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त्‍वरित रिफंड से संबंधित ई-मेल को उत्पीड़न नहीं माना जा सकता है: सीबीडीटी

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही उन सूचनाओं को पूरी तरह से निराधार एवं तथ्यात्‍मक दृष्टि से गलत बताया है जिनमें यह आरोप लगाया गया है कि आयकर विभाग वसूली करने में जुट गया है और स्टार्ट-अप्‍स की बकाया मांगों को समायोजित करके उन्‍हें विवश करने के तरीकों का उपयोग कर रहा है।

सीबीडीटी ने आज कहा कि उसके द्वारा भेजी गई ईमेल को उत्पीड़न के रूप में गलत नहीं ठहराया जा सकता है जिनमें उन सभी से स्पष्टीकरण मांगा गया है जो कर रिफंड पाने के हकदार हैं, लेकिन उन्‍हें बकाया कर का भुगतान भी करना है। ये कंप्यूटर सृजित ईमेल लगभग 1.72 लाख करदाताओं को भेजी गई हैं जिनमें करदाताओं के सभी वर्ग शामिल हैं – व्यक्ति से लेकर एचयूएफ तक एवं फर्मों से लेकर स्टार्ट-अप सहित बड़ी या छोटी कंपनियों तक। अत: यह कहना तथ्यात्‍मक दृष्टि से पूरी तरह गलत है कि स्टार्ट-अप को लक्षित और परेशान किया जा रहा है।

सीबीडीटी ने कहा कि ये ईमेल व्‍यक्तिगत उपस्थिति के बगैर ही संवाद करने का हिस्सा हैं, जो यह सुनिश्चित करते हुए सार्वजनिक या सरकारी धन की रक्षा करता है कि बकाया कर मांग, यदि कोई हो, को समायोजित किए बिना रिफंड जारी नहीं किया जाए। ये ईमेल उन रिफंड मामलों में आयकर अधिनियम की धारा 245 के तहत स्वतः सृजित होती हैं, जिनमें करदाता पर कुछ भी बकाया कर मांग देय है। यदि करदाता द्वारा बकाया टैक्‍स मांग का भुगतान पहले ही कर दिया गया है या उच्च कर प्राधिकरणों द्वारा इस पर रोक लगा दी गई है, तो वैसी स्थिति में करदाताओं से इन ईमेल के जरिए अनुरोध किया जाता है कि वे ताजा स्थिति अपडेट करें, ताकि रिफंड जारी करते समय इन धनराशियों को रोका न जाए और उन्‍हें तुरंत रिफंड कर दिया जाए।

सीबीडीटी ने कहा कि इस तरह का संचार या संवाद बकाया कर मांग के साथ रिफंड के प्रस्तावित समायोजन के लिए करदाता से ताजा स्थिति अपडेट करने का एक अनुरोध मात्र है, अत: इसका गलत अर्थ वसूली नोटिस के रूप में नहीं निकाला जा सकता है या आयकर विभाग द्वारा तथाकथित विवश करने के रूप में नहीं माना जा सकता है। कारण यह है कि आयकर विभाग रिफंड जारी करने से पहले बकाया कर मांग को समायोजित करके सार्वजनिक या सरकारी धन की रक्षा करने के लिए बाध्य है।

सीबीडीटी ने यह भी कहा है कि स्टार्ट-अप्स को परेशानी मुक्त टैक्‍स माहौल प्रदान करने के लिए उसने एक समेकित परिपत्र (संख्‍या 22/2019) 30 अगस्त 2019 को जारी किया था। स्टार्ट-अप्‍स के कर आकलन के तौर-तरीकों का उल्‍लेख करने के अलावा इसमें यह भी निर्दिष्‍ट किया गया है कि धारा 56(2)(viiबी) के तहत किए गए परिवर्धन से संबंधित बकाया आयकर मांगों को अदा करने पर जोर नहीं दिया जाएगा। इस तरह के स्टार्ट-अप्स द्वारा किसी भी अन्य आयकर मांग की अदायगी पर भी तब तक जोर नहीं दिया जाएगा जब तक कि आईटीएटी  द्वारा मांग की पुष्टि नहीं कर दी जाएगी। इसके अलावा, स्टार्ट-अप्‍स की शिकायतों के निवारण और इस तरह की अन्य फर्मों की कर संबंधी अन्य समस्याओं के समाधान के लिए एक स्टार्ट-अप प्रकोष्‍ठ का भी गठन किया गया।

