25 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

दिव्यांग कलाकारों की बेजोड़ प्रस्तुति पर झूमे लोग

उत्तराखंड

देहरादून: सुरीली आवाज में गीत की प्रस्तुति देते नेत्रहीन निर्मल, व्हीलचेयर पर नृत्य करतीं दिव्यांग निर्मला मेहता, दोनों हाथ न होने के बावजूद पैरों से धड़ाधड़ फोन चलाते सुधीर और मंच पर एकाएक नजरें टिकाए सैकड़ों दर्शक। रविवार को यह माहौल था नगर निगम टाउन हॉल का। मौका था माता राज राजेश्वरी कल्याण संगीतालय समिति पर्वतीय सांस्कृतिक संस्था की ओर से दिव्यांग प्रतिभाओं के उत्थान और प्रोत्साहन के लिए आयोजित जीना इसी का नाम है….. कार्यक्रम का।

इस कार्यक्रम में पहाड़ी क्षेत्रों और कई राज्यों से आए दिव्यांग कलाकारों ने नृत्य-गायन समेत कई विधाओं में शानदार प्रस्तुतियां देकर दर्शकों का दिल जीत लिया। उन्होंने गढ़वाली, जौनसारी, कुमाऊंनी और हिंदी गीतों पर प्रस्तुति दी। दिव्यांगों की प्रस्तुति पर पूरा टॉउन हॉल तालियों से गूंज उठा। इस दौरान संस्कृति निदेशक विनय भट्ट, बलूनी क्लासेज निदेशक विपिन बलूनी, महिला आयोग सचिव रमिंद्री मंद्रवाल और आयोजक लोकगायिका कल्पना चौहान ने दिव्यांगों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विषम हालात में ये दिव्यांग लोगों के जीवन में रंग भर रहे हैं, जो काबिलेतारीफ है। उन्होंने लोगों से दिव्यांगों की उपेक्षा की बजाय उनका सम्मान करने की अपील की। लोकगायिका कल्पना चौहान और राजेंद्र चौहान ने कहा कि उनकी संस्था कई साल से दिव्यांगों के लिए काम कर रही है। साथ ही हंस फाउंडेशन से ऐसे लोगों को आर्थिक मदद भी दिला रही है। इस दौरान संस्था की ओर से कलाकारों को सम्मानित भी किया गया। इस मौके पर दिगमोहन नेगी, यशवीर आर्य, सुधीर, जगविंदर, विकास शाह, किशोर रावत, ज्योति कोटनाला, पुष्पा नेगी, रंजना जोशी और रोहित चौहान मौजूद रहे।

प्रतिभा से दूसरों के जीवन में भर रहे रंग: नगर निगम टाउन हॉल में रविवार को पर्वतीय सांस्कृतिक संस्था की ओर से दिव्यांगों के लिए आयोजित कार्यक्रम में कई दिव्यांग कलाकार ऐसे भी पहुंचे, जिनका हौसला दिव्यांगता के आगे भी नहीं डिगा। नृत्य, गायन, चित्रकारी समेत कई विधाओं के माध्यम से वे दूसरे लोगों के जीवन में रंग भर रहे हैं। इनसे छोटी सी विफलता पर विचलित हो जाने वाले लोगों को सीख लेने की जरूरत है। पौड़ी के दो नेत्रहीन भाई निर्मल, मुकेश और उनकी नेत्रहीन बहन अंजलि संगीत की बेजोड़ प्रस्तुति देती हैं। कई साल पहले तक गरीबी की वजह से वे सड़क निर्माण के दौरान अपने पिता उम्मेद सिंह के साथ पत्थर तोड़ने का काम करते थे। उनकी प्रतिभा को संस्था का साथ मिला तो वह निखर गई। पोलियो से पीड़ित हल्द्वानी की निर्मला मेहता व्हीलचेयर पर बैठक नृत्य की ऐसी प्रस्तुति देती हैं कि किसी की नजर उनसे हटती नहीं। वह बचपन से ही नृत्य का शौक रखती थीं, लेकिन हंस फाउंडेशन से व्हील चेयर मिलने पर उनकी यह मुराद पूरी हुई। पौड़ी के सिलोनी से आए दोनों हाथ से दिव्यांग सुधीर अपने पैरों से धड़ाधड़ फोन चलाते हैं, चाय पीते हैं और उनकी लेखनी के तो क्या कहने। जब उन्होंने पैरों से मेरा भारत महान लिखा तो हर कोई अचंभित रह गया। पटियाला से आए दोनों हाथों से दिव्यांग जगविंदर भी अपने पैरों से ऐसी कलाकृतियां बनाते हैं कि हर कोई देखता रह जाए।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More