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मध्‍यम आय वर्ग (एमआईजी) के लिए सीएलएसएस के अंतर्गत ‘सब्सिडी के योग्‍य’ माने जाने वाले मकानों का कारपेट एरिया एमआईजी-I के लिए बढ़ाकर 160 वर्ग मीटर और एमआईजी-II के लिए बढ़ाकर 200 वर्ग मीटर किया गया

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नई दिल्लीः किफायती मकानों को बढ़ावा देने वाले एक प्रमुख निर्णय के तहत आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत मध्‍यम आय वर्ग (एमआईजी) के लिए क्रेडिट लिंक्‍ड सब्सिडी स्‍कीम (सीएलएसएस) के अंतर्गत ब्‍याज सब्सिडी के योग्‍य माने जाने वाले मकानों के कारपेट एरिया में संशोधन को मंजूरी दे दी है। ‘सब्सिडी के योग्‍य’ माने जाने वाले मकानों के संदर्भ में एमआईजी-I के लिए कारपेट एरिया को ‘120 वर्ग मीटर तक’ से बढ़ाकर ‘160 वर्ग मीटर तक’ और एमआईजी-II के लिए कारपेट एरिया को ‘150 वर्ग मीटर तक’ से बढ़ाकर ‘200 वर्ग मीटर तक’ कर दिया गया है।

क्र.सं. विवरण एमआईजी के लिए सीएलएसएस
एमआईजी– I एमआईजी – II
पारिवारिक आय (रुपये प्रति वर्ष) 6,00,001 रुपये से लेकर 12,00,000  रुपये तक 12,00,001 रुपये  से लेकर 18,00,000 रुपये तक
ब्‍याज सब्सिडी (% वार्षिक) 4.00% 3.00%
ऋण की अधिकतम अवधि 20 20
ब्‍याज सब्सिडी के योग्‍य माने जाने वाली आवास ऋण राशि  (रुपये में) 9,00,000/-* 12,00,000/-*
आवास इकाई का कारपेट एरिया (तक)** 160 वर्ग मीटर 200 वर्ग मीटर
ब्‍याज सब्सिडी हेतु शुद्ध वर्तमान मूल्‍य (एनपीवी) की गणना के लिए रियायती दर 9.00% 9.00%
सब्सिडी के लिए एकमुश्‍त राशि (रुपये में) 2,35,068/- 2,30,156/-

सीएलएसएस – इस संशोधन के बाद एमआईजी स्‍कीम संबंधी विवरण

* सब्सिडी इसी ऋण राशि तक सीमित होगी और इस सीमा से ज्‍यादा की ऋण राशि गैर-सब्सिडी दरों पर मानी जाएगी।

** 01.01.2017 से, अर्थात इस योजना के चालू होने की तिथि से प्रभावी

लाभ

  • यह निर्णय निर्माण क्षेत्र को प्रोत्‍साहन प्रदान करेगा। आपूर्ति क्षेत्र में भी गतिविधियां बढ़ेंगी। इस पहल से आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी और इससे मांग में भी वृद्धि होगी।
  • इस बढ़ोतरी से अधिक संख्‍या में एमआईजी उपभोक्‍ता सब्सिडी का लाभ प्राप्‍त कर पाएंगे। ये सुविधाएं प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत दी जाती हैं।
  • लाभार्थियों की संख्‍या में वृद्धि होने के साथ ही कारपेट एरिया में वृद्धि से निर्माण गतिविधियों में तेजी आएगी। इससे आवास क्षेत्र को तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
  • भारतीय रिजर्व बैंक ने प्राथमिकता क्षेत्र वाले ऋण (पीएसएल) के लिए पात्रता को संशोधित किया है। इसके तहत महानगरों (10 लाख व इससे अधिक की आबादी) में 28 लाख रुपये की ऋण सीमा को बढ़ाकर 35 लाख रुपये कर दिया गया है। अन्‍य शहरों या केन्‍द्रों के लिए यह सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी गई है। शर्त यह है कि आवास इकाई की कुल लागत शहरी क्षेत्रों व अन्‍य शहरों में क्रमश: 45 लाख रुपये व 30 लाख रुपये से अधिक न हो।
  • निर्माण गतिविधियों में तेजी आने से सीमेंट, स्‍टील, मशीनरी जैसे क्षेत्रों में भी मांग बढ़ेगी। शहरी क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों में बढ़ोतरी से कुशल व अकुशल कामगारों के लिए रोजगार के नये अवसरों का सृजन होगा।
  • कुल मिलाकर अर्थव्‍यवस्‍था के विकास की गति तेज होगी।

31 दिसंबर, 2016 को माननीय प्रधानमंत्री के राष्‍ट्र के नाम संबोधन को ध्‍यान में रखते हुए सीएलएसएस के कार्य क्षेत्र का विस्‍तार एमआईजी श्रेणी तक किया गया है। इसे कैबिनेट ने 01 फरवरी, 2017 को मंजूरी दी थी। इस योजना को 2017 में लागू किया जाना था। अब इसका विस्‍तार 31 मार्च, 2019 तक कर दिया गया है। पिछली कुछ तिमाहियों में एमआईजी योजना के लिए सीएलएसएस में तेजी आई है। 11 जून, 2018 तक एमआईजी श्रेणी के कुल 35,204 लाभार्थियों को 736.79 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई है।

11.06.2018 तक सीएलएसएस का प्रदर्शन:

ईडब्‍ल्‍यूएस/एलआईजी के लिए सीएलएसएस

  • लाभार्थी
  • सब्सिडी जारी
 

  • 133,213
  • 2890.50 करोड़ रुपये
एमआईजी के लिए सीएलएसएस

  • लाभार्थी
  • सब्सिडी जारी
 

  • 35,204
  • 736.79 करोड़ रुपये
सीएलएसएस–कुल

  • लाभार्थी
  • सब्सिडी जारी
 

  • 168,417
  • 3627.29 करोड़ रुपये

सरकार देश की आर्थिक तरक्की में अग्रणी भूमिका निभाने वाले मेहनती नागरिकों के योगदान को सदैव ही ध्‍यान में रखती है। एमआईजी के लिए सीएलएसएस का उद्देश्य प्रत्येक परिवार के खुद के घर के सपने को साकार करने में मदद करना है।

एमआईजी के कारपेट एरिया में वृद्धि का निर्णय विभिन्न हितधारकों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर लिया गया है। इस निर्णय से पहले सीएलएसएस के तहत ब्याज सब्सिडी का लाभ कई संभावित लाभार्थियों को नहीं मिल पा रहा था, क्योंकि निर्धारित 120 वर्ग मीटर या 150 वर्ग मीटर से अधिक के कारपेट एरिया वाले घर/फ्लैट खरदीने या बनाने पर वे एमआईजी के तहत ब्‍याज सब्सिडी पाने से वंचित हो जाते थे।

एमआईजी-I तथा एमआईजी-II श्रेणियों के कारपेट एरिया में वृद्धि की पिछले लंबे समय से मांग की जा रही थी। यह बात केंद्रीय नोडल एजेंसी- हुडको और नेशनल हाउसिंग बैंक द्वारा आयोजित कार्यशालाओं और बैठकों में भी सामने आई थी।

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