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अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर हो सकता है जेवर एयरपोर्ट का नाम

देश-विदेश

नई दिल्ली: दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के जेवर क्षेत्र में बनने वाले इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा जा सकता है। जानकारी के मुताबिक जेवर इलाके के करीब 50 गांवों के किसानों और ग्राम प्रधानों ने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री और सांसद महेश शर्मा से मुलाकात की है और उनसे प्रस्तावित एयरपोर्ट का नाम पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर रखने की मांग की है। केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने 24 अगस्त को नोएडा में अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थि कलश यात्रा के दौरान इस बारे में कहा कि जेवर में प्रस्तावित एयरपोर्ट का नाम पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर रखने पर विचार-विमर्श हो रहा है। फिलहाल इस पर आखिरी फैसला केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को करना है।

करीब 50 गांवों के प्रधानों ने केंद्रीय मंत्री से की मांग

जहां एक ओर सरकार जेवर में प्रस्तावित एयरपोर्ट के नाम को लेकर विचार-विमर्श में जुटी हुई है। दूसरी ओर प्रशासन भी जेवर एयरपोर्ट का प्लान आगे बढ़ाने के लिए इससे जुड़े किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे और भूखंड की नीति में भी बड़ा बदलाव करने का फैसला लिया है। नई नीति के तहत जिन किसानों का घर प्रस्तावित एयरपोर्ट की वजह से शिफ्ट होगा, उन्हें 50 स्क्वेयरमीटर भूखंड की जगह आबादी के क्षेत्रफल का 50 फीसदी हिस्सा विकसित सेक्टर में दिया जाएगा।

जेवर एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण नीति में बड़ा बदलाव

इसके साथ-साथ पीडब्लूडी मकान की जितनी कीमत तय करेगा, प्राधिकरण उसकी दोगुनी धनराशि किसानों को विस्थापन के मुआवजे के तौर पर देगा। उनसे विकास शुल्क भी नहीं लिया जाएगा। इस बात की जानकारी यमुना प्राधिकरण के चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार और प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने दी है। एयरपोर्ट निर्माण के पहले फेज में 6 गांवों का अधिग्रहण किया जाएगा।

पहले फेज में 6 गांवों का अधिग्रहण

यमुना प्राधिकरण के चेयरमैन प्रभात कुमार ने बताया कि जिन किसानों को यहां शिफ्ट किया जाएगा उन्हें विकसित सेक्टर में भूखंड देने पर सहमति बन गई है। जेवर एयरपोर्ट के लिए जिस आवासीय भूमि का अधिग्रहण होगा उसके बदले किसानों को जो भूखंड दिया जाएगा वहां पार्क, सामुदायिक केंद्र, स्कूल, अस्पताल, पेयजल आपूर्ति, सीवेज पाइप लाइन, बिजली लाइन आदि तैयार करके दिया जाएगा। नई योजना के तहत किसानों को कम से कम 40 मीटर भूखंड मिलेगा, चाहे उनका मकान छोटी ही क्यों ना हो। नए भूखंड पर मकान का निर्माण किसान खुद करेंगे। source: oneindia

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