23 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार का मीडिया को संबोधन

देश-विदेश

नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई से जुड़ी तैयारियों के तहत 19 मार्च, 2020 को एक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया था। नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर विनोद पॉल और भारत सरकार के सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन की अगुआई में बनी यह समिति विज्ञान एजेंसियों, वैज्ञानिकों तथा नियामकीय संस्थाओं के बीच समन्वय और सार्स-सीओवी-2 वायरस और कोविड-19 महामारी से संबंधित शोध एवं विकास के कार्यान्वयन की दिशा में तेजी से फैसले लेने के लिए जवाबदेह है।

समिति के अन्य सदस्यों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी (डीएसटी) सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) में सचिव, वैज्ञानिक और औद्योगिकी अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) सचिव, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव, दूरसंचार विभाग (डीओटी) सचिव, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) सचिव, आईसीएमआर सचिव, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) सचिव, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) और भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) शामिल हैं।

समिति ने वैज्ञानिक समाधान के कार्यान्वयन की दिशा में तेजी से काम किया है। कोविड-19 के लिए परीक्षण सुविधाओं में बढ़ोतरी की अहमियत को देखते हुए ये कदम उठाए गए हैं: डीएसटी, डीबीटी, सीएसआईआर, डीएई, डीआरडीओ और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के अंतर्गत आने वाले संस्थानों को मानकीकृत और सख्त प्रोटोकॉल के माध्यम से स्व-मूल्यांकन और अनुसंधान तथा परीक्षण के लिए अपनी प्रयोगशालाएं तैयार करने की अनुमति देने को एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया गया। ये परीक्षण स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) और आईसीएमआर द्वारा तय प्राथमिकताओं के अनुरूप होंगे। अनुसंधान भी अल्पकालिक और मध्यकालिक नतीजे देने वाले होंगे।

आईसीएमआर द्वारा डीएसटी- श्री चित्रा चिकित्सा विज्ञान संस्थान, तिरुवनंतपुरम, डीबीटी- राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केंद्र, तिरुवनंतपुरम, सीएसआईआर- कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (सीसीएमबी), हैदराबाद, डीएई, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई को पहले ही परीक्षण के लिए अधिसूचित किया जा चुका है। इसके अलावा परीक्षण के लिए बुनियादी ढांचा/ क्षमता रखने वाली अन्य प्रयोगशालाएं तैयार की जा रही हैं। बड़ी संख्या में मरीजों के परीक्षण के लिए वैज्ञानिक तैयारियां की जा रही हैं। परीक्षण से व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर एकांतवास और क्वारंटाइन के लिए फैसले लेना संभव होगा।

सरकार व्यापक स्तर पर कोविड-19 परीक्षण और सीरोलॉजी जांच के लिए निजी क्षेत्र के साथ मिलकर सक्रिय रूप से काम कर रही है। इससे वायरस के प्रसार का प्रबंधन और नियंत्रण की निगरानी तथा चिकित्सा अनुसंधान संभव होगा।

इस क्रम में विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा समर्थित वैज्ञानिक संस्थान साथ आ गए हैं और निम्नलिखित उद्देश्यों से कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं :

1.  दवाओं के उद्देश्य पुनः तय करने और दवाओं के पुनर्उद्देश्यीकरण पर बने कार्यबल ने इससे संबंधित फैसले लेने के लिए कई दवाओं के बारे में व्यापक जानकारियां जुटाना शुरू कर दिया है। नियामकीय/कानूनी प्रक्रियाओं पर भी काम किया जा रहा है।

2. बीमारी के प्रसार पर नजर रखने के लिए गणितीय मॉडल और कोविड-19 के लिए जरूरी चिकित्सकीय उपकरण और सहायक जरूरतों का अनुमान लगाने के लिए मॉडल तय करने।

3. भारत में परीक्षण किट वेंटीलेटर का विनिर्माण।

‘एमओएचएफडब्ल्यू द्वारा सार्स-कोव-2 कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए मास्क का चित्र : घर में बने मास्क पर एक नियमावली’ भी साथ में संलग्न कर दी गई है।

देखने के लिए क्लिक करें…

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More