26 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने शत्रु के शेयरों की बिक्री के लिए तय प्रक्रिया और कार्यप्रणाली को मंजूरी दी

देश-विदेशव्यापार

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीयमंत्रिमंडल ने शत्रु के शेयरों की बिक्री के लिए प्रक्रिया और कार्यप्रणाली को मंजूरी दी है। इसका विवरण इस प्रकार है  :

  1. शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 की धारा 8-ए की उपधारा-1 के अनुसार गृह मंत्रालय की अभिरक्षा/भारत की शत्रु संपत्ति के परिरक्षण के अधीन शत्रु शेयरों की बिक्री के लिए ‘सैद्धांतिक रूप से’ मंजूरी दी गयी है।
  2. इन्हें बेचने के लिए शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 की धारा 8-ए की उपधारा-7 के प्रावधानों के अधीन निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन को प्राधिकृत किया गया है।
  3. विनिवेश लाभ के रूप में बिक्री लाभों को वित्त मंत्रालय द्वारा पोषित सरकारी लेखा में जमा कराया जाएगा।

विस्तृत विवरण   :

  1. 20,323 शेयर धारकों के 996 कंपनियों के कुल 6,50,75,877 शेयर सीईपीआई की अभिरक्षा के अधीन है। इन 996 कंपनियों में से 588 क्रियाशील/सक्रिय कंपनियां है। इनमें से 139 कंपनियां सूचीबद्ध है और शेष कंपनियां गैर-सूचीबद्ध है। इन शेयरों को बेचने की प्रक्रिया के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा गृहमंत्री को शामिल करके वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली वैकल्पिक कार्यप्रणाली (एएम) से मंजूरी प्राप्त करनी होती है। एएम की सहायता अधिकारियों की उच्चस्तरीय समिति करेगी जिसके सह-अध्यक्ष सचिव, डीआईपीएएम और गृह मंत्रालय के सचिव (डीईए, डीएलए, कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय और सीईपीआई के प्रतिनिधियों सहित) होंगे। यह शेयरों की बिक्री के लिए प्रमात्रा, मूल्य/मूल्य बैंड, सिद्धांत और कार्यप्रणालियों के संबंध में अपनी सिफारिशें करेगी।
  2. शत्रु शेयरों की किसी भी बिक्री शुरू करने से पहले सीईपीआई यह प्रमाणित करेगी की शत्रु शेयरों की यह बिक्री किसी भी न्यायालय, ट्रिब्यूनल या किसी प्राधिकरण या वर्तमान में लागू किसी कानून द्वारा प्रतिबंधित नहीं है और इसका सरकार द्वारा निपटान किया जा सकता है।
  3. चल शत्रु संपत्ति के निपटान के लिए जैसा अभी अपेक्षित हो सलाहकार/मर्चेंट बैंकर, कानूनी सलाहकार, बिक्री ब्रोकर आदि जैसे मध्यवर्तियों की खुली निविदा/सीमित निविदा प्रक्रिया के माध्यम से डीआईपीएएम द्वारा नियुक्ति की जाएगी। अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) बिक्री प्रक्रिया का मार्गदर्शन करेगा।

1968 के अधिनियम में ‘शत्रु’ की परिभाषा इस प्रकार थी : ‘शत्रु’ या ‘शत्रु विषय’ या ‘शत्रु फर्म’ का आशय उस व्यक्ति या देश से है जो एक शत्रु, शत्रु विषय या एक शत्रु फर्म था, भारत रक्षा अधिनियम और नियमावली के तहत जैसा भी मामला हो, लेकिन इसमें भारत के नागरिक शामिल नहीं होते हैं। 2017 के संशोधन द्वारा इसमें उसके कानूनी उत्तराधिकारी या वारिस चाहे वह भारत का नागरिक हो या ना हो या ऐसे देश का नागरिक हो जो भारत का शत्रु हो या ना हो और जिसने अपनी राष्ट्रीयता बदली हो, को प्रतिस्थापित किया गया है।

प्रभाव

  1. इस फैसले से 1968 में शत्रु सम्‍पत्ति अधिनियम लागू होने के बाद कई दशकों तक बेकार पड़े शत्रु शेयर का मुद्रीकरण होगा।
  2. 2017 में संशोधन से शत्रु सम्‍पत्ति के निपटान के लिए एक विधायी प्रावधान किया गया था।
  3. शत्रु शेयरों की बिक्री के लिए प्रक्रिया और व्‍यवस्‍था की मंजूरी के बाद अब इनकी बिक्री के लिए एक व्‍यवस्‍था का गठन किया गया है।

महत्‍वपूर्ण प्रभाव :

इस फैसले से दशकों तक बेकार पड़ी शत्रु अचल सम्‍पत्ति का मुद्रीकरण हो सकेगा। इनकी बिक्री से मिले धन का इस्‍तेमाल विकास और समाज कल्‍याण कार्यक्रमों में किया जा सकता है।

पृष्‍ठभूमि :

  1. शत्रु सम्‍पत्ति अधिनियम, 1968 भारत रक्षा नियमावली, 1962 और भारत रक्षा नियमावली, 1971 (27 सितम्‍बर, 1997 से प्रभावी) के तहत सीईपीआई के अधिकार क्षेत्र में शत्रु सम्‍पत्ति को बनाये रखने का प्रावधान है।
  2. इस अधिनियम में 2017 में संशोधन के जरिये धारा-8ए के तहत सीईपीआई को शत्रु सम्‍पत्ति बेचने का अधिकार दिया गया है।
  • किसी न्‍यायालय, न्‍यायाधिकरण या अन्‍य प्राधिकरण या उस वक्‍त लागू किसी कानून के तहत आए किसी फैसले या आदेश के बावजूद इस संदर्भ में केन्‍द्र सरकार द्वारा निर्दिष्‍ट किसी समय सीमा में शत्रु सम्‍पत्ति का अभिरक्षक, केन्‍द्र सरकार की पूर्व मंजूरी या विशेष आदेश के तहत अपने अधीन शत्रु सम्‍पत्ति का निपटान शत्रु सम्‍पत्ति (संशोधन तथा वैधता) कानून, 2017 के लागू होने से ठीक पहले इस कानून के प्रावधानों के तहत जैसा कि शत्रु सम्‍पत्ति (संशोधन तथा वैधता) कानून 2017 में संशोधन किया गया है, उसे बेचकर या किसी अन्‍य तरीके से कर सकता है।
  • शत्रु सम्‍पत्ति अधिनियम, 1968 की धारा 8-ए की उपधारा-7 में किए गए संशोधन के अनुसार केन्‍द्र सरकार सम्‍पत्ति के संरक्षक की जगह पर किसी अन्‍य प्राधिकरण या मंत्रालय या विभाग को शत्रु सम्‍पत्ति के निपटान के लिए निर्देश दे सकती है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More