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राज्य समन्वय समिति की बैठक अध्यक्षता करते हुएः मुख्य सचिव

उत्तराखंड

देहरादून: राज्य में इकोनामिक आफेंस विंग(इओडब्लू) जल्द कार्य करना शुरू कर देगा। ईओडब्लू का गठन हो गया था, लेकिन पुलिस इंसपेक्टरों की कमी के चलते विंग का कार्य अलग से शुरू नहीं हो सका था। यद्यपि सीआईडी के तरह आर्थिक अपराध के मामले दर्ज हो रहे थे। मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने इसे गम्भीरता से लिया। उन्होंने तत्काल इंसपेक्टरों की तैनाती, वित्त अधिकारी और कार्मिक की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। ये निर्देश मुख्य सचिव ने सोमवार को सचिवालय में वित्तीय क्षेत्र के नियामकों और कानून लागू करने वाली अथार्टिज के राज्य समन्वय समिति की बैठक के दौरान दिये।
बैठक में बताया गया कि उत्तराखंड सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बना लिया है। राज्य की वेबसाइट पर पंजीकृत वित्तीय संस्थाओं की सूची अपलोड की जा रही है। कमाई करने का लालच देकर लोगों का धन ठगने वालों पर नकेल कसने के लिए रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया की गाइड लाइन के अनुसार कार्य किया जा रहा है। आरबीआई के अनुसार सभी प्रकार के व्यावसायिक और सहकारी बैंक धन जमा करा सकते हैं। जबकि केवल कुछ ही नान बैंकिंग फाइनेंसियल कम्पनी एक निश्चित सीमा तक धन जमा कर सकती है। इसी तरह से केवल कुछ ही हाउसिंग फाइनेंस कम्पनियों को डिपाजिट करने के लिए अधिकृत है। इसका नियामक नेशनल हाउसिंग बैंक है। अन्य कम्पिनियां मिनिस्ट्री आॅफ कारपोरेट अफेयर्स के तहत आते हैं। कुछ ही सक्षम कम्पनियां डिपाजिट ले सकती हैं। इसके अलावा कोआपरेटिव क्रेडिट सोसाइटीज अपने सदस्यों से ही धन जमा कर सकती हैं, जिन्हें वोट देने का अधिकार है। ये समितियां रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसाइटीज के नियमन में कार्य करती है। इसी तरह से मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटीज भी अपने वोट देने वाले सदस्यों से ही धन जमा कर सकती हैं। इनका नियमन सेंट्रल रजिस्ट्रार आॅफ कोआपरेटिव सोसाइटीज द्वारा किया जाता है। बताया गया कि आरबीआई की वेबसाइट पर सूची उपलब्ध है। लोगों को जागरूक करने के लिए आरबीआई के ‘सचेत’ नाम से वेबसाइट भी बनाई है। जिससे कि किसी धोखेबाज कम्पनी में जनता का धन न फंसे।
बैठक में सचिव वित्त अमित नेगी, सचिव गृह विनोद शर्मा, अपर सचिव वित्त श्रीधर बाबू अद्दांकी, आरबीआई के जीएम, नाबार्ड के सीजीएम, सेबी के जीएम सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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