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डॉ. हर्षवर्धन ने डीबीटी-आईएलएस के 32 वें स्थापना दिवस पर विज्ञान के क्षेत्र में उसके योगदान की सराहना की

देश-विदेश

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से जैव प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज़, भुवनेश्वर के 32वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित किया एवं कोविड-19 महामारी में नैदानिक अनुसंधान के दौरान इसकी वैज्ञानिक उपलब्धियों की सराहना की।

इस अवसर पर केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान; डॉ. रेणु स्वरूप, सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग; डीबीटी-आईएलएस के निदेशक डॉ. अजय परीदा, डीबीटी के संयुक्त सचिव श्री सी पी गोयल, डीबीटी की सलाहकार डॉ. मीनाक्षी मुंशी व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे ।

डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि “संस्थान ने लगभग 500 वायरल जीनोम का अनुक्रम किया है और 17 वायरस संस्कृतियों की स्थापना की है जो आने वाले दिनों में कोविड-19 के अनुसंधान और विकास के प्रयासों को आगे बढ़ाने में सक्षम होगा। जैव प्रौद्योगिकी विभाग- जीव विज्ञान संस्थान (डीबीटी-आईएलएस) ने आदिवासी आबादी की आजीविका में सुधार के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।” उन्होंने ओडिशा भर से 1,50,000 से अधिक नमूनों की जांच के लिए डीबीटी-आईएलएस की सराहना की ।

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इस अवसर पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग- जीव विज्ञान संस्थान (डीबीटी-आईएलएस) ओडिशा और पूर्वी भारत के प्रमुख संस्थानों में से एक है और इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि आईएलएस ओडिशा के लोगों के जीवन और आजीविका पर प्रत्यक्ष प्रभाव पैदा करने के लिए काम कर रहा है। मंत्री महोदय ने आगे कहा कि ओडिशा की समुद्री तटरेखा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ब्लू इकोनॉमी दृष्टिकोण में है। उन्होंने डॉ. हर्षवर्धन से अनुरोध किया कि जीवन विज्ञान संस्थान (आईएलएस) में समुद्री जैव प्रौद्योगिकी पर एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाए जो ओडिशा में समुद्री नेतृत्व वाले टिकाऊ आर्थिक विकास की वास्तविक क्षमता के दरवाज़ा खोलने में मदद करेगा।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग- जीव विज्ञान संस्थान (डीबीटी-आईएलएस) द्वारा विशेष रूप से जनजातीय स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में मल्टी-ओमिक्स दृष्टिकोण का उपयोग करके की गई शानदार प्रगति के बारे में बताया जिसका दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। जैव प्रौद्योगिकी विभाग- जीव विज्ञान संस्थान (डीबीटी-आईएलएस) के निदेशक डॉ. अजय परीदा ने अनुसंधान एवं विकास, कोविड प्रबंधन, सामाजिक कार्य के साथ-साथ उद्यमिता विकास के क्षेत्र में किए गए कार्यों पर विस्तृत प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम के दौरान डॉ. हर्षवर्धन ने संभावित दवा और वैक्सीन के क्षेत्र में मूल्यांकन अध्ययन शुरू करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग- जीव विज्ञान संस्थान (डीबीटी-आईएलएस) में ‘पशु चुनौती अध्ययन‘ मंच की आधारशिला रखी। उन्होंने जीव विज्ञान संस्थान (आईएलएस) में कोविड-19 नैदानिक नमूनों के लिए जैव निक्षेपस्थल यानी बायोरिपॉजिटरी का उद्घाटन किया जिसके पास अब 202 कोविड रोगियों से नासा-ग्रसनी फाहा, रक्त, मूत्र और लार आदि के 1000 से अधिक नमूने रखे हैं । आईएलएस-आईबीएसडी भागीदारी केंद्र, जिसका उद्देश्य उन्नत जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पूर्वोत्तर क्षेत्र के वैज्ञानिक समुदायों के कौशल और क्षमता का विकास करना है, को भी मंत्री महोदय द्वारा समर्पित किया गया। डॉ. हर्षवर्धन ने हिमालयन बायोरिसोर्स मिशन की शुरुआत भी की। यह मिशन सामाजिक विकास के लिए स्थानांतरीय अनुसंधान करते हुए कृषि, बागवानी, औषधीय और सुगंधित पौधों, पशुधन और सूक्ष्मजीव संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्नत अनुसंधान करेगा ।

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