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‘टीबी मुक्त भारत’ का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए डॉ. हर्षवर्धन ने जनजातीय टीबी पहल लॉन्च की

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 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित “टीबी मुक्त भारत” के पोषित लक्ष्य की पूर्ति के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा के साथ, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे की उपस्थिति में “जनजातीय टीबी पहल” लॉन्च की। कार्यक्रम में क्षयरोग (टीबी) के लिए संयुक्त कार्य योजना पर एक मार्गदर्शक नोट, टीबी पर जनजातीय मंत्रालय के विशेष प्रकाशन ‘आलेख’ और जनजातीय क्षयरोग (टीबी) पहल पर एक दस्तावेज भी जारी किया गया।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस कार्यक्रम के आयोजन की प्रासंगिक आवश्यकता पर बात की। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण आ रही कठिनाइयों और इससे जुड़े विनियम/निवारक रणनीतियों के बावजूद भारत में 18.04 लाख से भी ज्यादा क्षयरोग के मामलों की सूचना मिली। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की सभी अप्रत्याशित चुनौतियों के बावजूद, भारत सरकार कोविड-19 और टीबी के लिए द्वीदिशीय स्क्रीनिंग शुरू करके, डायगनोस्टिक नेटवर्क को मजबूत बनाकर और कोविड निरीक्षण गतिविधियों में टीबी स्क्रीनिंग को शामिल करके, उन पस्थितियों को टीबी उन्मूलन के लिए अवसरों में बदलने में सक्षम रही है। स्वास्थ्य को जीवन के सभी पहलुओं से प्रभावित होने वाले समग्र विषय के रूप में देखते हुए, इस कार्यक्रम में 2025 तक उन्मूलन लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु सबसे कमजोर आबादी तक पहुंचने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच बहुक्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।

डॉ. हर्षवर्धन ने दोहराया कि इस वर्ष विश्व टीबी दिवस पर केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप और जम्मू और कश्मीर के बडगाम जिले को टीबी मुक्त घोषित कर दिया गया जबकि देश के कई अन्य राज्यों और जिलों को टीबी से जुड़े संधारणीय विकास लक्ष्य (एसडीजी) प्राप्त करने की दिशा में प्रगति करने के लिए सम्मानित किया गया। उन्होंने आगे कहा, “सरकार देशभर में टीबी के निशुल्क ईलाज और देखभाल के लिए यूनिवर्सल एक्सेस सुनिश्चित करने को उच्च प्राथमिकता देती है। भारत में 10 करोड़ से भी ज्यादा की संख्या में जनजातीय आबादी है जिनके बीच काफी विविधताएं हैं। अपने निरंतर प्रयासों से, हमारी सरकार उनके स्वास्थ्य संकेतकों और समग्र कल्याण में विकास देखने में सक्षम है। सरकार भारत में पिछले 5 साल में टीबी के लिए बजट आवंटन चार गुना बढ़ा चुकी है। उच्च गुणवत्ता की दवाएं, नैदानिकी, डिजिटल पहलें, नवाचार से जुड़े निजी क्षेत्र का शामिल होना और सामुदायिक सहभागिता का हस्तक्षेप, ये सभी देश में टीबी के मामलों और मृत्यु दर में तेजी से गिरावट के लिए संरेखित हैं।”

मंत्रियों को बताया गया कि भारत में 104 मिलियन से अधिक जनजातीय आबादी रहती है, जिनमें 705 जनजातियां शामिल हैं और यह देश की 8.6 प्रतिशत जनसंख्या हैं। 177 जनजातीय जिलों को उच्च प्राथमिकता वाले जिलों के रूप में पहचाना गया है जहां दूरी, कुपोषण, जीवन की बद्तर स्थिति और जागरुकता की कमी, टीबी के लिए जनजातीय आबादी को संवेदनशील बनाती है। शुरू में, संयुक्त योजना की गतिविधियां 18 चिन्हित राज्यों के 161 जिलों पर ध्यान केंद्रित करेंगी। वे वहां पर उन्नत संवेदनशीलता मैपिंग तकनीक, स्वच्छता के संगठन और वॉलंटियर्स के लिए क्षमता निर्माण वर्कशॉप का आयोजन करेंगे, समय-समय पर टीबी के सक्रिय केसों की खोज के लिए मुहिम चलाएंगे, संवेदनशील आबादी की पहचान के लिए टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी (आईपीटी) के प्रावधान लागू करेंगे और संवेदनशीलता घटाने के लिए दीर्घकालिक तंत्र विकसित करेंगे।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निक्षय पोर्टल और जनजातीय कार्य मंत्रालय के स्वास्थ्य पोर्टल को जोड़ने से टीबी पर डेटा संकलन में मदद मिलेगी और कुशल व संमिलित कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा, “यदि हम 2030 के वैश्विक संधारणीय विकास लक्ष्य से भी पहले, 2025 तक यह लक्ष्य हासिल कर लेते हैं, तो भारत टीबी उन्मूलन में विश्व के लिए पाठ्यपुस्तक मार्गदर्शक बन जाएगा।”

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने संयुक्त योजना के निर्माण पर दोनों मंत्रालयों को बधाई दी और कहा, “जनजातीय समुदायों की स्वास्थ्य समस्याओं को कस्टमाइज्ड समाधान की आवश्यकता है। भारत के जनजातीय समुदायों से टीबी उन्मूलन के लिए दोनों मंत्रालयों की संयुक्त पहल देखकर खुशी होती है। मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में, हम ऐसे रोगों की पहचान करने में सक्षम होंगे जो जनजातीय समुदायों के बीच व्यापक रूप से फैली हुई हैं और उनके प्रसार को रोकने के लिए तंत्र तैयार करेंगे।

श्री अश्विनी कुमार चौबे ने सभी के लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए सरकार की चौतरफा पहलों पर बात की और देश के दूर-दराज इलाकों में अंतिम व्यक्ति तक टीबी के मरीजों को देखभाल पहुंचाने में मदद के लिए यूएसएआईडी, बीएमजीएफ और पीरामल फाउंडेशन को धन्यवाद दिया।

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इस अवसर पर श्रीमती आरती आहूजा, अतिरिक्त सचिव, स्वास्थ्य, श्री विकास शील, अतिरिक्त सचिव, स्वास्थ्य, डॉ. नवल जीत कपूर, संयुक्त सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय और दोनों मंत्रालयों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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