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राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री की उपस्थिति में गणतंत्र दिवस का परिसमाप्ति समारोह सम्पन्न

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक एवं मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की उपस्थिति में आज यहां रिजर्व पुलिस लाइन में गणतंत्र दिवस का परिसमाप्ति समारोह

(बीटिंग द रिट्रीट) आयोजित किया गया।
इस मौके पर मिलिट्री बैण्ड में 39 गोरखा टेªनिंग सेण्टर, ए0एम0सी0 सेण्टर, पाइप्स एवं ड्रम्स बैण्ड में डोगरा रेजिमेंटल सेण्टर फैजाबाद, बंगाल इंजीनियर, रुड़की, 16 आसाम, एस0एस0बी0 लखनऊ फ्रंटियर और 35 पी0ए0सी0 ब्रास बैण्ड द्वारा देशभक्ति से ओत-प्रोत मधुर धुनों का अलग-अलग शैलियों में आकर्षक प्रस्तुतिकरण किया गया। कार्यक्रम के मुख्य समन्वयक कैप्टन एस0आर0 भूसाल (आई0ओ0ए0बी0) रहे।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित परेड में प्रतिभाग करने वाले विभिन्न कन्टीजेन्ट्स को इस अवसर पर राज्यपाल श्री राम नाईक द्वारा पुरस्कार प्रदान किए गए। बेस्ट मार्चिंग कन्टीजेन्ट आर्मी का प्रथम पुरस्कार 8 कुमाऊँ रेजीमेन्ट को तथा द्वितीय पुरस्कार 16 आसाम रेजीमेन्ट को प्रदान किया गया। बेस्ट मार्चिंग कन्टीजेन्ट पैरा मिलेट्री का प्रथम पुरस्कार सशस्त्र सीमा बल महिला टुकड़ी, द्वितीय पुरस्कार केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल तथा तृतीय पुरस्कार भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल को दिया गया। बेस्ट मार्चिंग कन्टीजेन्ट पुलिस/पी0ए0सी0 होमगार्ड का प्रथम पुरस्कार पी0ए0सी0 32 बटालियन, द्वितीय पुरस्कार यू0पी0 पुलिस तथा तृतीय पुरस्कार यू0पी0 होमगार्ड को प्रदान किया गया। बेस्ट मार्चिंग कन्टीजेन्ट स्कूल एन0सी0सी0 का प्रथम पुरस्कार यू0पी0 सैनिक स्कूल बालक, द्वितीय पुरस्कार सेन्ट जोसेफ इण्टर काॅलेज बालिका तथा तृतीय पुरस्कार एन0सी0सी0 बालक को दिया गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रथम पुरस्कार डायल-100 के लिए सी0एस0एस0 गोमतीनगर-2, द्वितीय पुरस्कार पाॅलीथीन हटाओ पर्यावरण बचाओं के लिए सी0एस0एस0 गोमतीनगर-3, तृतीय पुरस्कार ब्रज की होली के लिए बाल विद्या मन्दिर चारबाग को दिया गया। बेस्ट बैण्ड आर्मी पैरा/पुलिस/पी0ए0सी0/होमगार्ड का प्रथम पुरस्कार संयुक्त रूप से ए0एम0सी0 सेण्टर एवं 39 जी0टी0सी0 व केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल को, तथा द्वितीय पुरस्कार संयुक्त रूप से भारत तिब्बत सीमा पुलिस व सशस्त्र सीमा बल तथा तृतीय पुरस्कार पी0ए0सी0 35 बटालियन को प्रदान किया गया। बेस्ट बैण्ड स्कूल का प्रथम पुरस्कार यू0पी0 सैनिक स्कूल, द्वितीय पुरस्कार लखनऊ पब्लिक काॅलेज, राजाजीपुरम तथा तृतीय पुरस्कार सी0एम0एस0, गोमतीनगर को प्रदान किया गया।
इस मौके पर प्रतिभाग मार्चिंग में एन0सी0सी0 बालिका, ब्वायज एग्लो बंगाली इण्टर काॅलेज तथा सी0एम0एस0 महानगर बालिका ने प्रतिभाग किया। साथ ही, प्रतिभाग सांस्कृतिक कार्यक्रम में ब्वायज एग्लो बंगाली इण्टर काॅलेज (माँ तुझे सलाम), लखनऊ पब्लिक काॅलेज, सहारा स्टेट (हरियाणवी नृत्य), सी0एम0एस0 राजेन्द्र नगर (तिरंगे की शान), लखनऊ पब्लिक काॅलेज (वन्दे मातरम्), रामेश्वरम् इण्टरनेशनल एकेडमी (पहाड़ी नृत्य), इरम इण्टर काॅलेज इन्दिरा नगर (शान्ती का प्रतीक) को पुरस्कृत किया गया। प्रतिभाग बैण्ड स्कूल सी0एम0एस0 कानपुर रोड द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर उद्घोषकों को भी सम्मानित किया गया।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित परेड के कमाण्डर कर्नल गगन आनन्द को भी इस मौके पर पुरस्कृत किया गया।
इस अवसर पर गणतंत्र दिवस पर आयोजित परेड में सम्मिलित झांकियों को राज्यपाल श्री राम नाईक तथा मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा पुरस्कृत किया गया। राज्य सरकार के विभागों द्वारा प्रस्तुत झांकियों में उ0प्र0 लखनऊ विकास प्राधिकरण की झांकी को प्रथम पुरस्कार, उ0प्र0 सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को द्वितीय पुरस्कार, उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम तृतीय, उ0प्र0 पर्यटन विभाग व उ0प्र0 उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किये गए।
इसके अलावा, विद्यालयों द्वारा प्रस्तुत झांकियों में सिटी माॅन्टेसरी स्कूल को प्रथम पुरस्कार, लखनऊ पब्लिक स्कूल्स एण्ड काॅलेजेज को द्वितीय पुरस्कार तथा अमीनाबाद इण्टर काॅलेज व इरम एजुकेशनल सोसाइटी को संयुक्त रूप से तृतीय पुरस्कार प्रदान किये गए।
इस अवसर पर राजनैतिक पंेशन मंत्री श्री राजेन्द्र चैधरी, मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन, डी0जी0पी0 श्री जावीद अहमद व अन्य जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन, पुलिस एवं सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
ज्ञातव्य है कि ‘परिसमाप्ति समारोह’ की प्रथा उस पुरातन काल से चली आ रही है, जब सूर्यास्त होने के बाद युद्ध बन्द कर दिया जाता था। बिगुल पर रिट्रीट की धुन सुनते ही योद्धा युद्ध बन्द कर देते थे और अपने शस्त्र समेटकर रणस्थल से अपने शिविरों को चले जाते थे। रिट्रीट के समय सेनाओं के झण्डे और निशान उतारकर रख दिये जाते थे। नगाड़ा बजाना ‘ड्रम बीट्स’ उस काल का प्रतीक है, जब कस्बों तथा शहरों में रहने वाले सैनिकों को सायंकाल निश्चित समय पर अपने शिविरों में वापस बुला लिया जाता था। इन्हीं प्राचीन प्रथाओं के मेलजोल से वर्तमान ‘परिसमाप्ति समारोह’ का जन्म हुआ है।

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