किसी भी करदाता के मामले में बकाया कर मांगों की वसूली से संबंधित मौजूदा प्रक्रिया का उल्‍लेख करते हुए सीबीडीटी ने कहा कि विभाग द्वारा करदाता को एक अवसर प्रदान किया जाता है कि वह या तो मांग की गई राशि अदा कर दे या उक्त टैक्‍स मांग से जुड़ी ताजा स्थिति से आयकर विभाग को अवगत करा दे। निश्चित रूप से इस तरह का संचार या संवाद विभाग द्वारा करदाता को एक ईमेल भेजकर किया जाता है जिसमें बकाया मांग की राशि के बारे में सूचित किया जाता है और मांगी गई राशि का भुगतान करने या पहले ही किए जा चके भुगतान के संबंध में साक्ष्य के साथ जवाब देने या उस पर कोई और कदम उठाने की ताजा स्थिति से अपडेट कराने का एक अवसर प्रदान किया जाता है।

सीबीडीटी ने कहा कि करदाता के लिए लंबित मांग का विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है, चाहे उसका भुगतान कर दिया गया हो या किसी भी अपीलीय/सक्षम प्राधिकारी द्वारा उस पर रोक लगा दी गई हो, ताकि विभाग इसे ठंडे बस्‍ते में रख सके और रिफंड से इस राशि की कटौती न कर सके।

इस प्रकार, बकाया मांग की प्राप्ति की मौजूदा प्रक्रिया का पालन करते हुए इसी तरह की ईमेल स्टार्ट-अप्‍स सहित 1.72 लाख करदाताओं को भी भेजी गई हैं, जिनमें आयकर विभाग को यह जानकारी देने को कहा गया है कि बकाया मांग की ताजा स्थिति क्‍या है और इस पर क्या सक्षम अधिकारी द्वारा रोक लगा दी गई है, ताकि देरी किए बिना ही स्टार्ट-अप्‍स को रिफंड जारी करने के लिए उचित कदम उठाए जा सकें। हालांकि, आयकर विभाग की ईमेल का समुचित जवाब नहीं देना और गलत सूचनाएं फैलाना सीबीडीटी के परिपत्र (संख्‍या 22/2019) की भावना के विपरीत है और पूरी तरह से अनुचित है।

सीबीडीटी ने स्टार्ट-अप्स से अनुरोध किया है कि वे जल्द से जल्द उसकी ईमेल का जवाब दें, ताकि आयकर विभाग मौजूदा प्रक्रिया के अनुसार रिफंड, यदि बकाया हो, को तुरंत जारी करने के लिए आगे के कदम उठा सके।

सीबीडीटी ने य‍ह दोहराया कि 8 अप्रैल 2020 की घोषणा (सरकार की एक पूर्व प्रेस विज्ञप्ति देखें) को ध्‍यान में रखते हुए उसने अब तक 9,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि वाले लगभग 14 लाख रिफंड विभिन्न करदाताओं को जारी किए हैं जिनमें व्यक्ति, एचयूएफ, प्रोपराइटर, फर्म, कंपनियां, स्टार्ट-अप्‍स और एमएसएमई शामिल हैं। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य कोविड-19 महामारी की विकट स्थिति में करदाताओं की मदद करना है। कई रिफंड दरअसल करदाताओं की ओर से जवाब न मिलने के कारण लंबित हैं और संबंधित सूचना के अपडेट होने के बाद जल्द से जल्द रिफंड जारी कर दिए जाएंगे।

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