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उत्तराखण्ड को आयुष प्रदेश के रूप में अन्र्तराष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने के लिये बैठक में सुरेन्द्र सिह नेगी प्रतिभाग लेते हुए

उत्तराखंड
नई दिल्ली/देहरादून: आज नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित राज्यों के आयुष मंत्रियों की एक दिवसीय संगोष्ठी में उत्तराखण्ड के चिकित्सा, स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं आयुष शिक्षा मंत्री

सुरेन्द्र सिह नेगी ने प्रतिभाग किया। बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय आयुष, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद येसो नाईक ने की।
स्वास्थ्य मंत्री श्री नेगी ने उत्तराखण्ड सरकार की संकल्पना के अनुसार उत्तराखण्ड को आयुष प्रदेश के रूप में अन्र्तराष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने के लिये बैठक में उत्तराखण्ड सरकार का पक्ष रखा।
उन्होनें कहा कि आयुष चिकित्सा विशेषकर आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत सम्पूर्ण विश्व में अग्रणी स्थान पर है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्वति विश्व की प्रचीनतम चिकित्सा पद्वतियों में एक है। आयुष चिकित्सा के क्षेत्र में हमारे वैज्ञानिक एवं शौधार्थी नित नये-नये आविष्कार एवं शोधकार्य कर रहे है, जो मानव कल्याण के लिए उपयोगी सिद्व हो रहे है। आज जहां आधुनिकता के युग में सम्पूर्ण विश्व असामयिक जलवायु परिवर्तन से जूझ रहा है। वहीं आयुष चिकित्सा प्रद्व़ति एवं योग प्राकृतिक चिकित्सा पद्वति का विकास, वन सरंक्षण, वृक्षापरोण, बागवानी, पर्यावरण सवद्र्वन कर हम देशवासियों को निरोगी एवं आरोग्यवद्र्वक बना सकते है।
उन्होंनंे ने कहा कि राज्य में कच्ची औषोधियांे का अपार भण्डार है। कई औषोधियां लुप्त होने की कगार पर है। जिनका संवर्धन एवं संरक्षण किया जाना आवश्यक है। साथ ही किसान को आौषोधीय पादपों की कृषि हेतु प्रोत्सहित किया जाना आवश्यक है। ताकि विलुप्त औषोधियों के संवर्धन के साथ किसानों को रोजगार भी उपलब्ध हो सके। इसके लिये उत्तराखण्ड में आयुष चिकित्सा पद्वति के संवद्र्वन एवं राज्य के हिमालीय क्षेत्रों में उत्पादित दुलर्भ प्रजातियों के औषधीय/भेषजीय पादपों के अनुसंधान एवं विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2009 में उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। भारत सरकार द्वारा विश्वविद्यालय स्थापना हेतु रूपये 700 लाख की धनराशि सैद्वान्तिक रूप से स्वीकृत करते हुये प्रथम किश्त के रूपये 300 लाख की धनराशि स्वीकृत की गई है। द्वितीय किश्त के रूप में शेष धनराशि रूपये 400 लाख की स्वीकृत भारत सरकार से अपेक्षित है आयुर्वेद विश्वविद्यालय वर्तमान में पूर्णरूप से अस्तिव मंे आ चुका है एवं शैक्षिक विकास एवं अनुसंधान संबंधी कार्यो का सम्पादन कर रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आयुष मंत्रालय क्मअमसवचउमदज व ि।लनेी प्देजपजनजपवदे द्वारा योजना के तहत नवस्थापित आयुष संस्थानांे/विश्वविद्यालयों को मात्र एक मुश्त अनुदान के रूप में रूपये 10 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की जाती है। संबंधित धनराशि अत्यन्त ही न्यून है। इसलिए आयुष शिक्षा संस्थानों/विश्वविद्यालयों को शोध एवं विकास की क्षेत्र में प्रोत्साहन हेतु यू0जी0सी0 की भांति प्रति वर्ष रूपये 50 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की जाये तथा भविष्य के लिये आयुष शिक्षा को भी यू0जी0सी0 के अनुदान सूची में सम्मिलित किया जाये।
