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सरकार सेवाओं की आपूर्ति का डिजिटलीकरण करने के लिए प्रतिबद्ध: कर्नल राज्यवर्धन राठौर

देश-विदेश

नई दिल्ली: सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौर ने कहा है कि सरकार नागरिकों को उपलब्ध समस्त सेवाओं का डिजिटलीकरण करने तथा मोबाइल प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए सेवाओं की सारणी के तालमेल हेतु सभी प्रयास कर रही है। सरकार द्वारा स्थापित फिल्म सुविधा केन्द्र (एफएफओ) फिल्म निर्माताओं को एकल खिड़की मंजूरी देने, भारत को फिल्म बनाने के गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने और देश में फिल्म पर्यटन के लिए मंच प्रदान करने की दिशा में एक कदम था। उन्होंने ऐसा आज गोवा में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) 2016 के समापन समारोह में कहा। गोवा की राज्यपाल महामहिम श्रीमती मृदुला सिन्हा, गोवा के मुख्यमंत्री श्री लक्ष्मीकांत पारसेकर और मुख्य अतिथि श्री एस. एस. राजामौली और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

सिनेमा के महत्व के बारे में श्री कर्नल राठौर ने कहा कि फिल्में न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि वे कला का भी सशक्त माध्यम हैं जिनसे सामाजिक बदलाव की शुरुआत हुई थी। संस्कृतियों को पाटने में सिनेमा की भूमिका को वर्ष 2016 के लिए फोकस देशों और भारत के मध्य भागीदारी से अनुभव किया गया और कोरिया गणराज्य ने फिल्मों के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए एक द्वार के रूप में कार्य किया।

श्री कर्नल राठौर ने कहा कि मल्टीप्लेक्सों से फिल्म देखने के अनुभव में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बदलाव से देश में मोबाइल देखने की क्षमता बड़ी है। इससे व्यक्ति अपनी रूचि और वातावरण की अवधारणा के आधार पर फिल्म शूट कर सकता है। इससे युवा फिल्म निर्माताओं को बढ़ावा देने में मदद मिली है। यह इससे जाहिर है कि मंत्रालय द्वारा आयोजित स्वच्छ भारत फिल्म समारोह में रिकार्ड संख्या में प्रविष्टियां प्राप्त हुईं।

इससे पहले गोवा के मुख्यमंत्री श्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने अपने संबोधन में कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, राज्य सरकार और फिल्म उद्योग के मध्य सहयोग से आईएफएफआई का यह संस्करण बहुत सफल हुआ जिससे न केवल फिल्म उद्योग को बढ़ावा मिला बल्कि गोवा को भी रचनात्मक हब के रूप में प्रोत्साहन मिला। मुख्य अतिथि श्री एस एस राजामौली ने कहा कि इस तरह के फिल्म समारोहों से सबसे ज्यादा फायदा युवा फिल्म निर्माताओं को होता है। जिन्हें विश्व की सर्वश्रेष्ठ फिल्में एक मंच पर देखने को मिलती हैं तथा उन्हें विश्व के प्रतिष्ठित फिल्म निर्माताओं से सीखने को भी बहुत कुछ मिलता है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय की अपर सचिव श्रीमती जयश्री मुखर्जी ने कहा कि आईएफएफआई फिल्में दिखाने के अलावा कार्यशालाओं और मास्टर कला से रूप में जानकारी प्राप्त करने के बड़े स्थल भी उपलब्ध कराता है।

सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार फिल्म “डॉटर” को प्रदान किया गया। पुरस्कार में गोल्डन पीकॉक ट्रॉफी, प्रमाण पत्र और 40,00,000 रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया। जिसे निर्देशक और निर्माता के बीच समान रूप से बांटा गया। “डॉटर” ने इस साल मास्को अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता था।

सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार फिल्म ‘रोफ’ के लिए बारिस काया को दिया गया। पुरस्कार में  रजत मयूर ट्रॉफी और 15,00,000 रुपये का नकद दिया गया। “डॉटर” फिल्म के लिए फरहाद असलानी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, “फैलोमड” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार एलीना वासका को प्रदान किया। “द थ्रोन” फिल्म को भी रजत मयूर ट्राफी और 15,00,000 रुपये का नकद विशेष जूरी पुरस्कार दिया गया। तुर्की फिल्म ‘कोल्ड ऑफ कलंदर’ ने आईसीएफटी – यूनेस्को गांधी मैडल जीता। समापन समारोह में भारत की एक समृद्ध संगीत संस्कृति का प्रदर्शन किया गया।

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