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मुद्रा योजना लाभा‍र्थियों के साथ संवाद के अवसर पर संबोधित करते हुए: पीएम मोदी

देश-विदेशव्यापार

नई दिल्लीः मेरा यह सौभाग्य है कि जो योजना मेरे हृदय के बेहद क़रीब है  उस योजना के कर्मयोगियों से, उद्ययमशील युवाओं से,  परंपरा के बाहर निकली बहनो से बातचीत करने का आज मुझे अवसर मिला है। आप वे लोग है जो बँधे – बँधाए रास्तों पर चलने के बजाय ख़ुद के रास्ते  खुद तय करते है, अपने साहस और इच्छाशक्ति से रास्ते तैयार करते है। देश की समृद्धि और समाज की ख़ुशहाली में आप सब का बहुत बड़ा योगदान है।

आज मेरे साथ-साथ पूरा देश आप सब के इस साहस का,  इस निर्णय का, इस initiative का, आपकी इस यात्रा के संस्मरण सुनने के लिए इस विडीओ कॉन्फ़्रेन्स के माध्यम से आप सब के साथ जुड़ा हुआ है।  अभी पिछले महीने ही प्रधानमंत्री आवास पर मुझे मुद्रा योजना के लाभार्थियों के साथ कुछ समय बिताने का अवसर मिला था। उनके अनुभव, उनका संघर्ष, उनकी तरक़्क़ी की कहानीयाँ संतोष भी देती है और मन को गर्व से प्रफुल्लित भी करती  है। उसी दिन मैंने तय कर लिया था कि कभी- कभी मौका अगर पढ़ जाये तो देश भर के मुद्रा के लाभार्थियो से बात करने का अवसर मैं ढूंढता रहूँगा देश भर के मुद्रा के लाभार्थियो से बातचीत करूँगा, गप्पें,  गोष्ठी करूँगा । और आज Technology के माध्यम से आपका भी समय बच गया, मेरा भी समय बच गया, फिर भी हमारे बीच वही बंधन बंध गया, वही प्यार भरा रिश्ता जुड़ गया । आपके अनुभव आपकी भावनाये सीधे-सीधे मुझे सुनने को मिल रही है, बीच में किसी  व्यवस्था की जरुरत नहीं ।

देश की अर्थव्यवस्था की मज़बूती में आप जैसे उद्यमियों का महत्वपूर्ण योगदान है लेकिन पहले उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, उनके बारे में कभी नहीं सोचा गया । आपको मालूम है आज से 25-30 साल पहले political benefit के लिए लोन मेले चलते थे और जो राजनितिक उसूल रखने वाले लोग थे उनके चेले-चपाटे, ठेकेदार, वोट बैंक की राजनीति, ये बैंको से रुपये ले जाते थे ।  खबरें भी बहुत छपती थी कितना बैंक लोन दिया गया ।   बाद में क्या हुआ किसी ने पूछा ही नहीं ।  हमने न लोन मेले किये न बिचौलियों को जगह दी । हमने देश के नौजवान, देश की माताएं-बहनें  जो खुद के  इनिशिएटिव से कुछ करना चाहती है, खुद बैंक के दफ्तर में जा कर बात करना चाहती है, आप अपनी बात रख सकती है, मुद्रा योजना एक ऐसा प्रोडक्ट तैयार किया जो इच्छा रखने वाले,  कुछ करने का इरादा रखने वाले देशवासियो के लिए एक बहुत बड़ा अवसर बन गया  ।  हमने हमारे छोटे उद्यमियों पर भरोसा किया, उनके business skills पर भरोसा किया।  मुद्रा योजना के तहत उन्हें loan दिया गया ताकि वे अपना business खोल सकें, उसका विस्तार कर सकें।  मुद्रा योजना से न केवल स्व-रोजगार के अवसर बने बल्कि आज यह जॉब मल्टीप्लायर का भी काम कर रही है। 

आज़ादी के बाद से ही हमारे देश में लाइसेंस राज की एक बड़ी बीमारी देखी गई है। लोन उसको मिलता था, जिसकी पहचान होती थी; काम उसी का होता था जिसका नाम होता था। कहीं न कहीं इस प्रथा ने गरीब को सिस्टम से बाहर ही खड़े रखा क्योंकि न उसके पास बड़ा नाम था और न ही कोई अप्रोच ।  यह एक बड़ा कारण था कि हजारों-लाखों छोटे उद्यमी इतने वर्षों से अपनी काबिलियत के हिसाब से या तो अपना व्यापार ही नहीं शुरू कर पाते थे या फ़िर  उसका विस्तार नहीं कर पाते थे।  आर्थिक मदद के लिए साहूकारों के चंगुल में ही फंसे कर रह जाते थे।

इस देश में एक ऐसा समय था जब खुद वित्त मंत्री फोन कर के बड़े उद्योगपतियों को लोन दिलवाते थे और दूसरी तरफ एक छोटा उद्यमी साहूकारों को 30-40 प्रतिशत ब्याज देने के चक्कर में कुछ ऐसे फंस जाता था कि वह पूरी जिंदगी बाहर नहीं निकल पाता था।  इस vicious cycle को कभी तो टूटना था,  किसी को तो इसे तोड़ना ही था, हमने इस दिशा में प्रयास किया और हम इसमें सफल रहे हैं। इस vicious cycle को हम तोड़ रहे हैं…

