षेत्र से ऊपर उठकर भारत की विरासत को अपनाया है। इस बारे में शानदार उदाहरण देते हुए उन्‍होंने कहा कि हिन्‍दी का श्रेष्‍ठ साहित्‍य और कविताएं मुस्लिम कवियों और लेखकों द्वारा लिखी गई हैं, जबकि उनकी मातृभाषा भी हिन्‍दी नहीं थी।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि यह अजीब विरोधाभास है कि भारत में रहते हुए और भारतीय होते हुए भी हमें हिन्‍दी और इसकी समृद्धि के बारे में अपने आपको स्‍मरण कराने के लिए हिन्‍दी पखवाडा़ या हिन्‍दी दिवस का आयोजन करने की जरूरत पड़ती है। उन्‍होंने कहा यह कितना अजीब लगता है जब कोई व्‍यक्ति ऐसा सोचता है कि इंग्‍लैंड में रहने वाले व्‍यक्ति अंग्रेजी भाषा के महत्‍व के बारे में अपने आपको स्‍मरण कराने के लिए अंग्रेजी भाषा दिवस या फ्रांस में रहने वाले व्‍यक्ति फ्रैंच भाषा दिवस क्‍यों नहीं मनाते हैं जबकि हम ऐसे आयोजन करते हैं। असली सवाल यह है कि हमें अपने आपसे यह पूछना चाहिए कि क्‍या हम हिंदी भाषा की विरासत का आदर करने और हिन्‍दी बोलने के सम्‍मान को आगे बढ़ाने में असफल रहे हैं।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि उन्‍हें ऐसे अनेक अभिभावकों का पता है जो स्‍वयं हिन्‍दी भाषा के बड़े विद्वान हैं लेकिन अपने बच्‍चों को पढ़ने के लिए अंग्रेजी माध्‍यम के स्‍कूलों में भेजते हैं और इस बात पर गर्व करते हैं कि उनके बच्‍चे हिन्‍दी के बजाय अंग्रेजी में बातचीत करते हैं। क्‍या ये स्‍वयं में कुंठाग्रस्‍त होने या अपने अंदर विरोधाभास पालने वाला मुद्दा नहीं है। यह ऐसा मामला है जिसका गंभीरता से आत्‍मविश्‍लेषण किए जाने की जरूरत है।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने सुझाव दिया कि हिन्‍दी को केवल प्रतीकात्‍मक कार्यक्रमों के द्वारा ही बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है बल्कि इसके लिए हमारी शिक्षा प्रणाली के बारे में दोबारा विचार किए जाने की जरूरत है। इस बारे में मिडिल या हाई स्‍कूल स्‍तर से ही हिन्‍दी के ज्ञान के लाभ से परिचित कराने के साथ-साथ क्लिष्‍ट और भारी भरकम वाक्‍यों से भरी कठिन भाषा के बजाय आम आदमी द्वारा बोली जाने वाली हिन्‍दी के उपयोग को प्रोत्‍साहित करने जैसे कुछ उपायों को शामिल किया जाना चाहिए।

आशावादी रूख का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भारत एक अंतर्राष्‍ट्रीय शक्ति बन जाएगा और तब हिन्‍दी न केवल राष्‍ट्रीय भाषा बल्कि अंतर्राष्‍ट्रीय भाषा बन जाएगी।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More