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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान (एनएफएसएम) के तहत खाद्य फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए भारत सरकार की पहल

देश-विदेश

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान (एनएफएसएम) वर्ष 2007-08 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य, खेती के रकबे का विस्तार और उत्पादकता बढ़ाने के माध्यम से चावल, गेहूं और दालों के उत्पादन को बढ़ाना; मिट्टी की उर्वरता और उत्पादकता में सुधार करना; रोजगार के अवसर पैदा करना और कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना है। एनएफएसएम के तहत मोटे अनाज वर्ष 2014-15 से शामिल किए गए थे। यह अभियान, 25 मिलियन टन अतिरिक्त खाद्यान्न उत्पादन के लक्ष्य के साथ 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान जारी रखा गया था। इसके तहत 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक 10 मिलियन टन चावल, 8 मिलियन टन गेहूं, 4 मिलियन टन दलहन और 3 मिलियन टन मोटे अनाज का अतिरिक्त उत्पादन का लक्ष्य हासिल करना था। बारहवीं योजना के बाद, इस अभियान को 13 मिलियन टन खाद्यान्न के नए अतिरिक्त लक्ष्य के साथ जारी रखा गया था। इसके अंतर्गत वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक 5 मिलियन टन चावल, 3 मिलियन टन गेहूं, 3 मिलियन टन दालें और 2 मिलियन टन पोषक तत्वों वाले मोटे अनाज का अतिरिक्त उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था।

एनएफएसएम में वर्तमान में उप-घटक अर्थात, एनएफएसएम-चावल, एनएफएसएम- गेहूं, एनएफएसएम- दलहन, एनएफएसएम- मोटे अनाज, एनएफएसएम- पोषक तत्वों वाले अनाज और एनएफएसएम- वाणिज्यिक फसल शामिल हैं। एनएफएसएम को देश के 28 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश, जम्मू-कश्मीर (जे एंड के) और लद्दाख के चुने हुए जिलों में लागू किया जा रहा है। 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के 193 जिलों में एनएफएसएम- चावल, 10 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के 124 जिलों में एनएफएसएम-गेहूं, 28 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के 644 जिलों में एनएफएसएम-दलहन और 26 राज्यों और 2 केन्द्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के 269 जिलों में एनएफएसएम- मोटे अनाज। किसानों को प्रथाओं के उन्नत पैकेज पर क्लस्टर प्रदर्शनों के आयोजन और फसल प्रणाली पर प्रदर्शनों के लिए सहायता प्रदान की जा रही है। लगभग 80.00 हेक्टेयर क्षेत्र में नई उन्नत फसल उत्पादन प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के लिए वर्ष 2014-15 से 2019-20 तक खाद्यान्न फसलों जैसे चावल, गेहूं, दालों और मोटे सह पोषक-अनाज को प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों के तहत शामिल किया गया है।

इस अभियान के तहत, अधिक उपज देने वाली किस्मों-एचवाईवी के बीज वितरण, कृषि मशीनरी / संसाधन संरक्षण मशीनरी / उपकरण, कुशल जल अनुप्रयोग उपकरण, पौधा संरक्षण, पोषक तत्व प्रबंधन और किसानों को फसल प्रणाली आधारित प्रशिक्षण आदि प्रदान किए जाते हैं। वर्ष 2020-21 से किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों / छोटे भंडारण केंद्र/ लचीले हस्तक्षेप को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार इस अभियान में जोड़ा गया है।

इस अभियान में बीज प्रतिस्थापन दर और प्रजातीय प्रतिस्थापन में सुधार के लिए ध्यान केंद्रित किया गया है। नवीनतम किस्मों की छोटी किट को केंद्रीय बीज एजेंसियों के माध्यम से किसानों के घर पर मुफ्त में वितरित किया जाता है। खाद्यान्नों की उन्नत किस्मों के बीज प्रतिस्थापन दर (एसआरआर) को बढ़ाने के लिए, वर्ष 2014-15 से 2019-20 तक एनएफएसएम के तहत चावल, गेहूं, दालों और मोटे अनाजों की अधिक उपज देने वाली किस्मों / हाइब्रिड किस्मों के लगभग 74 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज वितरित किए गए थे।

किसान के द्वार तक दलहन और पोषक-अनाज की अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए वर्ष 2014-15 से 2019-20 तक लगभग 16 लाख क्विंटल दालों और पोषक-अनाज के प्रमाणित बीज का उत्पादन किया गया था।

वर्ष 2014-15 से 2019-2020 तक लगभग 110 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, जैव-उर्वरक, मिट्टी के अमेलोरैंट्स / (जिप्सम / चूना/ अन्य) के साथ इलाज का लक्ष्य प्राप्त करने में यह अभियान सक्षम है। एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) के तहत लगभग 120 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का लक्ष्य वर्ष 2014-15 से 2019-20 के दौरान हासिल किया गया था। किसान के खेत में मशीनीकरण को मजबूत करने के लिए वर्ष 2014-15 से 2019-2020 तक एनएफएसएम के तहत लगभग 15 लाख उन्नत कृषि उपकरण वितरित किए गए। “हर खेत को पानी” और “प्रति बूंद अधिक फसल” के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, वर्ष 2014-15 से 2019-2020 तक के एनएफएसएम के तहत किसानों के बीच 2,74,600 पंप सेट और 1,26,967 पानी का छिड़काव करने वाले यंत्र तथा पानी ले जाने वाले लगभग 764 लाख मीटर पाइप वितरित किए गए। वर्ष 2014-15 से 2019-2020 तक किसानों को वास्तविक समय में नई उन्नत फसल उत्पादन और संरक्षण प्रौद्योगिकियों के बारे में, किसानों की क्षमता निर्माण के लिए 60677 फसल प्रणाली आधारित प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए और इससे लगभग 18 लाख किसान लाभान्वित हुए।

वर्ष 2014-15 से 2019-2020 के दौरान, राज्यों और अन्य कार्यान्वयन संस्थानों को केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में योजना के तहत 8760.81 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। देश में कार्यक्रम के कार्यान्वयन और राज्य सरकारों के साथ-साथ भारत सरकार द्वारा किए गए ठोस प्रयासों के बाद 2014-15 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 252.02 मिलियन टन से बढ़कर 2019-2020 के दौरान 296.65 मिलियन टन हो गया है, जो कि 17.71 प्रतिशत की वृद्धि है। खाद्यान्नों की उत्पादकता  2014-15 में 2028 किलोग्राम / हेक्टेयर थी, जो 2019-2020 के दौरान बढ़कर 2325 किलोग्राम / हेक्टेयर हो गई है, जो कि 14.64 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। विशेष रूप से उल्लेखनीय दालों के उत्पादन में वृद्धि है जो 2014-15 में 17.15 मिलियन टन से बढ़कर 2019-20 में 23.15 मिलियन टन हो गया है जो लगभग 35 प्रतिशत की वृद्धि है।

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