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प्रदेश सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने और लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने और लोगों को इंसाफ

दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। न्यायपालिका सुचारु रूप से अपना कार्य तभी सम्पादित कर सकती है, जब उसे सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हों। इसके मद्देनजर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने न्यायपालिका के लिए संसाधनों और सुविधाओं में बढ़ोत्तरी का काम लगातार किया है।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने यह विचार आज नई दिल्ली में मुख्य मंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के लिए दिए गये अपने वक्तव्य में व्यक्त किये, जिसे प्रमुख सचिव न्याय श्री अब्दुल शाहिद द्वारा पढ़ा गया। श्री यादव ने अपने वक्तव्य में कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्ड पीठ के नवीन भवन के निर्माण का कार्य राज्य सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में पूरा किया है। लगभग 1387 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित, सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त इस भव्य और आकर्षक भवन का उद्घाटन विगत माह माननीय उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा किया गया है।
श्री यादव ने कहा कि देश का संविधान शासन के सभी अंगों यानि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को आपसी सम्मान व ताल-मेल के साथ जनहित में सभी को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय साथ समान अवसर प्रदान करने की बात कहता है। प्रदेश की समाजवादी सरकार सदैव न्यायपालिका में पूर्ण आस्था, विश्वास व सम्मान प्रकट करती रही है। हमें न्यायपालिका के गौरवशाली इतिहास एवं परम्परा पर गर्व है। न्यायपालिका एवं कार्यपालिका एक-दूसरे की पूरक हैं। इन्हें आपस में सामंजस्य रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि मा0 उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को प्रत्येक मामले में मा0 न्यायालय में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा, तो वे कैसे अपने दैनिक कर्तव्यों का निर्वहन कर सकेंगे और कैसे जनता की समस्याओं का समाधान कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार का यह भी मानना है कि न्यायालय की भाषा, जनता की भाषा होनी चाहिए और अब समय आ गया है कि इस पर गम्भीरता से विचार किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अपने सीमित आर्थिक संसाधनों के दृष्टिगत न्यायिक क्षेत्र के लिए कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू किए जाने हेतु भारत सरकार से अधिक से अधिक आर्थिक सहयोग की अपेक्षा करती है, ताकि न्यायपालिका को सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करायी जा सकें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के दिनांक 23 अप्रैल, 2015 के पत्र के माध्यम से चैदहवें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए न्याय प्रणाली को मजबूत करने के लिए वित्तीय वर्ष 2015-16 में केन्द्रीय अन्तरण में वृद्धि के दृष्टिगत, राज्य को प्राप्त हो रहे फिस्कल स्पेस के अधीन पर्याप्त धनराशि का आवंटन करने की अपेक्षा राज्य सरकार से की गयी है।
श्री यादव ने कहा कि इस बारे में उनके पत्र दिनांक 09 जून, 2015 एवं 21 सितम्बर, 2015 के माध्यम से प्रधानमंत्री जी को विस्तार से यह अवगत कराया गया कि चैदहवें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए न्याय प्रणाली को मजबूत करने के लिए वित्तीय वर्ष 2015-2016 में केन्द्रीय अन्तरण में वृद्धि के दृष्टिगत राज्य को प्राप्त फिस्कल स्पेस में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध नहीं हो पा रही है। उन्होंने यह अनुरोध भी किया कि न्यायपालिका की अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए केन्द्रांश की धनराशि नियमित रूप से राज्य सरकार को उपलब्ध करायी जाए, ताकि धनाभाव के कारण निर्माणाधीन परियोजनाएं रुकने न पाएं तथा नयी परियोजनाओं के लिए भी धनराशि उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि वादों की संख्या में बढ़ोत्तरी के साथ ही न्यायिक प्रणाली में होने वाला व्यय भी बढ़ रहा है। राज्यों के सीमित वित्तीय संसाधनों को देखते हुए इस हेतु केन्द्रीय सहायता बढ़ाने की जरूरत है, जिससे राज्य सरकारों पर पड़ने वाले अतिरिक्त आर्थिक बोझ को कम किया जा सके।
श्री यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने न्यायिक प्रशासन को मजबूत बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं। इसमें उच्च न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करना, पत्रावलियों एवं अभिलेखों के डिजिटाइजेशन, माननीय न्यायमूर्तिगण के आवासों के निर्माण आदि शामिल हैं। इसके साथ ही इस वित्त वर्ष में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्तर से लेकर सिविल जज (जूनियर डिवीजन) स्तर तक के कुल 500 न्यायालयों के सृजन का प्रस्ताव है। इस वित्त वर्ष के बजट में न्यायालय भवनों के निर्माण एवं न्यायिक अधिकारियों के लिए आवास निर्माण हेतु 400 करोड़ रुपए, न्यायालय भवनों के निर्माण हेतु अधिग्रहीत की जाने वाली भूमि के प्रतिकर के भुगतान हेतु 100 करोड़ रुपए, अनावासीय एवं आवासीय भवनों के अनुरक्षण के लिए 23 करोड़ रुपए की धनराशि का प्राविधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने विशिष्ट भ्रष्टाचार संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए 22 नये अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद, 63 जनपदों में पारिवारिक न्यायालयों की स्थापना के साथ ही उच्चतर न्यायिक सेवा संवर्ग, जिला जज (एन्ट्री लेवल) के 63 पद, 104 ग्राम न्यायालयों हेतु 104 सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के पदों का सृजन तथा महिलाओं के उत्पीड़न सेे संबंधित आपराधिक मुकदमों की सुनवाई के लिए 80 फास्ट ट्रैक कोर्ट भी गठित किये हैं। लम्बित वादों की संख्या में कमी लाने के लिए 38 अतिरिक्त न्यायालयों एवं 212 फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना भी की गयी है। अधीनस्थ न्यायालयों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए भी बजट व्यवस्था की गयी है।
श्री यादव ने कहा कि अधिवक्ता हमारे देश की न्याय व्यवस्था का एक अहम अंग हैं। आम जनता को न्याय दिलाने में इनकी बेहद खास भूमिका होती है। इसीलिए उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार अधिवक्ताओं की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी के लिए भी लगातार प्रयासरत है। राज्य सरकार द्वारा पिछलों चार वर्षों में अधिवक्ता कल्याण निधि को 200 करोड़ रुपये की धनराशि एवं युवा अधिवक्ताओं कीे आर्थिक सहायता हेतु 10 करोड़ रुपए उपलब्ध कराये हैं। अधिवक्ता की मृत्यु के पश्चात् उनके आश्रितों को 5.00 लाख रुपए की धनराशि का प्राविधान किया गया है। राज्य की पिछली एवं वर्तमान समाजवादी सरकार ने अधिवक्ता चैम्बर एवं पुस्तकालय कक्षों के निर्माण के लिए लगभग 120 करोड़ रुपए की धनराशि दी है।
सम्मेलन में केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री डी0वी0 सदानन्द गौड़ा सहित उच्चतम और उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति, अधिवक्ता, मीडियाकर्मी, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

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