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आईएचजीएफ दिल्‍ली मेले का 42वां संस्‍करण 14 अक्‍टूबर, 2016 को शुरू होगा

देश-विदेश

नई दिल्ली: आईएचजीएफ-दिल्‍ली शरद मेला – 2016 इंडिया एक्‍पो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा, एक्‍सप्रेस-वे में 14 से 18 अक्‍टूबर, 2016 तक आयेाजित किया जा रहा है। हस्‍तशिल्‍प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) के कार्यकारी निदेशक श्री राकेश कुमार ने बताया कि भारत हस्‍तशिल्‍प और उपहार मेले के 42वें संस्‍करण में देशभर के 2,950 से अधिक प्रदर्शक होंगे और 1,90,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में गृह, जीवन शैली, फैशन, परिधान उत्‍पादों के स्‍टाइल और डिजाइन के लगभग 2000 उत्‍पाद प्रदर्शित किए जाएंगे। उन्‍होंने कहा कि ईपीसीएच द्वारा आयोजित इस मेले में 110 से अधिक देशों के 5000 से अधिक खरीददार और 450 से अधिक खरीदारी करने वाले एजेंट शामिल हो रहे हैं। यह मेला असाधारण है क्‍योंकि इसमें केवल भारतीय प्रतिभागी प्रदर्शक हैं, ज‍बकि अपने देशों में सभी वर्ग के उपभोक्‍ताओं की मांग को पूरा करने के लिए व्‍यापक और अलग-अलग रेंज के उत्‍पाद लेने के लिए विश्‍वभर से खरीददार आने वाले हैं।

श्री कुमार ने कहा कि इस मेले की विशेषता यह है कि प्रदर्शन के सभी उत्‍पाद अच्‍छी और उच्‍च किस्‍म के हैं। खरीददार उच्‍च, मध्‍यम वर्ग के साथ ही आम जन और निम्‍न आय वर्ग के उपभोक्‍ताओं की जरूरत के मुताबिक उत्‍पादों का चयन कर सकते है। भारतीय उत्‍पादों का अन्‍य विशिष्‍ट पहलू यह है कि वे हस्‍तशिल्‍प है और केवल इनकी फीनिशिंग में ही मशीन का इस्‍तेमाल किया जाता है। उत्‍पाद, डिजाइन, रंग और कच्‍चे माल के तौर पर भारत का विशिष्‍ट स्‍थान है। भारतीय उत्‍पाद पर्यावरण अनुकूल होते है, क्‍योंकि इनका ज्‍यादातर कच्‍चा माल प्राकृतिक होता है। इसके अलावा इनमें रसायनिक रंगों के स्‍थान पर प्राकृतिक वनस्‍पति रंगों का इस्‍तेमाल किया जाता है।

प्रदर्शनी में उपहार और सजावटी सामान के उत्‍पादों में फर्नीचर, गृह सज्‍जा, घर में उपयोगी सामान, फैशन ज्‍वैलरी और सामान, लैंप और लाइटिंग, क्रिस‍मस और त्‍यौहार के सजावटी सामान, कालीन और गलीचें, बाथरूम का सामान, बगीचे का सजावटी सामान, शैक्षिक खिलौने और खेल, हस्‍त निर्मित कागज के उत्‍पाद, चमड़े के बैग और केस, मोमबत्तियां, अगरबत्‍ती और धूपबत्‍ती शामिल हैं। ये उत्‍पाद लकड़ी, धातु, बेंत और बांस, कपड़ा, प्राकृतिक रेशे, ऊन, सिल्‍क, जूट, पत्‍थर, हड्डी और सींग, मिट्टी और लाख से बने हैं।

ऑस्‍ट्रेलिया और ब्रिटेन के उपहार और सजावटी सामान के बारे में अंतर्राष्‍ट्रीय प्रकाशनों के संपादक भी इस प्रदर्शनी का दौरा करेंगे और अपने आगामी अंकों के लिए यहां की कहानियां छापेंगे।

विदेशी खरीदारों के अतिरिक्‍त कई प्रमुख खुदरा श्रृंखला के घरेलू खरीददारों और ई-वाणिज्‍य कंपनियों ने भी आईएचजीएफ-दिल्‍ली शरद मेला 2016 में शामिल होने का फैसला किया है। अमरीका और यूरोप के मकान खरीददार, खरीददार एजेंट, आयातक और थोक विक्रेताओं के प्रतिनिधि भी मेले में आएंगे।

मेले का एक आकर्षण पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के उत्‍पादों का विषयगत मंडप होगा। पर्यावरण अनुकूल‍ शिल्‍प की दृष्टि से पूर्वोत्‍तर क्षेत्र देश का सबसे समृद्ध क्षेत्रों में से एक है। उम्‍मीद है कि प्राकृतिक रेशे से बने बैग, बेंत और बांस, फर्नीचर, सजावटी, उपहार के सामान, सुखे फूल, शॉल और हाथ से बुने कपड़े जैसे उत्‍पाद दर्शकों के आकर्षण का केंद्र होंगे और यहां इस क्षेत्र के उद्यमियों के लिए अच्‍छा कारोबार हो सकता है। इसके अलावा नारसापुर (आंध्र प्रदेश) के लेस और लेस शिल्‍प और जोधपुर के लकड़ी के हस्‍तशिल्‍प भी मेले में प्रदर्शित किए जाएंगे।

प्रतिभागी कंपनियों के बारे में जानकारी देने के लिए मेले स्‍थल पर ही सूचना सम्‍मेलन होंगे, जिनमें अमरीकी बाजार में निर्यात बढ़ाने, साइबर सुरक्षा, व्‍यापार बढ़ाने में इंटरनेट का इस्‍तेमाल जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।

आईएचजीएफ-दिल्‍ली मेले ने विदेशी खरीददारों के बीच पहले से ही प्रतिष्‍ठा हासिल कर ली है और यह भारतीय निर्यात समुदाय के बीच मार्केटिंग का अति प्रभावी माध्‍यम है। 1994 में शुरूआत से अब तक 22 वर्ष की अवधि में इस मेले का भारत से हस्‍तशिल्‍प निर्यात उद्योग के क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण योगदान है। इसमें न केवल भारतीय निर्यातक बड़ी संख्‍या में प्रतिभागी होते हैं, बल्कि इससे विदेशी खरीददारों को एक स्‍थान पर, एक ही समय में, एक ही छत के नीचे भारत से अपनी जरूरत का सामान मिल जाता है। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री राकेश कुमार के अनुसार अधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने में आईएचजीएफ ने सबसे महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है।

वर्ष 2015-16 में हस्‍तशिल्‍प निर्यात 21457.91 करोड़ रूपये रहा, जो इससे पिछले वर्ष की तुलना में 6.85 प्रतिशत अधिक था। वर्तमान वित्‍त वर्ष 206-17 के पहले छह महीने के दौरान 13005.35 करोड़ रूपये का निर्यात किया गया है और उम्‍मीद है कि वर्ष 2016-17 के लिए निर्धारित लक्ष्‍य से अधिक हासिल किया जा सकेगा।

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