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उत्तराखण्ड शिल्पकार चेतना मंच की स्मारिका विमोचन करते हुएः मुख्यमंत्री

उत्तराखंड

देहरादून: सरकार का प्रयास है कि खुशहाल उत्तराखण्ड के साथ ही सांस्कृतिक उत्तराखण्ड बने। यदि राज्य के पारम्परिक शिल्प को बचाना है तो इसे रोजगार से जोड़ना होगा। शिल्प हमारी संस्कृति का हिस्सा है। यदि संस्कृति का संरक्षण करना है तो शिल्प का संरक्षण जरूरी है।

हाथीबड़कला स्थित सर्वे आॅफ इण्डिया में उत्तराखण्ड शिल्पकार चेतना मंच की स्मारिका विमोचन के अवसर बोलते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि हमें अपने गांव, अपनी खेती, अपना पानी, अपनी संस्कृति को बचाने के लिए बड़े प्रयास करने होंगे। हमारे कमजोर होते शिल्प संरक्षण के लिए जो प्रयास सरकार द्वारा अब प्रारम्भ किए गए हैं, वे 20 साल पहले किए जाने चाहिए थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शिल्पकला को संरक्षित करने के लिए तत्पर है। हम प्रयास कर रहे हैं कि भवन निर्माण में उत्तराखण्ड की भवन शैली का उपयोग किया जाए। वाद्य यंत्र बजाने वाले 60 वर्ष से अधिक आयु के कलाकारों को पेंशन योजना में लाया गया है। एक हजार शिल्पकारों को मास्टर क्राफ्टमेन बनाया जाएगा। संस्कृति संवर्धन एवं मेला वर्गीकरण समिति को संस्कृति संरक्षण के लिए योजना तैयार करने हेतु निर्देशित किया गया है। शिल्पकारों के लिए मार्केट विकसति किए जा रहे हैं। सीएम ने कहा कि गांवों में भूमि बंजर न रहे इसके लिए ‘‘हमारा पेड़ हमारा धन‘‘ योजना प्रारम्भ की गई है। पेड़ लगाने के लिए बोनस भी दिया जा रहा है। प्रवासी उŸाराखण्डियों को भी अपने गांवों में खाली पड़ी भूमि में पूड़ लगाने के लिए आगे आना चाहिए। इससे भूमि बंजर नहीं रहेगी और जलस्त्रोत भी संरक्षित रहेंगे। सीएम ने कहा कि बेकलाॅग पूरा करने के लिए संविधान के अनुसार काम किया जाएगा। इरशाद कमेटी को विस्तार नहीं दिया गया है। केवल अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कुछ समय दिया गया है। इस अवसर पर पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, चंदर सिंह, बलवंत सिंह भारती सहित अन्य उपस्थित थे।

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