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कितना महंगा है निशानेबाजी का शौक और शूटिंग स्पोर्ट्स में करियर बनाना

खेल समाचार

हथियार सबको आकर्षित करते हैं और बंदूक से निशानेबाजी करने की थोड़ी बहुत हसरत तो हर शख्स के दिल में होती है. अगर इस खेल का शौक लग जाए तो फिर ये जुनून बन जाता है, और अक्सर यही जुनून किसी खिलाड़ी को कामयाबी की ऊंचाई तक ले जाता है. शूटिंग को सबसे महंगे खेलों में शुमार किया जाता है, जाहिर है इसका खर्च भी ज्यादा है. हालांकि निशानेबाजी के खेल में कुछ ऐसे इवेंट भी हैं जिनका खर्च कुछ कम है. शूटिंग में जो भी सामान इस्तेमाल होता है उसमें ज्यादातर विदेशों से ही आयात किया जाता है. बंदूक और कारतूस आयात करने के लिए नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की तरफ से जारी इम्पोर्ट परमिट की जरूरत भी पड़ती है, जो नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में क्वालिफाई करके ‘रिनाउंड शॉट’ सर्टिफिकेट हासिल करने वाले खिलाडियों को ही दिया जाता है. यहां हम आपको बताते हैं कि निशानेबाजी के खेल की ट्रेनिंग पर कितना खर्च होता है..

सबसे ज़्यादा खर्च शॉटगन इवेंट्स में होता है, ट्रैप और स्कीट इवेंट खुली रेंज पर होती हैं. मशीन से निकलकर क्ले टारगेट हवा में उड़ता है, जिस पर शूटर निशाना लगाता है. इसमें अलग अलग इवेंट के हिसाब से कभी एक तो कभी दो क्ले टारगेट निकलते हैं, जिन्हें शूट किया जाता है. मैच के दौरान ट्रैप और स्कीट में एक खिलाड़ी को 125 टारगेट मिलते हैं, जबकि डबल ट्रैप में 150 क्ले टारगेट पर निशाना लगाना होता है. इस खेल के लिए शॉटगन की कीमत तकरीबन साढ़े 3 लाख रुपए से शुरू होती है, फिर अपने बजट और जरूरत के हिसाब से आप इससे कई गुना महंगी बंदूक भी खरीद सकते हैं. Baretta और Perazzi कम्पनी की बंदूक सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाती हैं.

शॉटगन में 12 बोर के कारतूस इस्तेमाल किये जाते हैं, विदेशों से इम्पोर्ट होने वाले इस कारतूस की कीमत तकरीबन 40 रुपए होती है. क्ले टारगेट जिसपर निशाना लगाया जाता है वो 6 से 10 रुपए के बीच पड़ता है. भारत के राज्यवर्धन सिंह राठौर ने डबल ट्रैप इवेंट में साल 2004 के एथेंस ओलिंपिक में रजत पदक जीता था. मानवजीत सिंह संधू, अनवर सुल्तान, रंजन सोढी, मनशेर सिंह और मैराज अहमद खान शॉटगन इवेंट्स के बेहतरीन निशानेबाज हैं.

50 मीटर प्रोन और थ्री पोजीशन राइफल का खर्चा

50 मीटर की रेंज पर .22 बोर राइफल के दो इवेंट होते हैं, 50 मीटर प्रोन और थ्री पोजीशन राइफल. 50 मीटर प्रोन इवेंट में 60 गोली का मैच होता है, जबकि 50 मीटर थ्री पोजीशन राइफल में 120 शॉट फायर करने होते हैं. मैच शुरू होने से पहले खिलाडियों को 15 मिनट तैयारी का टाइम मिलता है, जिसमें अनलिमिटेड गोलियां चलाने के साथ अपनी राइफल और पोजीशन सेट कर सकते हैं. अब अगर खर्च की बात करें तो .22 बोर की राइफल की कीमत ढाई लाख रुपए से शुरू होती है, Walther और Anschutz कम्पनी की राइफल ज़्यादा इस्तेमाल की जाती हैं. राइफल शूटिंग में इस्तेमाल होने बाकि उपकरणों पर भी तकरीबन 50 हजार रुपए खर्च होते हैं. शूटिंग के लिए .22 बोर का कारतूस 8 रुपए से शुरू होता हैं जो क्वालिटी के मुताबिक कई गुना तक महंगा भी मौजूद है. इस इवेंट में भारत के संजीव राजपूत, अंजलि भागवत, सुमा शिरूर, जॉयदीप कर्माकर, तेजस्विनी सावंत और कई खिलाड़ी भारत का नाम रौशन कर चुके हैं.