नेगी ने बताया कि राज्य की विषम भौगोेलिक परिस्थितियों के मद्देनजर उत्तराखण्ड सरकार द्वारा भारत सरकार को रूपये 3678.795 लाख की कार्य योजना स्वीेकृति हेतु भेजी गयी थी जिसके सापे्रक्ष्य मात्र रूपये 486.064 लाख की स्वीकृति प्राप्त हुयी। राज्य सरकार को शेष धनराशि की शीघ्र स्वीकृति दी जाये। राज्य में राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सालय/आयुष विंग तथा राष्ट्रीय मिशन के अन्र्तगत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में आयुष विंग संचालित है, जिनके लिये वित्तीय वर्ष 2014-18 मंे स्वीकृत रूपये 486.064 के सापेक्ष रूपये 284.00 लाख की धनराशि चिकित्सालयों हेतु आवश्यक औषधि क्रय हेतु व्यय की गई है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में स्वीकृत रूपये 467.781 एवं वित्तीय वर्ष 2014-15 की अवशेष धनराशि रूपये 153.457 लाख की औषधि क्रय हेतु व्यय की जा रही है। आगमी वार्षिक कार्य योजना(च्प्च्) के अनुसार औषधि क्रय हेतु रूपये 2210 लाख की आवश्यकता है।
उन्होनंे कहा कि आयुष शिक्षा के संवद्र्वन हेतु आयुष मिशन के विभिन्न प्रस्तावों को भारत सरकार के स्वीकृति हेतु भेजा गया है। जिसमें मुख्यतः केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा के अनुरूप राष्ट्रीय आयुष मिशन योजानान्तर्गत राज्य में होम्योपैथी कालेज व चिकित्सालय की स्थापना हेतु रूपये 1050 लाख, राज्य में सिद्धा कालेज व चिकित्सालय के स्थापना हेतु रूपये 1050 लाख, यूनानी कालेज व चिकित्सालय की स्थापना हेतु रूपये 1050 लाख, जनपद देहरादून में 50 शैय्याओं युक्त एकीकृत चिकित्सालय की स्थापना किये जाने हेतु रूपये 1050 लाख की धनराशि केन्द्रांश के रूप में स्वीकृत किये जाने संबंधी प्रस्ताव प्रमुख है। इसके अलावा विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में शिक्षाथियांे/शोधार्थियों/आम जनमानस के औषधीय पादको के प्रदर्शन हेतु हर्बल डेमों गार्डन की स्थापना के लिये राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड को रूपये 8.10 लाख का प्रस्ताव भेजा गया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के राजकीय क्षेत्र में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्वति के हरिद्वार स्थित 02 कालेज ऋषिकुल आयुर्वेदिक काॅलेज एवं गुरूकुल आयुर्वेदिक काॅलेज स्थापित है। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा दोनो कालेजों को विश्वविद्यालय का हरिद्वार परिसर घोषित किया जा चुका है। भारत सरकार द्वारा निर्गत दिशा-निर्देशों के अनुसार शैक्षिणक संस्थानों के भवन निर्माण, उपकरण, फर्नीचर हेतु रूपये 405.27 लाख की कार्ययोजना आयुष विभाग भारत सरकार को प्रेषित की गयी थी, जिसके सापेक्ष रूपये 60.568 लाख की स्वीकृति प्राप्त हुयी है, जो कार्ययोजना के अनुरूप अत्यन्त न्यून है। शैक्षणिक संस्थानों को सुदृढ़ किये जाने हेतु कार्ययोजना के अनुरूप समुचित धनराशि शीघ्र अवमुक्त करने का अनुरोध किया।
उन्होेनें कहा कि चिकित्सालयों की सुदृढ़ीकरण एवं उच्चीकरण करने के लिये राष्ट्रीय आयुष मिशन के अन्तर्गत 08 उच्चीकृत चिकित्सालयों में आवश्यक मानव संसाधन विकास हेतु रूपये 92 लाख की कार्ययोजना भारत सरकार को प्रेषित की गयी है। उच्चीकृत चिकित्सालयों के संचालन के लिये संबंधित स्वीकृति की नितान्त आवश्यकता है। जनपद नैनीताल के हल्द्वानी में 50 शैय्याययुक्त चिकित्सालय हेतु रूपये 13.20 लाख की स्वीकृति प्राप्त हुयी है। कार्ययोजना अनुसार रूपये 800 लाख की आवश्यकता है। स्वास्थ्य मंत्री नेगी ने अनुरोध किया कि भारत सरकार स्तर से लम्बित प्रस्तावों की स्वीकृति के साथ ही केन्द्रांश के रूप में अवेशष धनराशि यथाशीघ्र अवमुक्त करायी जाये।

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