34 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

बैंक कर्मचारी संघों ने बैंकों के विलय का किया विरोध, कहा- समझ से परे अर्थव्यवस्था होगी अस्थिर

देश-विदेश

बैंक कर्मचारी संघों ने 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने के फैसले का शुक्रवार को विरोध करते हुए कहा कि यह फैसला उनकी समझ से परे हैं और इसके पीछे कोई तर्क नहीं दिखाई देता है। विलय की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकों के विलय का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय स्तर के मजबूत बैंकों का निर्माण करना है, ताकि देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाया जा सके।

सरकार ने पंजाब नेशनल बैंक पीएनबी), केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक में अन्य बैंकों का विलय करते हुये चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की है। इसमें पीएनबी में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का, केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का एवं इंडियन बैंक में इलाहाबाद बैंक का विलय किया जाएगा।

पीएनबी विलय के बाद देश का दूसरा और केनरा बैंक चौथा सबसे बड़ा सरकारी बैंक होगा। विलय के बाद कुल सरकारी बैंकों की संख्या 12 रह जाएगी। पीएनबी के बाद बैंक आफ बड़ौदा तीसरा बड़ा बैंक होगा। इससे पहले सरकार भारतीय स्टेट बैंक में उसके सहयोगी और भारतीय महिला बैंक का एवं बैंक ऑफ बड़ौदा में देना बैंक और विजया बैंक का विलय कर चुकी है।

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने एक बयान में कहा, ‘सरकार के प्रस्ताव विलय के) बिना सोच-विचार कर लाए गए हैं। इनका कोई तार्किक आधार नहीं है। इसमें ना तो कमजोर बैंक का विलय मजबूत के साथ किया जा रहा है ना ही यह भौतिक तौर पर समन्वय में आसान बैंकों का विलय किया जा रहा है।’ बयान में कहा गया है कि कोलकाता मुख्यालय वाले युनाइटेड बैंक का विलय दिल्ली मुख्यालय वाले पंजाब नेशनल बैंक के साथ किया जा रहा है। वहीं सिंडिकेट बैंक और केनरा बैंक जैसे एक ही क्षेत्र दक्षिण भारत) में काम करने वाले बैंकों का विलय किया जा रहा है।

संघों ने कहा कि सरकार की ओर से विलय की घोषणा ऐसे समय की गयी है जब देश के आर्थिक हालात बुरे दौर से गुजर रहे हैं। यहां तक कि इस घोषणा से घंटाभर पहले जारी हुए आंकड़ों में देश की आर्थिक वृद्धि दर अप्रैल-जून तिमाही में पांच प्रतिशत के निम्नस्तर तक पहुंच जाने की जानकारी दी गयी। यह पिछली 25 तिमाहियों में सबसे निचली वृद्धि दर है। बयान में कहा गया है, ‘इस समय जब स्थिरता वक्त की जरूरत है, सरकार खुद वित्त और अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है।’

संघ ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक का विलय करने के बाद 1,000 और बैंक ऑफ बड़ौदा का विलय करने के बाद 500 से अधिक शाखाएं बंद हुईं। बयान में कहा गया है कि एक तरफ सरकार जनधन को लागू करना चाहती है, लेकिन शाखाओं को बंद करने के साथ यह कैसे मुमकिन है। कर्मचारी संघों ने शनिवार को इसके विरोध में काला दिवस मनाने की घोषणा की है। Source Khabar India TV

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More