भरोसे की, विश्वास की ताकत से। सरकार का गरीब पर विश्वास, गरीब के सपनों पर विश्वास, गरीब की मेहनत पर विश्वास। 

अगर युवाओं को दशकों पहले मुद्रा जैसी योजना मिल जाती, तो मुझे पूरा विश्वास है कि शहरों की और पलायन की समस्या भी इतनी विकराल नहीं होती। बिना बैंक गारंटी कर्ज मिलने पर, कम ब्याज दरों पर कर्ज मिलने पर युवा अपने गांव या शहर में रहते हुए ही अपने दम पर रोजगार करते।  आज गरीब से गरीब व्यक्ति को बिना किसी collateral के  मुद्रा लोन मिल रहा है। आज एक सामान्य जन भी, बिना किसी खास नाम और पहचान वाला व्यक्ति भी मुद्रा लोन की मदद से उद्यमी बन सकता हैं।  और आज इसकी भी जरूरत नहीं है कि आपका कोई मित्र या रिश्तेदार सरकार में ही हो।आज देश में हुनर की कोई कमी नहीं है। हर किसी के पास, चाहे वह किसी क्षेत्र में हो, किसी भी वर्ग से जुड़ा हो, उसके पास कोई न कोई विशेष हुनर है। जरूरत है, उस हुनर को पहचान देने की, उसे प्रोत्साहन देने की। मुद्रा योजना से लोगों, खासकर हमारे युवाओं के इसी हुनर को बल मिल रहा है। 

जब हुनर को प्रोत्साहन मिलता है, तो उससे हुनर और खिलता है, जीवन में बदलाव आता है। मान लीजिए, किसी के पास कपड़ों में कढ़ाई करने का हुनर था, उसने मुद्रा योजना के तहत लोन लेकर कपड़ों में कढ़ाई करने का बिजनेस शुरू किया।  धीरे – धीरे वह डिज़ाइनर कपड़ों का काम करने लगेगा। किसी को अपना हैंडलूम का बिजनेस शुरू करने में मदद मिली।  मुद्रा योजना ने एक तरह से देश के सामान्य व्यक्ति के हुनर को निखारने का काम किया है, उस हुनर को पहचान दिलाने और लोगों को सशक्त बनाने का काम किया है। मुद्रा योजना के तहत लाभ मुद्रा योजना के अंतर्गत अब तक कुल 12 करोड़ लोन के माध्यम से पौने 6 लाख करोड़ की राशि दी गई है।

कई बार ऐसा होता है कि सरकार के पास योजनाओं के लिए फंड होता है लेकिन उसका पूरा उपयोग नहीं हो पाता है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मुद्रा एक ऐसी योजना है जिसमें लक्ष्य से अधिक लोन दिए गए हैं। इसमें भी 28 प्रतिशत यानि सवा तीन करोड़ से ज्यादा ऋण ऐसे लोगों को दिए गए है जिन्होंने पहली बार अपना कोई कारोबार शुरु किया है। ये वो लोग हैं जो एक तरह से बेरोजगारी से निकलकर रोजगार पैदा करने की स्थिति में आ गए। सबसे खुशी की बात यह है कि इसमें 74 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं यानि 9 करोड़ से ज्यादा लोन सिर्फ महिलाओं को दिए गए है। जब महिला आगे बढ़ती है, आर्थिक गतिविधि का केंद्र बनती है तो पूरे परिवार का आत्मविश्वास बढ़ता है, सोच ही बदल जाती है,  समाज सशक्त होता है । इसी तरह मुद्रा योजना के तहत 55 प्रतिशत लोन पिछड़े समाज के व्यक्तियों को दिए गए है यानि कुल 12 करोड़ loans में से 55 प्रतिशत loan SC/ST और OBC समाज के उद्यमियों को दिए गए है। दशकों से हम गरीबी के नाम पर नारे सुनते आए हैं, गरीबों के उत्थान की बातें सुनी हैं लेकिन मुद्रा योजना एक ऐसी योजना है जो बिना किसी भेदभाव के पिछड़े समाज को आर्थिक एवं सामाजिक बल देने का, उन्हें सशक्त करने का काम कर रही है। 

जो कारवां बैंकों के साथ शुरू हुआ था, उसमें धीरे-धीरे आज अनेकों संस्थान जुड़ते चले गए हैं। आज सिर्फ 110 बैंक ही नहीं, इनके अलावा 72 Micro financial Institutions (MFI) और 9 Non-Banking Financial Companies (NBFCs) भी  मुद्रा लोन दे रहे हैं।   बैंकों ने भी मुद्रा लोन लेने की प्रक्रिया को और आसान बनाने का काम भी किया है। Documents जुटाना तनाव ना बने, इसलिए कागजी प्रक्रिया को भी सरल रखा गया। Self Employed होना आज एक गर्व की बात है और इसके प्रेरणास्त्रोत आप सब लोग हैं।

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