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एपीडा ने वाराणसी क्षेत्र से चावल की खेप को जहाज में लदान करने के लिए एक मंच उपलब्‍ध कराया

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चंदौली, उत्‍तर प्रदेश राज्‍य में “धान का कटोरा” के रूप में प्रसिद्ध है। गंगा के मैदानी इलाकों की उपजाऊ भूमि के कारण यहां गैर-बासमती चावल का बड़ी मात्रा में उत्‍पादन होता है। वाराणसी क्षेत्र से चावल के निर्यात की संभावनाओं को देखते हुए, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने भारत के प्रमुख निर्यातकों के साथ तालमेल स्‍थापित किया और उन्‍हें वाराणसी क्षेत्र से चावल की खेप का जहाज में लदान करने के लिए मंच उपलब्ध कराया। क्षेत्रीय चावल की खेप को रवाना करने का कार्यक्रम 16 दिसंबर 2020 को सिन्धाहरुआ रिंग रोड चौराहे के पास सिंधोरा रोड अंडर पास वाराणसी में आयोजित किया गया। 520 मीट्रिक टन क्षेत्रीय चावल की खेप को एपीडा के अध्‍यक्ष डॉ. एम. अंगामुथु और संभागीय आयुक्त वाराणसी श्री दीपक अग्रवाल ने हरी झंडी दिखाई। इस कार्यक्रम में एपीडा के सचिव डॉ. सुधांशु, एपीडा के एजीएम डॉ. सी. बी. सिंह, संयुक्त निदेशक कृषि, वाराणसी और राज्य बागवानी तथा कृषि विभाग, कृषि विपणन और कृषि विदेश व्यापार विभाग के अन्‍य अधिकारी भी शामिल हुए।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए एपीडा के अध्‍यक्ष ने कहा कि वाराणसी क्षेत्र से चावल का निर्यात बढ़ाने की संभावनाओं पर विचार करते हुए एपीडा वाराणसी क्षेत्र से चावल के निर्यात में बढ़ोतरी करने के उद्देश्‍य से एक परिप्रेक्ष्य कार्य योजना तैयार करेगा, ताकि सभी संबंधित हितधारकों को लक्ष्य अर्जित करने के लिए समयबद्ध तरीके से आवश्यक कार्रवाई करने में सक्षम बनाया जा सके।

संभागीय आयुक्त वाराणसी ने कहा कि वाराणसी संभाग से क्षेत्रीय चावल को बढ़ावा देने के लिए चावल के उत्पादन क्षेत्र की पहचान करने तथा किसानों, एफपीओ, निर्यातकों, संघों और अन्य हितधारकों को मजबूती प्रदान करने के लिए एक मंच का सृजन करने हेतु राज्य सरकार के सहयोग से प्रयास किए जाएंगे। चावल की इस खेप का निर्यात मेसर्स सुखबीर एग्रो एनर्जी लिमिटेड ने किया। बताया गया है कि कंपनी पहली बार वाराणसी से कतर को 520 मीट्रिक टन चावल का लदान कर रही है।

समीक्षा बैठक की सह-अध्यक्षता वाराणसी के आयुक्‍त और एपीडा के अध्यक्ष ने की। इस बैठक में सभी संबंधित एजेंसियों ने भाग लिया। बैठक में परियोजना की प्रगति की समीक्षा की गई और संबंधित एजेंसियों को समयबद्ध रूप से कार्य योजना के अनुसार गतिविधियां करने के निर्देश दिए गए।

एपीडा के अध्‍यक्ष ने राजा का तालाब में जल्‍दी खराब होने वाली वस्‍तुओं के लिए बनाए गए परिसर केंद्र का भी दौरा किया। उन्‍होंने एपीडा द्वारा मान्यता के लिए पैकहाउस के रूप में सुविधाओं के उन्नयन की योजना के बारे में भी विचार-विमर्श किया। अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, वाराणसी की यात्रा का भी आयोजन किया गया। एपीडा के अध्यक्ष ने गैर-बासमती चावल की किस्मों की रूपरेखा और चावल के मूल्य संवर्धित उत्पादों के विकास के लिए आवश्यक पहलों के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने आईआरआरआई को एपीडा द्वारा मान्यता के लिए खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला को जल्द से जल्द एनएबीएल की मान्यता प्राप्त करने की सलाह दी, ताकि निर्यात के लिए नमूना खाद्य उत्पादों को जांच के लिए अन्य स्थानों पर भेजने की बजाय उनका वाराणसी में ही परीक्षण किया जा सके।

बाद में, रिवर पोर्ट वाराणसी की यात्रा का भी आयोजन किया गया। वाराणसी के आयुक्‍त और एपीडा के अध्‍यक्ष ने बांग्लादेश और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को लदान के लिए बंदरगाह से कोलकाता तक लदानों की योजना की स्थिति की समीक्षा की। एपीडा के अध्यक्ष ने बताया कि नदी बंदरगाह प्राधिकरण द्वारा लदान भेजने की अंतिम तकनीकी व्यवहार्यता का पता लगाने के बाद नदी बंदरगाह से कुछ लदानों की शुरूआत करने के सभी प्रयास किए जाएंगे।

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