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बाढ़ प्रभावित केरल के लिए केन्द्रीय सहायता

देश-विदेश

नई दिल्ली: केरल में हाल में आई बाढ़ के दौरान, केन्द्र ने बिना किसी पूर्वाग्रह के तत्काल राहत सामग्री और सहायता समय पर पहुंचाई। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नियमित रूप से स्थिति पर नजर रखीं गई और उन्होंने 17-18 अगस्त, 2018 को राज्य का दौरा किया। उनके निर्देश पर, मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) ने 16-21 अगस्त, 2018 तक रोजाना बैठकें कर बचाव और राहत कार्यों की नियमित निगरानी की। रक्षा सेवाओँ, एनडीआरएफ, एनडीएमए के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य मंत्रालयों के सचिव इन बैठकों में शामिल हुए। केरल के मुख्य सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इन विचार-विमर्शों में भाग लिया।

इन बैठकों के दौरान लिए गए फैसलों के बाद केन्द्र ने व्यापक बचाव और राहत कार्य शुरू किया। अब तक सबसे बड़े बचाव कार्यों में से एक इस कार्य में 40 हेलीकॉप्टर, 31 विमान, 182 बचाव दल, रक्षा बलों के 18 चिकित्सा दल, एनडीआरएफ की 58 टीमों, सीएपीएफ की 7 कम्पनियों के साथ 500 से अधिक नौकाओं और आवश्यक बचाव उपकरणों की मदद ली गई। इन सभी ने बाढ़ से घिरे इलाकों से सफलतापूर्वक 60,000 लोगों को निकालकर उन्हें राहत शिविरों तक पहुंचाया। रक्षा विमानों और हेलीकॉप्टरों ने 1,168 उड़ान घंटों के दौरान 1,084 चक्कर लगाए और 1286 टन सामान पहुंचाया तथा 3332 बचाव दल के सदस्यों को पहुंचाया, साथ ही नौसेना और तटरक्षक के सदस्यों को केरल में राहत सामग्री ले जाने के कार्य में लगाया गया। तलाशी और बचाव कार्यों तथा केवल संसाधन जुटाने में केन्द्र सरकार के करोड़ों रुपये खर्च हुए।

किसी भी अधिसूचित आपदा के दौरान बचाव और राहत खर्च को पूरा करने के लिए वित्तीय तंत्र राज्य आपदा मोचन कोष (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष (एनडीआरएफ) द्वारा संचालित होता है। राज्य आपदा मोचन कोष का गठन प्रत्येक राज्य में किया गया है जिसमें सामान्य श्रेणी के राज्यों के लिए केन्द्र 75 प्रतिशत और पहाड़ी क्षेत्रों के विशेष श्रेणी वाले राज्यों के लिए हर वर्ष 90 प्रतिशत योगदान देता है।

दिशा-निर्देशों के अनुसार केन्द्र सरकार प्रत्येक राज्य के एसडीआरएफ को अपना आवंटन दो किश्तों में अग्रिम देती है। किसी प्रकार की प्राकृति आपदा की स्थिति में राज्य एसडीआरएफ से राहत और बचाव के खर्च को पूरा करते है। यदि प्राकृतिक आपदा राज्य की मुकाबला करने की क्षमता से परे है तो संबद्ध राज्य सरकार विस्तृत ज्ञापन देती है जिसमें नुकसान का क्षेत्रवार विवरण दिया जाता है और राहत कार्यों के लिए तत्काल फंड की आवश्यकता बताई जाती है। ज्ञापन मिलने पर नुकसान का मौके पर जायजा लेने और धन की अतिरिक्त जरूरत के लिए केन्द्र सरकार द्वारा अंतर-मंत्रिस्तरीय केन्द्रीय दल (आईएमसीटी) नियुक्त किया जाता है। आईएमसीटी की रिपोर्ट पर केन्द्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (एससी-एनईसी) की उप-समिति द्वारा नियमों के अनुसार विचार किया जाता है और इसके बाद केन्द्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति एनडीआरएफ से अतिरिक्त सहायता की मंजूरी के लिए विचार करती है।

केरल में हाल में आई बाढ़ और भूस्खलन के संबंध में राज्य ने 21 जुलाई, 2018 को एक अंतरिम ज्ञापन सौंपा और इसके तुरंत बाद एक आईएमसीटी का गठन किया गया जिसने क्षति के आकलन के लिए 7 से 12 अगस्त, 2018 तक राज्य का दौरा किया। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने 21 जुलाई, 2018 को केरल की यात्रा की। इसके बाद 12 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने राज्य का दौरा किया। अभी राज्य में बाढ़ का दूसरा दौर है। राज्य सरकार ने अनुरोध किया है कि बाढ़ के कारण हुए ताजा नुकसान से संबंधित एक अतिरिक्त ज्ञापन भी सौंपा जाएगा।

चूँकि अतिरिक्त ज्ञापन को सौंपने में समय लगेगा इसलिए केन्द्र सरकार ने 600 करोड़ रुपये की अग्रिम धनराशि जारी की है, ताकि राज्य में राहत व बचाव कार्यों को सहायता प्रदान की जा सके।

आईएमसीटी और उच्च स्तरीय समिति का निर्णय

यह धनराशि राज्य के एसडीआरएफ के लिए जारी किए गए 562.45 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है। वित्तीय सहायता के अलावा केंद्र सरकार ने बड़ी मात्रा में भोजन, पेयजल, दवा और अन्य आवश्यक सामग्री की आपूर्ति की है। राज्य सरकार के अनुरोध के अनुसार खाद्यान्नों का अतिरिक्त आवंटन किया गया है। आपात स्थिति को देखते हुए इन सामग्री की आपूर्ति के लिए सामान्य नियमों और प्रक्रियाओं को मानने की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। प्रधानमंत्री के केरल दौरे के पश्चात कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जैसे – प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) से अनुग्रह भुगतान, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत क्षतिग्रस्त मकानों का निर्माण, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत अतिरिक्त 5.5 करोड़ कार्यदिवस, एनएचएआई, एनटीपीसी और पीजीसीआईएल जैसी कंपनियां राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों के मरम्मत और विद्युत आपूर्ति बहाल करने में योगदान देंगी।

यह स्पष्ट किया जाता है कि केन्द्र सरकार द्वारा जारी 600 करोड़ रुपये की धनराशि केवल अग्रिम सहायता है। प्रक्रिया के तहत क्षति – आकलन के पश्चात एनडीआरएफ से अतिरिक्त धनराशि जारी की जाएगी।

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