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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के शहादत दिवस पर ‘गांधीनामा’ का लोकार्पण

देश-विदेश

नई दिल्ली : राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के शहादत दिवस पर सर्वोदय इंटरनेशनल ट्रस्ट,वाणी प्रकाशन ग्रुप व इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के संयुक्त तत्वधान में सीडी देशमुख सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए अकबर इलाहबादी की 1946 में उर्दू में प्रकाशित कृति ‘गाँधीनामा के हिंदी संस्करण का लोकार्पण के साथ- साथ  परिचर्चा भी हुई। हिंदी में पहली बार ग्राफ़िक नॉविलिस्ट जाह्नवी प्रसाद की नयी कृतियुवा गाँधी की कहानियाँपर कला प्रदर्शिनी का आयोजन भी किया गया, यह प्रदर्शिनी एक हप्ते तक चलेगी। कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव में  डॉ. राधिका चोपड़ा द्वारा गांधी जी की शहादत  पर उर्दू कविता की प्रस्तुति और प्रो दानिश इकबाल के  द्वारा नाटकीय वाचन से बापू की स्मृतियों को याद किया गया ।

वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित प्रखर लेखिका, आलोचक और साहित्यिक इतिहासकार रख़्शंदा जलील द्वारा प्रस्तुत अकबर इलाहाबादी की 1946 में उर्दू में प्रकाशित ऐतिहासिक कृति गाँधीनामा के हिन्दी संस्करण है। परिचर्चा में वक्ताओं में लेखिका रख़्शंदा जलील, प्रख्यात समाजशास्त्री अभय कुमार दुबेश्री केकी दारूवाला और वाणी प्रकाशन ग्रुप की निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल  मौजूद थी।

लेखिका नमिता गोखले ने जाह्नवी प्रसाद की ग्राफिक नॉवल युवा गाँधी की कहानियाँ पर कहा कि “ इस ग्राफिक नॉवल का विजुअल उच्च कोटि के हैं और ग्राफिक व कथानक काफी खुबसूरत हैं. हिंदी में ग्राफिक नॉवल पहलीबार आई है यह युवा पीड़ी के लिए एक प्रेरणा है । यह किताब देखकर में बहुत संतुष्ट हुई कि हिंदी में भी अब ग्राफिक नॉवल आ रहे हैं आजकल ग्राफिक नॉवल का रोल बदल रहा हैं दुनियाभर में राजनैतिक विषयवस्तु पर ग्राफिक नॉवल आ रहे हैं” ।

रख़्शंदा जलील ने कहा ‘ महात्मा गांधी पर अकबर इलाहाबादी की पैनी नजर थी .गांधीनामा 1919-1921 दो वर्ष में लिखी गयी , वर्ष 1946 में उनके पोते ने इसे उर्दू में प्रकाशित करवाया था, लगभग 100 वर्ष पहले लिखी गयी यह पुस्तक आज की जरूरत है। इसमें अकबर इलाहाबादी ने लिखा है  कि अगर  हिंदू -मुसलमान अपने आपसी मतभेद को भुलाकर एक हो जायं तो समाज को बदल सकते हैं ।’

अभय कुमार दुबे ने इस मौके पर कहा कि ‘ अकबर इलाहाबादी की गांधीनामा की सोच आज के समाज और माहौल के लिए सटीक है,हिन्दी में यह पुस्तक प्रकाशित हुई है जो एक महत्वपूर्ण कदम है । आज भी देश-दुनिया में वंचितों, शोषितों को जब अपने अधिकारों की जंग लड़नी होती है तो वे गांधी जी के बताये आंदोलन की राह पर चलकर अपना हक हासिल करते हैं ।’

श्री केकी दारूवाला ने कहा ‘ महात्मा गांधी ने  लोगों की नब्ज महसूस किया और अपने अहिंसा आंदोलन को शुरू किया ।गांधीजी के पास सभी  समुदायों को साथ लेके चलने क़ा हुनर था जो बाकी आंदोलनकारियों के पास नही था ।वह भारत के सभी लोगों के साथ साथ  विभिन्न समुदायों के लिए भी लड़े , वह क्रांतिकारी थे और वे सभी धर्मों को मानने वाले व्यक्ति थे।’

अरुण माहेश्वरी,प्रबंध निदेशक वाणी प्रकाशन ग्रुप ने कहा “ अकबर इलाहाबादी की किताब नही एक इन्कलाब है ,इसमें इंकलाबी शायरी हैं ।  इसमें उन्होंने गाँधी के बारे में उस समय लिखा जब एक बड़े  संघर्ष की तैयारी हो रही थी और एक क्रांति का आगाज हो रहा था. यह किताब एक गंगा जमुनी तहजीब है” ।

अदिति माहेश्वरी गोयल निदेशक, वाणी प्रकाशन ग्रुप ने लोकार्पण पर बोलते हुए कहा “वाणी प्रकाशन गांधीनामा को लगभग 70-80 वर्ष बाद हिन्दी में लेके आया है .यह पुस्तक आज के समय की आवश्यकता थी .लेखिका रख़्शंदा जलील ने इसे  समकालीन माहौल और परिपेक्ष देखकर प्रस्तुत किया है”।

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