25 मीटर शूटिंग रेंज पर होते हैं 4 अलग इवेंट, सबका खर्च अलग

25 मीटर शूटिंग रेंज पर 4 अलग अलग तरह की इवेंट होती हैं, जिनमें रैपिड फायर पिस्टल, 25 मीटर स्पोर्ट पिस्टल, स्टैंडर्ड पिस्टल और सेंटर फायर पिस्टल इवेंट शामिल हैं. 2012 के लंदन ओलंपिक में भारत के विजय कुमार ने सिल्वर मेडल जीता था. मैच में 60 शॉट चलाने हैं, इसके अलावा साइटर पर 5 गोली फायर करनी होती हैं, जिनका स्कोर रिकॉर्ड पर नहीं आता. सेंटर फायर पिस्टल के अलावा बाकि सभी स्पर्धाओं में .22 बोर की पिस्टल का इस्तेमाल होता है. आजकल सबसे ज्यादा परदिनी (Pardini) पिस्टल इस्तेमाल होती है, जबकि वाल्थर (Walther) और मोरिनी (Morini) की पिस्टल भी अच्छी मानी जाती हैं. पिस्टल की कीमत तकरीबन डेढ़ लाख रुपए से शुरू होती है. .22 बोर के कारतूस की कीमत तकरीबन 8 रुपए से शुरू होती है. पिस्टल शूटिंग के बाकि उपकरणों पर भी तकरीबन 30 हजार रुपए का खर्च आता है. सबसे महंगा सेंटर फायर पिस्टल इवेंट पड़ता है, जिसके कारतूस की कीमत तकरीबन 80 रुपए है. भारत के जसपाल राणा इस इवेंट में वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी कर चुके हैं.

50 मीटर फ्री स्टाइल पिस्टल का खर्च

50 मीटर फ्री पिस्टल इवेंट में भी 60 शॉट का मैच होता है, उससे पहले 15 मिनट का प्रिपेरेशन और साइटिंग का टाइम मिलता है, जिसमें अनलिमिटेड गोली चला सकते हैं. इस इवेंट में भी .22 बोर की पिस्टल ही इस्तेमाल होती है, लेकिन ये पिस्टल कुछ अलग होती है, इसकी बैरल 25 मीटर पर इस्तेमाल होने वाली पिस्टल से लंबी होती है. Morini और Pardini के फ्री पिस्टल आजकल ज्यादा इस्तेमाल किये जाते हैं. जिनकी कीमत डेढ़ लाख रुपए से शुरू होती है. इस इवेंट में भारत के जीतू राय, समरेश जंग और पीएन प्रकाश ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं.

10 मीटर पिस्टल और राइफल का खर्च

10 मीटर की रेंज पर एयर पिस्टल और एयर राइफल इवेंट होते हैं. दोनों ही इवेंट्स में 60-60 शॉट चलाने होते हैं. लेकिन दोनों बंदूकें अलग तरह की होती हैं, जिनमें .177 कैलिबर का छर्रा चलाया जाता है. 10 मीटर राइफल और पिस्टल में मिक्स इवेंट भी है, जिसमें एक महिला और एक पुरूष शूटर मिलकर 40-40 शॉट का मैच करते हैं। एयर पिस्टल स्विटज़रलैंड की Morini, ऑस्ट्रिया की Steyr और इटली की Pardini पिस्टल इन दिनों ज्यादा पसंद की जा रही हैं. जबकि Walther और Anschutz की राइफल को निशानेबाज ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. 10 मीटर पिस्टल और राइफल इवेंट में इस्तेमाल होने वाले छर्रे यानि Pellets भी जर्मनी और दूसरे देशों से इम्पोर्ट किये जाते हैं, मैच में इस्तेमाल किये जाने वाले छर्रे के टिन की कीमत 600 से 800 रुपए है, जिसमें 500 छर्रे होते हैं. कुछ कम कीमत वाले छर्रे भी उपलब्ध हैं जिन्हें ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. भारत के अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर राइफल इवेंट में साल 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था, जबकि गगन नारंग ने 2012 के लंदन ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रौशन किया.

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