33 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

आपदा संवेदनशील उत्तराखण्ड में मददगार साबित होगा सामुदायिक रेडियो

उत्तराखंड

देहरादून: राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण एवं आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केन्द्र द्वारा आईडियोसिंक मीडिया कम्बाइन के सहयोग से ‘‘कम्यूनिटी रेडियो फाॅर माॅस अवेयरनेस एण्ड डिजास्टर रिस्क रिडक्शन’’ विषय पर सोमवार को देहरादून के एक स्थानीय होटल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य राज्य के दूर-दराज क्षेत्रों में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना के लिये इच्छुक लोगों को आमंत्रित एवं प्रोत्साहित करने के साथ ही उन्हें राज्य सरकार से अनुदान देकर जन-जागरूकता, आपातकालीन सूचनाओं व विभिन्न विकासपरक योजनाओं से सम्बन्धित सूचनाओं को समुदाय एवं दूर-दराज के क्षेत्रों को पहंुचाना है।

कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों एवं अतिथि वक्ताओं का स्वागत करते हुए सचिव आपदा प्रबन्धन श्री अमित नेगी द्वारा अवगत कराया गया कि आपदाओं की बढ़ती बारम्बारता, तीव्रता व परिमाण में आ रहे नाटकीय परिवर्तनों के लिहाज से आपदा जोखिम न्यूनीकरण (Disaster Risk Reduction)  आज पूरे विश्व की आवश्यकता बन गया है। श्री नेगी ने कहा कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण में सम्पे्रषण संसाधनों का अपना अलग महत्व है और जब बात विषम भूगोल वाले उत्तराखण्ड की हो तो ऐसे में सामुदायिक रेडियो की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि इन स्टेशनों से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में जन समुदाय की खासी भागीदारी और जुड़ाव होता है इसलिये समाज में सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन लाने के उद्देश्य से इनकी स्थापना की जानी नितान्त आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार ने अपनी सामुदायिक रेडियो लाईसेन्सिंग नीति को काफी हद तक सरल बनाया गया है ताकि स्थानीय संस्थायें, विश्वविद्यालय, सिविल सोसाइटी, स्वैच्छिक संस्थान तथा गैर-सरकारी संगठन इस सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थापित करने के लिये आगे आ सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को प्रोत्साहन दिया जायेगा।

अपर सचिव श्री सविन बंसल द्वारा कार्यशाला का उद्देश्य तथा विषय वस्तु पर प्रकाश डालते हुये कहा कि राज्य में नये सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना के साथ ही पहले से संचालित रेडियो स्टेशनों की गतिविधियों को प्रोत्साहित कर उन्हें आर्थिक स्वावलम्बन प्रदान किया जाना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को मात्र स्वयं सहायता समूह व गैर सरकारी संस्थाओं तक सीमित न बताते हुये कहा कि यह गढ़वाल व कुमाऊँ के काॅलेजों विश्वविद्यालयों में चलाये जाने वाले माॅस काॅम विषय के लिये भी उपयोगी रहेगा। श्री बंसल ने कहा कि लोकल रेडियो द्वारा किये जा रहे प्रयास काफी सफल रहे हैं। रेडियो के माध्यम से ग्रामीण कृशक एवं अन्य गरीब तबके लोगों द्वारा अपनी बात समुदाय एवं सरकार को पहुंचाया जा सकता है।

बतौर विशेष अतिथि उपस्थित हुए मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार श्री रमेश भट्ट ने अपने सम्बोधन में सामुदायिक रेडियो के बहुआयामी उपयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने सामुदायिक रेडियो रियल टाइम डिसेमिनेशन का उपयुक्त स्रोत बताया। सभी विभागों की उपलब्धियों, क्रियाकलापों तथा अन्य सम्बन्धित विज्ञापनों को सामुदायिक रेडियो के माध्यम से प्रचारित-प्रसारित करने के साथ ही राज्य की प्रत्येक विधान सभाओं में 60-70 सामुदायिक रेडियो सैल स्थापित किये जाने की भी उनके द्वारा पुरजोर वकालत की गयी। श्री भट्ट ने आश्वस्त किया कि प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए सामुदायिक रेडियो केन्द्रों को सशक्त बनाने के लिये वे मुख्यमंत्री जी से वित्तीय मदद करायेंगे। उन्होंने सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के प्रबंधकों से सरकार की योजनाओं तथा आपदा से पूर्व तथा बाद की सूचनाएं प्रदेश वासियों के मध्य और अधिक प्रभावी ढ़ंग से प्रसारित करने की अपेक्षा की।

आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केन्द्र के अधिशासी निदेशक डाॅ.पीयूष रौतेला द्वारा उत्तराखण्ड के विशेष परिप्रेक्ष्य में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर राज्य के परम्परागत ज्ञान और सामुदायिक रेडियो की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुये उत्तराखण्ड की सामुदायिक रेडियो नीति के मुख्य बिन्दुओं को साझा किया। डाॅ.रौतेला ने बताया कि सामुदायिक रेडियो स्टेशन प्रोत्साहन नीति के अन्तर्गत राज्य सरकार इच्छुक संस्थान व संगठनों को उनकी कुल परियोजना लागत का 30 प्रतिशत अधिकतम पांच लाख धनराशि तक का अनुदान देगी। नीति में दूर-दराज के क्षेत्रों में रेडियो स्टेशनों को प्राथमिकता देने के साथ ही उनमें स्थापित संसाधनों का आपदा बीमा कराया जाना अनिवार्य बनाया गया है। अनुदान लेने से पहले रेडियो स्टेशनों को भूमि व भवन में आपदा सुरक्षा मानकों से आच्छादित होेने का सर्टीफिकेट देना होगा। उन्होंने बताया कि रेडियो स्टेशनों के आर्थिक स्वावलम्बन व इनकी निरन्तरता बनाये रखने के लिये केन्द्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं हेतु आवंटित बजट में से एक नियत अंश इनके लिये रखा जायेगा इन रेडियो स्टेशनों द्वारा आपातकालीन सूचनाओं व जानकारियों को अपने कार्यक्रमों में वरीयता दी जायेगी तथा उक्त अवहेलना पर सम्बन्धित रेडियो स्टेशन के लाईसेन्स निरस्त करने की संस्तुति की जा सकती है।

कार्यशाला में आईडियोसिंक मीडिया कम्बाइन के अधिशासी निदेशक श्री एन.रामाकृष्णन ने भारत के विशेष परिप्रेक्ष्य में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थिति, नीति, स्थापना, बजट व्यवस्था, प्रशिक्षण पर जानकारी मुहैया करायी। उन्होंने सामुदायिक रेडियो को लोगोें द्वारा लोगों के लिये उपयुक्त संसाधन बताया। इस मौके पर एक डाॅक्यूमेन्ट्री की स्क्रीनिंग भी की गयी।

कौमनवेल्थ एजुकेशनल मीडिया सेन्टर की कम्यूनिटी रेडियो पूर्व सलाहकार सुश्री रूकमणी वेमराजु द्वारा ‘‘सामुदायिक रेडियो के उद्देश्य एवं उसके दर्शन की समझ’’ पर अपने विचार व्यक्त किये गये।

कार्यशाला में हेवलवाणी, रेडिया लुइट, नार्थ-ईस्ट, मनदेशी तरंग वाहिनी, रेडियो नमस्कार, वक्त की आवाज के प्रतिनिधियों द्वारा खुले मंच से सक्सेज स्टोरीज तथा प्रतिभागियों के साथ अपने विचार साझा किये। राज्य के सबसे पूराने सामुदायिक रेडिया स्टेशन हेवलवाणी के स्टेशन निदेशक ने खुशी जाहिर की कि सरकार की यह अच्छी पहल है जिससे लोग अपनी समस्याएं व महत्वपूर्ण सूचनाएं दूर-दराज के क्षेत्रों में रहते हुये भी साझा कर पायेंगे। सरकार द्वारा उन्हें पूरा सहयोग दिया जायेगा।

कार्यशाला में राज्य आपदा प्रतिवादन बल, वन, पब्लिक रिलेशन सोसाइटी आॅफ इंडिया, सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग, पुलिस, विद्यालयी शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, सिविल सोसाइटी, गैर सरकारी संगठनों के पदाधिकारी और विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिभाग किया गया।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More