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उत्तराखंड में गंगा नदी पर बन रहे सभी पनबिजली और सुरंग परियोजनाओं के निर्माण को तत्काल बंद करने की गुहार भी लगाई

उत्तराखंड

देहरादून: आईआईटीयन्स फॉर होली गंगा का गठन देशभर के आईआईटी के पूर्व छात्रों ने गंगा नदी की विरासत और पारिस्थितिकी को संरक्षित करने के लिए किया है। इस संस्था ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी से उत्तराखंड में चल रहे सभी पनबिजली (एचईपी। और सुरंग परियोजनाओं के निर्माण कार्य को तत्काल रोकने के लिए आदेश जारी करने की गुजारिश की। साथ ही गंगा नदी बेसिन पर गठित आईआईटी कंसोर्टियम की सिफारिशों को लागू करने की मांग की, जिससे गंगा नदी के प्राकृतिक प्रवाह को सुनिश्चित किया जा सके।

पर्यावरण और वन मंत्रालय ने 2010 में सात भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) का एक कंसोर्टियम बनाया था। इस कंसोर्टियम को गंगा नदी बेसिन; पर्यावरण प्रबंधन योजना (जीआरबी ईएमपी) बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस कंसोर्टियम में आईआईटी बॉम्बे, दिल्ली, गुवाहाटी, कानपुर, खड़गपुर, मद्रास और रूड़की शामिल थे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की ओर से तैयार और सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में गंगा नदी बेसिन; पर्यावरण प्रबंधन योजना (जीआरबी ईएमपी) को विकसित करने के लिए रणनीति, सूचना, पद्धति, विश्लेषण और सुझाव के साथ सिफारिशें की गईं। रिपोर्ट में सबसे ज्यादा जोर गौमुख से ऋषिकेश तक ऊपरी गंगा नदी सेगमेंट के प्राकृतिक प्रवाह को सुनिश्चित करना था।

आईआईटीयन्स फॉर होली गंगा के अध्यक्ष श्री यतिन्दर पाल सिंह सूरी ने कहा कि“ केंद्र सरकार को आईआईटी कंसोर्टियम की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर चर्चा करनी चाहिए और इसे लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के चार साल पूरे हो गए हैं, लेकिन उत्तराखंड में पवित्र गंगा नदी के संरक्षण के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं दिख रहा, जो बेहद दुखदायी है। यहां तक की प्रस्तावित गंगा अधिनियम भी अब तक नहीं बन पाया है।“

श्री सूरी ने कहा कि“ उत्तराखंड में गंगा नदी पर पनबिजली परियोजनाओं और सुरंगों के निर्माण की वजह से नदी की पर्याप्त लंबाई में प्रति घंटा, प्रतिदिन और मौसम के प्रवाह में अहम बदलाव आया है। सुरंगों की वजह से नदी के प्रवाह का बड़ा हिस्सा प्रभावित हो रहा है और नदी का फैलाव संकुचित होता जा रहा है। राजमार्ग और चार धाम यात्रा के लिए चार लेन की सड़कों का निर्माण हालात को और बिगाड़ रहा है। अब गौमुख से ऋषिकेश तक महज 294 किलोमीटर नदी का केवल छोटा हिस्सा प्राकृतिक और प्राचीन रूप में बहता है।“

आईआईटीयन्स फॉर होली गंगा के कार्यकारी सचिव श्री एस के गुप्ता ने कहा कि“ हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी से सुप्रसिद्ध पर्यावरण वैज्ञानिक और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के पर्यावरण विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर 86 साल के प्रोफेसर जी डी अग्रवाल (स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद) की मांग को मान लेने की गुजारिश करते हैं। प्रोफेसर अग्रवाल की गंगा नदी पर डैमों के निर्माण के खिलाफ हरिद्वार में 22 जून से आमरण अनशन पर बैठने की योजना है।“

श्री गुप्ता ने कहा कि “प्रोफेसर अग्रवाल की तीन अहम मांगे हैं, जिसमें विष्णुगढ़ पिपलकोटी, सिंगोली भवरी, और फाटा बयोंग हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजन बंद करना, सेवानिवृत श्री गिरधर मालवीय के नेतृत्ववाली समिति की ओर से तैयार गंगा संरक्षण अधिनियम को संसद से पारित कराना और गंगा के बारे में किसी भी निर्णय से पहले अनुमति के लिए राष्ट्रीय गंगा अनुयायी समिति का गठन शामिल है। आईआईटीयन्स फॉर होली गंगा के कार्यकारी सदस्य श्री परतोष त्यागी ने कहा कि “इस क्षेत्र की विभिन्न नदियों पर मौजूदा और प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं का भी बड़े पैमाने पर और अपूरणीय क्षति में योगदान है। इनका गंगा नदी में बेरोकटोक प्रवाह बहुमुल्य पारिस्थितिक तंत्र को नष्ट करने के साथ साथ कई तरह से फायदेमंद गंगाजल को भी खराब कर रहा है। सामाजिक संगठनों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने समय समय पर इन खतरों से सरकार को आगाह किया है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।“

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