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एक्वापोनिक्स और संबंधित वैकल्पिक कृषि तकनीकों से किसानों को अपनी उत्पादकता और आय बढ़ाने में मदद मिलेगी: संजय धोत्रे

देश-विदेश

किसानों की स्थिति में सुधार के लिए एक्वापोनिक्स और संबंधित वैकल्पिक कृषि तकनीकों की अत्यधिक आवश्यकता है। केंद्रीय शिक्षा, संचार एवं इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे ने कहा कि इस तकनीक से किसानों को उनकी भूमि की उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी और उसकी आय में भी वृद्धि होगी। श्री संजय धोत्रे ने सी-डैक मोहाली से आज गुरु अंगद देव वेटरनरी विश्वविद्यालय (जीएडीवीएएसयू), लुधियाना में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस कंप्यूटिंग (सी-डैक), मोहाली द्वारा विकसित एक पायलट एक्वापोनिक्स सुविधा का वर्चुअली उद्घाटन किया। श्री धोत्रे ने बताया कि इस तरह की तकनीकों को जन-जन में तेजी से फैलाने के लिए कई और परियोजनाओं को शुरू किया जाना चाहिए।

इस क्षेत्र में अपने तरह की पहली अत्याधुनिक सुविधा को निगरानी और स्वचालित नियंत्रण के लिए उन्नत सेंसर से लैस किया गया है। इसे भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की वि‍त्‍तीय सहायता से विकसित किया गया है। इस अवसर पर  सी-डैक, मोहाली के कार्यकारी निदेशक डॉ. पी.के खोसला ने कहा कि यह सुविधा लगभग शत-प्रतिशत जैविक है, फसल की उपज के लिए बहुत कम भूमि की आवश्यकता होती है, 90 प्रतिशत कम पानी की खपत होती है, इस प्रकार से उत्‍पादित मछलियां और पौधे अधिक पौष्टिक होते हैं।

सी-डैक के महानिदेशक डॉ. हेमंत दरबारी ने कृषि के क्षेत्र में सी-डैक की विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी और सी-डैक, मोहाली के प्रयासों की सराहना की। भारत सरकार के विशेष सचिव और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में वित्तीय सलाहकार श्रीमती ज्योति अरोड़ा ने भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व और कृषि को आगे बढ़ाने के लिए तकनीक को आगे बढ़ाने की आवश्यकता के बारे में चर्चा की। विशेष सचिव और वित्तीय सलाहकार श्रीमती ज्योति अरोड़ा, जो सम्‍मानित अतिथि थीं, ने कहा कि इस तकनीक की मदद से महत्‍वाकांक्षी ग्रामीण युवाओं को मुख्य धारा में लाया जाएगा और कृषि-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

इस अवसर पर जीएडीवीएएसयू विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में मछलियों और ऐसी फसलों की मांग तेजी से बढ़ रही है और विशेषकर गैर-तटीय क्षेत्रों में इस प्रकार की प्रणालियाँ किसानों की आय बढ़ाने में बहुत सहायक होंगी।

एक्वापोनिक्स एक उभरती हुई तकनीक है, जिसमें मछलियों के साथ-साथ पौधों को भी एकीकृत तरीके से उगाया जाता है। मछली का कचरा बढ़ते पौधों के लिए उर्वरक प्रदान करता है। पौधे पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं और पानी को फ़िल्टर करते हैं। इस फ़िल्टर किए गए पानी का उपयोग मछली टैंक को फिर से भरने के लिए किया जाता है। यह एक पर्यावरण अनुकूल तकनीक है। सी-डैक के महानिदेशक डॉ. हेमंत दरबारी  ने कहा कि सी-डैक द्वारा प्रदान की जा रही सुपरकंप्यूटिंग शक्ति कृषि प्रौद्योगिकी के विकास में एक लंबा रास्ता तय करेगी।

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