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भारत अब समग्र स्वास्थ्य में विश्व स्तर पर नेतृत्व प्रदान करने की स्थिति में है – सर्बानंद सोनोवाल

देश-विदेश

केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ (आरएवी) के 26वें दीक्षांत समारोह और आज की जीवन शैली में तृण धान्य (बाजरा) के उपयोग विषय पर 28वें राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। उन्होंने युवा वैद्यों से भारत की पारंपरिक चिकित्सा और ज्ञान को दुनिया के नक्शे पर लाने और इस प्रकार भारत को एक नई बुलंदी पर पहुंचाने और मानव जाति की मदद करने के लिए खुद को तैयार करने को कहा।

आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई, आरएवी में शासी निकाय के अध्यक्ष वैद्य देविंदर त्रिगुणा, सचिव, एमओए वैद्य राजेश कोटेचा, विशेष सचिव एमओए श्री पी. के. पाठक, निदेशक एआईआईए, नई दिल्ली डॉ. तनुजा नेसारी, एमओए में सलाहकार (आयुर्वेद) वैद्य मनोज नेसारी, आरएवी के निदेशक वैद्य कौस्तुभ उपाध्याय और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

 

केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि कैसे हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आयुर्वेद में भारत को वैश्विक स्तर पर अग्रणी के रूप में स्थापित करने के लिए समर्पित भाव से काम किया। उन्होंने आगे कहा, “यह हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयास का नतीजालनतज है कि डब्ल्यूएचओ ने भारत में पारंपरिक चिकित्सा के वैश्विक केंद्र की स्थापना की। भारत अब समग्र स्वास्थ्य में विश्व स्तर पर नेतृत्व प्रदान करने की स्थिति में है क्योंकि आयुष क्षेत्र में संसाधन, अवसर और ऐसा करने की क्षमता भी है।“ उन्होंने आयुर्वेद के स्नातक छात्रों से ऐसे ही समर्पण के साथ काम करने और भारत को नई बुलंदियों पर ले जाने का आग्रह किया।

दीक्षांत भाषण गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने दिया। उन्होंने कहा कि “राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ (आरएवी) की कल्पना भारत के पारंपरिक ज्ञान की विरासत को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने के विचार के साथ की गई थी। मैं उन सभी को बधाई देता हूं जो आज स्नातक हो रहे हैं और आशा करते हैं कि आप सभी आयुर्वेद को दुनिया के कोने-कोने में ले जाने के लिए स्वेच्छाकर्मी बनेंगे और हमारे देश को विश्वगुरु बनाएंगे।“

उन्होंने आयुर्वेद के सभी जमे-जमाए चिकित्सकों और आयुर्वेद गुरुओं से अपील की कि वे अपने काम के आधार पर अधिक से अधिक केस रिपोर्ट का दस्तावेजीकरण और प्रकाशन करें।

आयुष राज्य मंत्री डॉ महेंद्रभाई मुंजापारा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि स्नातक छात्रों को आयुर्वेद क्षेत्र में नए नवाचारों में खुद को शामिल करना चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि आयुर्वेद पद्धति से इलाज कर रहे वैद्यों को स्वेच्छा से टीचिंग लाइन में आना चाहिए क्योंकि हर साल बड़ी संख्या में छात्र आयुर्वेदिक कॉलेजों से पास आउट हो रहे हैं।

इस अवसर पर सचिव आयुष वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, “आरएवी ने कई परियोजनाओं को अंजाम दिया है जो पहले कभी नहीं किए गए थे। आरएवी ने पिछले कुछ वर्षों में बहुत से अनूठे काम किए हैं। यह कोविड-19 अवधि के दौरान टेलीमेडिसिन को लागू करने वाली नोडल एजेंसी थी। इसके प्रयासों से आयुष मंत्रालय के समाधान को ई-संजीवनी ऐप के साथ एकीकृत करने में मदद मिली। मैं प्रसिद्ध चिकित्सकों और गुरुओं से जितना संभव हो अपने काम के तरीकों के आधार पर निष्कर्षों का दस्तावेज तैयार करने और उसे प्रकाशित करने का आग्रह करता हूं।“

कार्यक्रम के दौरान गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत को आरएवी की फैलोशिप दी गई और आयुष मंत्री द्वारा सम्मानित किया गया। इसके साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों के अन्य प्रसिद्ध वैद्यों को भी फेलोशिप दी गई। आरएवी और अमृता स्कूल ऑफ आयुर्वेद, कोल्लम, केरल के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य देश भर से 100 नैदानिक ​​मामलों का दस्तावेजीकरण करने वाला एक इंटरैक्टिव मल्टीमीडिया युक्त वेब प्लेटफॉर्म विकसित करना है।

इस दीक्षांत समारोह के साथ-साथ तृण धान्य (बाजरा) के उपयोग विषय पर दो दिवसीय 18वां राष्ट्रीय संगोष्ठी भी चल रही है, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से विद्वान और विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।

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