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नमामि गंगे योजना की बैठक की अध्यक्षता करते हुएः मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड

देहरादून: बीजापुर अतिथि गृह में नमामि गंगे योजना की बैठक मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में आयोजित हुई। बैठक में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत राज्य व केन्द्र के मध्य कार्यों के विभाजन पर सहमति प्रदान की गयी। बैठक में भारत सरकार के संयुक्त सचिव, जल संसाधन मंत्रालय व नमामि गंगे प्रोजेक्ट के राष्ट्रीय निदेशक डाॅ. रजत भार्गव भी उपस्थित रहे।
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत राज्य में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किये जाएंगे और पुराने प्लांट्स को अपग्रेड किया जाएगा, साथ ही इनकी क्षमता भी बढ़ाई जाएगी। इसी प्रोजेक्ट के तहत नदियों के किनारे घाट भी बनाएं जाएंगे व दाह संस्कार के लिए श्माशान घाट भी तैयार किये जाएंगे। राज्य में नदियों को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए नदी में मिलने वाले नालों को टैप करके ट्रीटमेंट प्लांट्स तक पहुंचाया जाएगा। बैठक के दौरान इस बात पर भी सहमति बनी कि राज्य सरकार की ओर से पेयजल निगम, सिंचाई विभाग व नगरीय स्थानीय निकायों द्वारा नमामि गंगे प्रोजेक्ट पर कार्य किया जाएगा और राज्य सरकार की क्षमता से बाहर के कार्य भारत सरकार की संस्थाओं वेबकाॅस्ट व ई.आई.एल के द्वारा करवाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने इसमें रामनगर व काशीपुर को शामिल करते हुए एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में तैयार करने के लिए कहा। जिस पर सहमति बनने के बाद काली नदी के किनारे बसी बस्तियों, रामनगर व काशीपुर सहित बद्रीनाथ व केदारनाथ को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने भारत सरकार के गंगा बायोडायवर्सिटी प्रोजेक्ट के तहत गंगा की जैव विविधता के संरक्षण हेतु हरिद्वार के खानपुर में क्रोकोडाईल पार्क स्थापित करने व गंगा व रामगंगा नदियों में गोल्डन महाशीर के संरक्षण हेतु भी प्रोजेक्ट शुरू करने की बात कही जिस पर सहमति बनी।
इन योजनाओं पर होने वाले खर्च का शत प्रतिशत व्यय केन्द्र सरकार द्वारा किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार ने 1000 करोड़ की डीपीआर स्वीकृति हेतु भारत सरकार को भेजी है, जिसमें सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, नदियों के किनारे घाट, दाह संस्कार हेतु श्माशान घाट सहित कूड़े के निस्तारण हेतु होने वाले सभी व्यय शामिल हैं। यह भी सहमति बनी की इन पर होने वाले व्यय प्राथमिकता पर स्वीकृत किये जाएंगे। इन योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु भूमि भी राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार के अधीन भूमि, सरकार द्वारा निशुल्क उपलब्ध करायी जाएगी और निजी भूमि होने की स्थिति में, इस पर होने वाला व्यय भारत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स को पीपीपी एन्यूटी माॅडल ;च्च्च् ।ददनपजल डवकमसद्ध के तहत बनाया जाएगा। इस पर होने वाला सम्पूर्ण व्यय भारत सरकार करेगी, साथ ही 15 वर्षों तक रखरखाव का खर्च भी भारत सरकार द्वारा ही व्यय किया जाएगा। इसके क्रियान्वयन व माॅनिटरिंग हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक प्रोजेक्ट समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें भारत सरकार का एक प्रतिनिधि भी शामिल होगा। जरूरत पड़ने पर भारत सरकार की संस्थाओं वेबकाॅस्ट व ई.आई.एल. द्वारा समय-समय पर राज्य सरकार की संस्थाओं जल संस्थान, सिंचाई विभाग व नगरीय स्थानीय निकायों को तकनीकि परामर्श भी दिया जाएगा। इसके लिए वेबकाॅस्ट व ई.आई.एल., राज्य सरकार के परामर्शानुसार राज्य में अपने कार्यालय भी खोलेंगे। राज्य सरकार व भारत सरकार इस प्रोजेक्ट पर घनिष्ठ समन्वय बनाकर कार्य करेंगे।

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