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डॉ. हर्षवर्धन ने सीएसआईआर-सीआईएमएफआर की प्लेटिनम जुबली स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन किया

देश-विदेश

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज सीएसआईआर-केंद्रीय खनन और ईंधन अनुसंधान संस्थान (सीआईएमएफआर), धनबाद के प्लेटिनम जुबली स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन किया। यह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)की प्रतिष्ठित अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) प्रयोगशालाओं में से एक है। केंद्रीय मंत्री ने नयी दिल्ली में वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समारोह का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर, डॉ. हर्षवर्धन ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म के जरिए,कोल टू सिन्गैस प्लांट, सेंटर ऑफ ऐक्सीलेंस फोर स्ट्रैटजिक एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर्स, सेंटर ऑफ ऐक्सीलेंस फोर कोल गैसीफिकेशन,  का भी उद्घाटन किया; और साथ ही कोकिंग कोल के आयात प्रतिस्थापन के लिए नवीन प्रौद्योगिकी राष्ट्र को समर्पित की।

उन्होंने अपने सात दशकों से ज्यादा लंबे सफर में कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल करने के लिए सीएसआईआर-सीआईएमएफआर को बधाई देते हुए कहा, “यह वांछनीय है कि सीआईएमएफआर आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) हस्तक्षेपों के माध्यम से डिजिटल खनन समाधानों का इस्तेमाल करके खनन उद्योग में अत्याधुनिक तकनीकों के साथ खनन गतिविधियों के मशीनीकरण और स्वचालन पर बहु-अनुशासनात्मक अनुसंधान करे।” डॉ. हर्षवर्धन ने साथ ही कहा, “मिट्टी और जैव विविधता के संरक्षण, कार्बन फुटप्रिंट, सामाजिक-आर्थिक और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र, वन्यजीव प्रबंधन योजना, तिरस्कृत पारिस्थितिकी तंत्र के जैव-पुनर्विकास पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है।”

केंद्रीय मंत्री ने जोर दिया, “देश अपनी बुनियादी जरूरतों और विभिन्न उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने की खातिर बिजली के उत्पादन के लिए जीवाश्म ईंधन संसाधनों पर निर्भर बना रहेगा”और साथ ही कहा, “हमें पर्यावरणीय खतरे का प्रबंधन करने और इसे कम करने के लिए स्वच्छ तरीके विकसित करने की जरूरत है।” उन्होंने कहा, “हम उत्सर्जन में कटौती और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में काम करने के लिए जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के तहत की गई प्रतिबद्धता को पूरा करने की उम्मीद करते हैं।”

उन्होंने कहा, “ऊर्जा के क्षेत्र में नवीन प्रौद्योगिकियों, नवाचारों और अनुसंधान एवं विकास को विकसित करके ही हम ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त कर सकें और यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि सभी भारतीयों के पास उनकी सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए ऊर्जा उपलब्ध हो।” डॉ हर्षवर्धन ने कहा, “सीआईएमएफआर जैसे अनुसंधान संगठन इस जरूरत को पूरा कर सकते हैं और अपने अनुसंधान एवं विकास के जरिए भारत की अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।”

डॉ. हर्षवर्धन ने खुशी जतायी कि सीआईएमएफआर, रॉक एक्सकेवेशन इंजीनियरिंग रिसर्च ग्रुप में योगदान के साथ रणनीतिक और अवसंरचना क्षेत्रों के लिए एक अग्रणी संस्थान रहा है। रॉक एक्सकेवेशन इंजीनियरिंग रिसर्च ग्रुप महत्वपूर्ण रोडवेज/रेलवे, सुरंगों, पनबिजली परियोजनाओं, ओपनकास्ट और भूमिगत खानों के निर्माण से जुड़ा है। उन्होंने कहा, “सीएसआईआर-सीआईएमएफआर द्वारा प्रदान किए गए प्रौद्योगिकी समाधानों ने कुछ महत्वपूर्ण और रणनीतिक भारत-चीन और भारत-पाक सीमा सड़कों के निर्माण में तेजी लाने में मदद की है।” उन्होंने कहा, “सीएसआईआर-सीआईएमएफआर, सीमा सड़क संगठन के लिए एक ज्ञान भागीदार बनकर उत्तरी और पूर्वोत्तर भारत में सीमा सड़कों की प्रगति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।”

मंत्री ने कहा, “भारत में ही नहीं, बल्कि हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट प्रोजेक्ट (मिजोरम-म्यांमार), सलमा बांध (अफगानिस्तान), ताला और पुनांगचुचु 1और 2पनबिजली परियोजना (भूटान) के निर्माण के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वैज्ञानिक विशेषज्ञता प्रदान की है।”

उन्होंने संस्थान के प्लेटिनम जुबली समारोह के लोगो का भी अनावरण किया। केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति में संस्थान और कई दूसरी इकाइयों के बीच पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

नीति आयोग के सदस्य (विज्ञान और प्रौद्योगिकी) डॉ. वी के सारस्वत, सीआईएसआर के महानिदेशक एवं डीएसआईआर के सचिव डॉ. शेखर सी मांडे, सीएसआईआर-केंद्रीय खनन और ईंधन अनुसंधान संस्थानके निदेशक डॉ. प्रदीप सिंह और कई अन्य गणमान्य लोग समारोह में उपस्थित थे।

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