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एयरटेल को ‘एप्‍प जीरो’ से मुनाफा!

व्यापार

नई दिल्‍ली। दुनिया की बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में शुमार भारतीय दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने कहा है कि हाल ही में लॉन्‍च ‘एप्‍प जीरो’ भारत में इंटरनेट निष्‍पक्षता भंग नहीं करता है। कंपनी के मुता‍बिक इसका इंटरनेट न्‍यूट्रेलिटी से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह तो उपभोक्‍ताओं को नि:शुल्‍क एप्‍प पहुंचाने का जरिया है। हालांकि जानकार कंपनी के इस तर्क को खारिज कर रहे हैं।

उनका मानना है कि यूजर्स को आकर्षित करने के लिए कंपनी आने वाले समय में विज्ञापन प्रदाता कंपनियों से मोटा मुनाफा वसूलने की योजना बना रही है। गौरतलब है कि कंपनी ने हाल ही में एप्‍प जीरो लॉन्‍च किया है, इस एप्‍प में कंपनी ने ऐसा इंटरनेट प्‍लान लॉन्‍च किया है,जिसमें यूजर्स को कुछ एप्‍प मुफ्त दिए जाएंगे।

“एयरटेल जीरो” एप्‍प को लेकर शुरू हुए विवाद के बीच रविवार को कंपनी ने साफ कहा कि कंपनी किसी भी तरह की इंटरनेट न्‍यूट्रेलिटी को बढ़ावा नहीं दे रही है। कंपनी का कहना है कि इस ऑफर से कंपनी की मुनाफा कमाने की कोई भविष्‍य की योजना नहीं है, क्‍योंकि यह पूरी तरह से मुफ्त है और सभी तरह के यूजर्स के लिए खुला है। कंपनी का कहना है कि यह पूरा ही विवाद व्‍यर्थ है क्‍योंकि भारत में इंटरनेट न्‍यूट्रेलिटी के बारे में ठीक से जानकारी नहीं है।

जानकारों का मानना है कि भारत जैसा देश जो एक बहुत ही बड़ा उपभोक्‍ता बाजार है, वहां एयरटेल के यह ऑफर आगे चलकर एकाधिकार में बदल जाएंगे। उनके मुताबिक यदि कंपनी उन्‍हीं एप्‍प को फ्री दे रही है, जो उन्‍हें पैसा देते हैं। यानी की उपभोक्‍ता जिस भी कंपनी के एप्‍प का इस्‍तेमाल करेगा, वह केवल उसी के प्रॉडक्‍ट का प्रयोग करेगा मतलब की उसके पास कोई दूसरा विकल्‍प ही नहीं होगा और इस तरह से कंपनी आगे चलकर उपभोक्‍ताओं से मनमाना पैसा वसूलेंगी।

जानकारों के मुताबिक एयरटेल उसी तरह का काम कर रही है जैसा आज से कुछ सालों पहले एसएमएस के जरिये फ्री देने वाली सेवा प्रदाता कंपनियों के साथ किया गया। कुछ समय पहले एसएमएस के जरिये हॉरोस्‍कोप और मैच का स्‍कोर देने वाली वैल्‍यू एडिट सर्विेसेज कंपनियों ने अप्रत्‍यक्ष तौर पर टेलीकॉम कंपनियों के लिए एक बड़ा कंटेंट डाटा इकट्ठा किया और बाद में टेलीकॉम कंपनियां इन्‍हीं का प्रयोग करने लगीं, जबकि यह सारी ही कंपनियां बाजार से गायब हो गईं। जानकारों के अनुसार एयरटेल का यह कदम भारत में इंटरनेट कानून की आचार संहित का उल्‍लंघन है, जिस पर ध्‍यान दिया जाना चाहिए।

यदि कोई यूजर्स एयरटल द्वारा लॉन्‍च इस एप्‍प का प्रयोग करता है, तो कंपनी तय करेगी की उपभोक्‍ता कौन-कौन से एप्‍प प्रयोग करेगा। खास बात यह है कि जो एयरटेल उन्‍हीं कंपनियों के एप्‍प यूजर्स को देगा, जिसका उसे पैसा मिलेगा। एयरटेल जीरो नाम के इस एप्‍प्‍ा ऑफर को भारत में इंटरनेट की दुनिया में एयरटेल के इस बाजार पर एकाधिकार के रूप में देखा जा रहा है और उसकी बेहद आलोचना भी हो रही है।

जानकारों के अनुसार इंटरनेट न्‍यूट्रेलिटी का मतलब है, इंटरनेट के प्रयोग की निष्‍पक्षता। इंटरनेट प्‍लेटफॉर्म पर सभी एप्‍प बराबर हैं, ऐसे में एयरटेल उस पैसे देने वाली कंपनी के विशेष एप्‍प को यूज करने का ऑफर देकर इस निष्‍पक्षता को भंग कर रही है। यह एक तरह से अपराध है, लेकिन फिलहाल भारत में इस पर कोई कानून नहीं है।

भारत में इंटरनेट उपभोक्‍ताओं की संख्‍या तेजी से बढ़ती जा रही है। इस समय 20 करोड़ इंटरनेट यूजर्स भारत में है। ताजा विवाद, जिसमें इंटरनेट न्‍यूट्रेलिटी यानी निष्‍पक्षता के सवाल उठ रहे हैं, उसके अनुसार जब भी कोई यूजर्स कोई डेटा प्‍लान खरीदता है, तो उसे इस बात का अधिकार होता है कि वह स‍भी तरह की एप्‍प के लिए इंटरनेट की समान स्‍पीड का उपभोग करे, लेकिन एयरटेल का यह प्‍लान यूजर्स को पहले तो इस बात के लिए बाध्‍य करता है कि वह कौन सी एप्‍प देखे और बाद में उस एप्‍प के माध्‍यम से बेचे जाने वाले विज्ञापनों को दिखाकर उपभोक्‍ता के सामने कोई विकल्‍प भी नहीं छोड़ता। जानकार कहते हैं कि एक कंपनी द्वारा उपभोक्‍ताओं को कुछ एप्‍प का प्रयोग करने के लिए बाध्‍य करना अच्‍छे संकेत नहीं है।

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