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भारत अपने पड़ोसी देशों को उड्डयन से संबंधित बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, कनेक्टिविटी और क्षमता निर्माण के लिए आवश्‍यक सहयोग देने को इच्‍छुक: हरदीप सिंह पुरी

देश-विदेश

नई दिल्ली: नागरिक उड्डयन, आवास एवं शहरी कार्य राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री हर‍दीप सिंह पुरी ने 13 अगस्‍त की शाम नई दिल्‍ली में ‘क्षेत्रीय सहयोग : पड़ोसी पहले – उड्डयन अवसंरचना, कनेक्टिवि‍टी और क्षमता निर्माण’ पर आयोजित गोलमेज सम्‍मेलन का उद्घाटन किया। नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से आयोजित इस सम्‍मेलन के दौरान उन उपलब्‍ध अवसरों और समाधानों (सॉल्‍यूशन) पर फोकस किया गया जिनकी पेशकश महत्‍वपूर्ण कार्यों में पारस्‍परिक सहयोग बढ़ाने के लिए की जा रही है। हवाई अड्डों पर बुनियादी ढांचागत सुविधाओं का विकास, हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाना और क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए गठजोड़ करना इन महत्‍वपूर्ण कार्यों में शामिल हैं। एशिया-प्रशांत (एपीएसी) के 11 देशों के मिशन प्रमुखों, नागरिक उड्डयन मंत्रालय में सचिव श्री प्रदीप सिंह खरोला, विदेश मंत्रालय में सचिव (ईआर) श्री टी. एस. त्रिमूर्ति और उद्योग एवं आंतरिक व्‍यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) में सचिव डॉ. गुरुप्रसाद मोहापात्रा और भारत सरकार के वरिष्‍ठ अधिकारियों तथा उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने भी इस सम्‍मेलन में भाग लिया।

श्री पुरी ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय उड्डयन या विमानन उद्योग देश में समग्र आर्थिक विकास में उल्‍लेखनीय भूमिका निभाता रहा है। इस क्षेत्र में उड्डयन सेक्‍टर के विकास से भारत के साथ-साथ इस क्षेत्र के अन्‍य देशों में भी व्‍यापक अवसरों एवं चुनौतियां उत्‍पन्‍न हुई हैं। उन्‍होंने कहा कि भारत हवाई परिवहन और हवाई नौपरिवहन सेवाओं के क्षेत्र में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं विकसित करने के लिए बड़े उत्‍साह के साथ आवश्‍यक कदम उठाता रहा है। श्री पुरी ने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों को उड्डयन से संबंधित बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, कनेक्टिविटी और क्षमता निर्माण के लिए आवश्‍यक सहयोग देने तथा उपयुक्‍त समाधानों (सॉल्‍यूशन) की पेशकश करने को इच्‍छुक है।

इस अवसर पर भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय में सचिव श्री प्रदीप सिंह खरोला ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत के उड्डयन क्षेत्र ने बड़ी तेजी से प्रगति की है उन्‍होंने कहा कि भारत अब अवसंरचना के उन्‍नयन, क्षमता निर्माण तथा हवाई कनेक्टिविटी के विकास के लिए व्‍यापक जानकारियों और सहभागिताओं के साथ दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के उपयुक्‍त क्षेत्रीय सहयोग संगठनों का समर्थन करने में सक्षम हो गया है।

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