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रक्षा वैज्ञानिक आधुनिक रक्षा टेक्नोलॉजी में भारत को ग्लोबल लीडर बनाने के लिए प्रयत्न करें: राजनाथ सिंह

देश-विदेश

नई दिल्ली: रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा वैज्ञानिकों का आह्वान किया है कि वे भारत को न केवल रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने बल्कि इस क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनाने के लिए देश में आधुनिक टेक्नोलॉजी विकसित करने का प्रयत्न करें।

रक्षा मंत्री पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के 88वें जन्मदिन के अवसर पर आज नई दिल्ली में रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के 41वें निदेशक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इसका विषय था ‘टेक्नोलॉजी लीडरशिप फॉर एम्पावरिंग इंडिया।’

इस बात पर जोर देते हुए कि अनुसंधान और परिचालन संबंधी उत्कृष्टता को बनाए रखना समय की मांग है, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया बदल रही है और अत्याधुनिक और विध्वंसकारक टेक्नोलॉजी तेजी से उभर रही है। उन्होंने महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए आयात प्रणाली पर कम निर्भरता के साथ ‘देसी नवाचार परितंत्र’ विकसित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “टेक्नोलॉजी का विकास किफायती और निश्चित समय पर” होना चाहिए।

अनुसंधान और विकास में भारत के ग्लोबल लीडर बनने के लिए टेक्नोलॉजी की खाई को पाटने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, रक्षामंत्री ने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे ऐसी प्रौद्योगिकी पर ध्यान दें जो आधुनिक क्षमता प्रदान कर सके और अगले 15-20 वर्षों के लिए प्रासंगिक हो। उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी की कुछ सीमाएं हैं और उत्पादों के विकास के लिए निर्माण पूर्व तैयारी अवधि है। यह संभव है कि जटिल प्रणालियों की निर्माण पूर्व तैयारी अवधि के दौरान, नई तकनीकी जरूरतें उभरकर सामने आ जाएं। ऐसी प्रणालियों के लिए उत्तरोत्तर विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”

डीआरडीओ और सभी साझेदारों के बीच गहन बातचीत का सुझाव देते हुए श्री राजनाथ सिंह ने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे रक्षा अनुसंधान और विकास में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए एक कार्य योजना बनाएं जो भारत को रक्षा क्षमता में नई ऊंचाइयों तक ले जाए। उन्होंने कहा कि अनुकूल प्रयासों से भारत टेक्नोलॉजी निर्यातक बन सकता है, जिसके बहुआयामी फायदे होंगे।

रक्षामंत्री ने वैज्ञानिक जानकारी और नवाचार, आधुनिक प्रौद्योगिकी, औद्योगिक बुनियादी ढांचे और मानव श्रम को आधुनिक समय की ‘करेंसी’ बताया, उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में मूलभूत अनुसंधान और विकास नई जानकारी की पहचान कराता है जो नागरिक और सैन्य क्षेत्रों में उपयोगी साबित हो सकती है। उन्होंने कहा नवाचार निवेश लाता है और साथ ही निवेशकों को बेहतर मूल्य प्रदान करता है। यह निश्चित सफलता हासिल में योगदान करता है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’, निवेश को सरल बनाने, कौशल बढ़ाने, बौद्धिक संपदा संरक्षण और निर्माण अवसंरचना जैसी पहलों के जरिए सरकार ने भारत को निकट भविष्य में ग्लोबल निर्माण का केंद्र बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

डीआरडीओ को स्वदेशी अनुसंधान और विकास का मुख्य केंद्र बताते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि डीआरडीओ सामरिक रक्षा प्रणालियों और बुनियादी ढांचे में आत्मनिर्भरता को प्रगतिशील तरीके से बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विश्व स्तर की हथियार प्लेटफॉर्म प्रणालियां जैसे लड़ाकू वाहन, मिसाइल, मल्टी बैरल रॉकेट लाउंचर, मानवरहित एरियल वाहन, रेडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियां, लड़ाकू विमान प्रणोदक और विस्फोटक रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेंगे।

रक्षा मंत्री ने निर्धारित सभी 100 लक्ष्यों को हासिल करने के लिए डीआरडीओ को बधाई दी और अगले 5 वर्षों में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने के लिए संगठन द्वारा लक्ष्य निर्धारित करने के लिए उसकी सराहना की। उन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करने और लद्दाख जैसे सुदूरवर्ती इलाकों में लोगों के साथ-साथ सशस्त्र बलों के जवानों की मदद करने के लिए डीआरडीओ की विशाल भूमिका की भी सराहना की।

“मिसाइल मैन ऑफ इंडिया” डॉ. कलाम को याद करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष अनुसंधान और मिसाइल विकास कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति के योगदान से भारत को स्वदेशी क्षमता के लिए मशहूर शीर्ष देशों में स्थान मिला। उन्होंने डीआरडीओ को, डॉ. कलाम के जीवन के समान, क्षमता और साहस के प्रतीक के रूप में मिशन मोड पर शुरुआत करने वाला बताया। रक्षामंत्री ने कहा कि डीआरडीओ ने सशस्त्रबलों को आधुनिक प्रौद्योगिकीयां और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने लायक प्रणालियां प्रदान करके देश को मजबूत और सुरक्षित बना दिया है।

रक्षामंत्री ने कहा कि डॉ. कलाम के यह शब्द हमेशा गूंजते रहेंगे। “अगर आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं, सबसे पहले सूरज की तरह तपें। इन्होंने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों से कहा कि वह अपने सभी प्रयासों में उत्कृष्टता के लिए प्रयत्न करें।”

इससे पहले श्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ परिसर में अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ डॉ. कलाम की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

श्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ द्वारा आयोजित ‘ डेअर टू ड्रीम’ प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। डीआरडीओ की नई और बेहतर वेबसाइट की भी शुरुआत की। इसके अलावा इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने ‘पॉलिसी ऑन डीआरडीओ पेटेंट्स’ और तीन सार-संग्रह जारी किए।

इस अवसर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल, थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, वायु सेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आर.के.एस भदौरिया, रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. सतीश रेड्डी ने एकत्र प्रतिनिधियों को संबोधित किया। इस अवसर पर सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री सुभाष चंद्रा, प्रख्यात वैज्ञानिक और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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