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आम फलपट्टी में सूड़ी कीट के नियंत्रण हेतु निर्धारित दवाओं के उपयोग की बागवानों को सलाह

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: आम के बागों में एक विशेष प्रकार के कीट के लगने के कारण आम की फसल खराब होती जा रही है। विशेषकर इस कीट का प्रकोप मलिहाबाद आम फलपट्टी में देखा गया है। इस कीट की सूड़ी हेलियोथिस कीट की सूड़ी से मिलती-जुलती है। इसे स्थानीय भाषा में कटर भी कहा जाता है।

उद्यान विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह एक बहुभक्षी कीट है, जो कोमल पत्तियों, फलों के डण्ठलों एवं अन्य भागों को हानि पहुंचा रहा है। आम के अलावा आंवला, सागौन, पीपल, खिन्नी एवं अन्य विभिन्न प्रकार की पत्तियों, फलों आदि को खाकर फसल को नष्ट कर देती हैं। अमरूद एवं अन्य नर्सरी के पौधों आदि में भी सूड़ी का अधिक प्रकोप देखा जा रहा है। नर्सरी के पौधों में पत्तियों के साथ-साथ सूड़ी पौधोें के शीर्ष भाग को काट देती है, जिससे शीर्ष भाग लटककर मुर्झा जाता है।

उद्यान विभाग द्वारा बागवान किसानों को सलाह दी गयी है कि इस कीट के प्रकोप से बचाव के लिए कीटनाशक का छिड़काव करें। फलदार आम के बागों में चार ग्राम प्रति लीटर की दर से कार्बारिल (200 ली0 क्षमता वाले टैंकर में 800 मिली ग्राम) दवा अथवा 2 मिली लीटर प्रति लीटर की दर से क्वीनालफास (2000 ली0 क्षमता वाले टैंकर में 4 लीटर) दवा का उपयोग करें। इसी प्रकार आम, अमरूद, आँवला आदि नर्सरी के पौधों को कीट से बचाव हेतु लैमिडासाइलोथ्रिन दवा का उपयोग किया जाय। यह 1 मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी की दर से (2000 ली0 क्षमता वाले टैंकर में 2 लीटर दवा डालें) दूसरी दवा प्रोफेनोफास का बागवान उपयोग कर सकते हैं। इस दवा को 1 या 1.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी की दर से (2000 ली0 क्षमता वाले टैंकर में 2-3 लीटर) दवा का छिड़काव करके इस प्रकार के कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

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