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राजस्थान के लिए 1,816 करोड़ रुपये की पेयजल आपूर्ति योजनाओं को मंजूरी दी गई

देश-विदेश

29 नवंबर, 2021 को राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) की बैठक में राजस्थान के लिए 1,816 करोड़ रुपये की पेयजल आपूर्ति योजनाओं को मंजूरी दी गई। इन योजनाओं के तहत राज्य के 20 जिलों के 2,348 गांवों में नल जल कनेक्शन प्रदान किया जाएगा। इनके जरिए 3.8 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किया जाएगा।इस समिति ने राज्य से सौर-ऊर्जा आधारित योजनाओं के उपयोग पर विचार करने का अनुरोध किया। वहीं, जल आपूर्ति विभाग राज्य में भूजल स्रोतों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सामुदायिक टैंकों पर काम रहा है।

जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत ग्रामीण परिवारों को नल जल की आपूर्ति प्रदान करने से संबंधित योजनाओं पर विचार करने और मंजूर करने के लिए राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) के गठन का प्रावधान है। एसएलएसएससी, जल आपूर्ति योजनाओं/परियोजनाओं पर विचार करने के लिए एक राज्य स्तरीय समिति के रूप में कार्य करती है। इस समिति में भारत सरकार के राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (एनजेजेएम) से एक व्यक्ति को सदस्य के रूप में मनोनीत किया जाता है।

हर घर में स्वच्छ नल जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने और महिलाओं व लड़कियों को घर से अधिक दूर जाकर वहां से पानी लाने के कष्ट से मुक्त करने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सोच को साकार करने के लिए 2021-22 के दौरान राजस्थान को अनुदान सहायता के रूप में 10,180.50करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। यह पिछले वर्ष (2020-21) के आवंटन की तुलना में चार गुना अधिक है।इससे पहले 2020-21 मेंकेंद्र सरकार ने राज्य में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 2,522.03 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।इस साल केंद्रीय मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने केंद्रीय आवंटन को चार गुना बढ़ा दिया है।केन्द्रीय मंत्री जल शक्ति ने कई गुना बढ़ोतरी को मंजूरी देते हुए 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार में नल जल की आपूर्ति की सुविधा प्रदान करने के लिए राज्य को पूरी सहायता करने का आश्वासन दिया था।

15 अगस्त 2019 को जब जल जीवन मिशन की शुरुआत की गई थी, उस समय केवल 11.74लाख (11.59 फीसदी) परिवारों के पास नल के जरिए पेयजल आपूर्ति की सुविधा थी। इसके बाद पिछले 27 महीनों में कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के दौरान उत्पन्न बाधाओं का सामना करने के बावजूद राज्य ने 9.88लाख (9.75फीसदी) परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किया है।अब तक राज्य के 1.01 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 21.62 लाख (21.34 फीसदी) को उनके घरों में नल जल की आपूर्ति हो रही है। वहीं, राज्य की योजना 2021-22 में 30 लाख ग्रामीण परिवारों को नल जल की आपूर्ति प्रदान करने की है।

राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने जेजेएम के कार्यान्वयन की गति में तेजी लाने के लिए राज्य से इस साल 30लाख ग्रामीण परिवारों को नल जल की आपूर्ति प्रदान करने के लिए जरूरी कदम उठाने का अनुरोध किया है। 2021-22 में केंद्रीय आवंटन के रूप में 10,180.50करोड़ रुपये और राज्य सरकार के पास उपलब्ध ओपनिंग बैलेंस (खर्च नहीं की गई रकम) के रूप मे 863.53करोड़ रुपये के अलावा, राज्य का 2021-22 के मिलान हिस्से और पिछले वर्षों में मिलान हिस्से में कमी के साथ राजस्थान के पास जेजेएम के कार्यान्वयन के लिए उपलब्ध कुल 21,830.73करोड़ रुपये की निश्चित निधि है। इस तरह भारत सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि राजस्थान में इस परिवर्तनकारी मिशन के कार्यान्वयन के लिए निधि की कमी न हो।

इसके अलावा, 2021-22 में ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को जल और स्वच्छता के लिए 15वें वित्त आयोग के सर्शत अनुदान के रूप में राजस्थान को 1,712करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। वहीं, अगले पांच वर्षों यानी 2025-26 तक के लिए सर्शत अनुदान के रूप में 9,032करोड़ रुपये का वित्त पोषण सुनिश्चित है। इस भारी निवेश के जरिए राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, इससे गांवों में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

वहीं, राज्य की टीम अन्य योजनाओं जैसे मनरेगा, एसबीएम (जी), जिला खनिज विकास कोष औरआरएलबी/पीआरआई को जल व स्वच्छता के लिए 15वें वित्त आयोग के सशर्त अनुदानके साथ सम्मिलन के जरिए प्रभावी सामुदायिक भागीदारी, धूसर जल प्रबंधन के प्रावधान औरपेयजल स्रोतों को सुदृढ़ करने आदि की जरूरत पर जोर दे रही है।

क्षेत्र परीक्षण किट (एफटीके) का उपयोग करके पेयजल स्रोतों और वितरण स्थलों के नियमित व स्वतंत्र परीक्षण के लिए हर गांव में 5 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर जल की गुणवत्ता निगरानी संबंधी गतिविधियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। अब तक 14,162से अधिक महिलाओं को एफटीके का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है। वहीं, जल परीक्षण प्रयोगशालाओं को उन्नत किया गया गया है और आम जनता के लिए इन्हें खोल दिया गया है, जिससे लोग अपने जल के नमूनों का मामूली दर पर परीक्षण करवा सकें।

जल जीवन मिशन के तहत राज्य के जल की गुणवत्ता प्रभावित बसावटों, आकांक्षी व जेई/एईएस प्रभावित जिलों, अनुसूचित जाति/जनजाति बहुल गांवों और एसएजीवाई गांवों को प्राथमिकता दी जाती है। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के अनुरूप काम करते हुए, जल जीवन मिशन का आदर्श वाक्य ‘कोई भी छूटा नहीं’ है और इसका उद्देश्य पीने योग्य नल जल आपूर्ति की सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना है।

2019 में इस मिशन की शुरुआत में देश के कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17 फीसदी) के पास नल जल की आपूर्ति की सुविधा थी। पिछले 27 महीनों के दौरान, कोविड- 19 महामारी और लॉकडाउन के चलते उत्पन्न बाधाओं के बावजूद जल जीवन मिशन को तेजी से लागू किया गया है और पिछले 26 महीनों 5.35करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। वर्तमान में, पूरे देश में 8.59करोड़ (44.6फीसदी) ग्रामीण परिवारों के पास नल जल आपूर्ति की सुविधा है। गोवा, तेलंगाना, हरियाणा के साथ केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पुडुचेरी, दादर और नगर हवेली व दमन और दीव ने ग्रामीण क्षेत्रों में 100 फीसदी घरेलू नल जल कनेक्शन सुनिश्चित किया है। वर्तमान में 83 जिलों के प्रत्येक परिवार और 1.25लाख से अधिक गांवों में नल से जल की आपूर्ति हो रही है।

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