नई दिल्ली: आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीपद येसो नाइक ने आज नई दिल्ली में ‘होम्योपैथिक औषध उत्पादों का नियमन : राष्ट्रीय एवं वैश्विक रणनीतियों’ पर विश्व एकीकृत चिकित्सा फोरम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर आयुष मंत्री ने कहा कि भारत में होम्योपैथी ने काफी अच्छी तरह से संस्थागत स्वरूप हासिल कर लिया है और हमारे यहां सार्वजनिक क्षेत्र में 235 होम्योपैथिक अस्पताल और 8,000 से भी ज्यादा क्लीनिक हैं। उन्होंने कहा कि भारत में ज्यादातर उत्पादन संयंत्र जीएमपी के अनुरूप हैं और ये गुणवत्ता, पैकेजिंग एवं वितरण से संबंधित नीतियों का पालन करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ये सभी उत्पादन इकाइयां औषधि और प्रसाधन सामग्री कानून के दायरे में आती हैं और उनके लाइसेंस का नवीकरण नियमित गुणवत्ता परीक्षण एवं व्यापक निरीक्षण पर निर्भर करता है।
अपने उद्घाटन भाषण में श्री श्रीपद नाइक ने कहा कि एक ऐसे उच्चस्तरीय रणनीतिक आदान-प्रदान प्लेटफॉर्म की निश्चित तौर पर जरूरत है, जहां हितधारक अपने मूल कार्य संबंधी संदर्भों से इतर आपस में एकजुट हो सकें। उन्होंने कहा कि इस फोरम से इस जरूरत की पूर्ति की जा सकती है। मंत्री महोदय ने कहा कि अन्य देशों में होम्योपैथिक दवाओं की अनुपलब्धता और इन दवाओं के लिए कठोर या नियामक प्रावधानों के अभाव के कारण होम्योपैथी का अब तक व्यापक रूप से उपयोग करना संभव नहीं हो पाया है।
आयुष मंत्रालय में सचिव श्री अजित एम.शरण ने भी इस बात पर खुशी जताई कि सीसीआरएच के जरिये मंत्रालय इस तरह के अनूठे कार्यक्रम का आयोजन करके वैश्विक स्तर पर अपनी अगुवाई का प्रदर्शन कर सकता है। सीसीआरएच के महानिदेशक डॉ. राज के.मनचंदा ने उम्मीद जताई कि इस फोरम से विश्वभर में नियामकीय ढांचे को मजबूत करने के लिए और ज्यादा परिचर्चाएं करने को बढ़ावा मिल सकता है और इसके साथ ही इस बात का आश्वासन दिया जा सकता है कि होम्योपैथी के उपयोगकर्ताओं की व्यापक पहुंच उच्च गुणवत्ता वाली होम्योपैथिक दवाओं तक संभव हो सकती है। विश्व एकीकृत चिकित्सा फोरम (डब्ल्यूआईएमएफ) के निदेशक डॉ. रॉबर्ट वैन हेजलेन के साथ-साथ फोरम के अंतर्राष्ट्रीय सलाहकारों ने भी इतने सारे देशों के नियामकों और होम्योपैथिक उद्योगपतियों को अपनी चिंताओं एवं विभिन्न मसलों को साझा करने के लिए एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने के चुनौतीपूर्ण कार्य को बढि़या ढंग से निभाने के लिए भारत सरकार का धन्यवाद किया।
इस अवसर पर होम्योपैथिक दवाओं के क्षेत्र में सहयोग के लिए होम्योपैथिक फार्माकोपिया कन्वेंशन ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स और भारत के संगठनों अर्थात भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी के औषधकोश आयोग (पीसीआईएमएंडएच) और केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये।
इस दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन आयुष मंत्रालय और केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) द्वारा किया जा रहा है, जिसमें भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी के औषधकोश आयोग और केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की ओर से सहायता दी जा रही है। होम्योपैथिक दवा उद्योग की प्रगति में भारत के एक महत्वपूर्ण देश के रूप में होने को लेकर बढ़ती अन्तर्राष्ट्रीय अवधारणा को ध्यान में रखते हुए यह अपनी तरह का पहला फोरम है। दवा कानून निर्माता, नियामक, निर्माता एवं विभिन्न नियामक प्राधिकरणों के फार्माकोपियल विशेषज्ञ, जाने-माने वैज्ञानिक संगठन और 25 देशों के दवा उद्योगों के प्रतिनिधि इस फोरम की दो दिवसीय बैठक में भाग ले रहे हैं, जिसमें होम्योपैथिक दवा उद्योग के कार्रवाई योग्य पहलुओं की रणनीति तैयार की जाएगी, जिससे इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अनुकूलन को बढ़ावा मिलेगा।
फोरम की उपर्युक्त बैठक के दौरान अनेक मसलों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। विभिन्न देशों में मौजूदा नियामकीय स्थिति, दुनिया के अनेक महत्वपूर्ण देशों में संभावित व्यापार अवसर, नियामकीय चुनौतियों के संभावित समाधान, राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर चुनौतियों से कारगर ढंग से निपटने के लिए ज्ञान एवं नेटवर्क का निर्माण करना इत्यादि इन मसलों में शामिल हैं।
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