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आम आदमी पार्टी के बागियों की बैठक में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सीधी लड़ाई का ऐलान

देश-विदेश

नई दिल्ली : गुड़गांव में मंगलवार को आम आदमी पार्टी के बागियों की बैठक में पार्टी के भीतर रहकर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सीधी लड़ाई का ऐलान किया गया। योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण गुट की इस बैठक में अलग पार्टी न बनाकर संघर्ष और आंदोलन के रास्ते पर चलने की रणनीति बनाई गई।

योगेंद्र यादव ने बैठक को संबोधित करते हुए केजरीवाल के खिलाफ ‘ऑप्शन बी’ यानी संघर्ष, आंदोलन और अभियान की रणनीति का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अभी अलग पार्टी बनाने का नहीं, दूसरों को कुछ वक्त देने की जरूरत है। यादव ने कहा, ‘इससे पार्टी में या तो बदलाव आएगा, नहीं तो पार्टी में आपको अपना रास्ता खुद दिखाई दे जाएगा।’
उन्होंने कहा, ‘बीच का एक ऑप्शन है, ऑप्शन बी। यह ऑप्शन कहता है संघर्ष करें, आंदोलन करें, अभियान चलाएं। बाद में इसकी समीक्षा करें। 6 महीने बाद बैठेंगे और समीक्षा करेंगे।’ उन्होंने कहा कि ‘जुए में एक स्थिति डबल और पिच की होती है। मतलब दांव छोड़ दो या डबल कर दो। आज हम ऐसे ही मोड़ पर खड़े हैं। मैं डबल करने के लिए तैयार हूं। मैंने जीवन के बचे सारे साल वैकल्पिक राजनीति को देने का प्रण लिया है।’
बैठक में प्रशांत भूषण ने केजरीवाल पर पार्टी पर कब्जा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पार्टी पर से केजरीवाल का कब्जा छुड़ाने के लिए वे कोर्ट या चुनाव आयोग का रुख नहीं करेंगे। बैठक के दौरान मंच पर मौजूद प्रफेसर आनंद कुमार रो पड़े। प्रशांत भूषण ने केजरीवाल पर हमला करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल और उनकी चौकड़ी की नहीं है। लाखों लोगों ने इसे खड़ा किया है।
उन्होंने कहा, ‘पार्टी के कई लोग यह मानते हैं। वे चाहते हैं कि हम चुनाव आयोग जाकर उनके हाथों से इस पार्टी को मुक्त कराएं। जिस पार्टी को हमने बनाया, कुछ लोगों ने उस पर कब्जा कर लिया।’ भूषण ने कहा कि अगर हम कब्जा छुड़ाने की कोशिश करेंगे तो हमें चुनाव आयोग और कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
भूषण ने कहा कि उन्होंने और उनके साथियों ने पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र व स्वराज की मांग उठाई, जिसके सजा उन्हें पीएसी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकालकर दी गई।
उन्होंने कहा, ‘हमारी मांग थी कि बड़े फैसलों पर पार्टी कार्यकर्ताओं से भी राय ली जाए। चुनाव का राज्य की इकाइयों को अधिकार दिया जाए। लेकिन फैसला यह किया गया कि पीएसी को इसका अधिकार दे दिया गया। इसका मतलब यह हुआ कि अकेले संयोजक यह फैसला लेंगे कि किसी राज्य में चुनाव हो या न हो। पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का यह हाल हो गया है कि इसकी आवाज उठाने वालों को पीएसी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाल दिया गया। आज हमने सुना है कि संवाद के आयोजन पर उन्हें और उनके साथियों को पार्टी से भी निकाल दिया गया है।’

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