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9वीं गोरखा राइफल्‍स के सौ वर्ष के बुजुर्ग हवलदार को सम्‍मानित किया गया

देश-विदेश

नई दिल्ली: 9वीं गोरखा राइफल्स के सबसे बुजुर्ग जीवित हवलदार देवी लाल खत्री संख्‍या 5832088 (1/9 जीआर और 3/9 जीआर) को आज लेफ्टिनेंट जनरल ए. के. भट्ट, यूआईएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम सैन्‍य सचिव एवं कर्नल 9 वीं गोरखा राइफल्स तथा मेजर जनरल डीए चतुर्वेदी  पीवीएसएम, एवीएसएम, एसएम, एडीजी टीए और कर्नल 3 गोरखा राइफल्स ने सम्मानित किया। उन्‍हें यह सम्‍मान 07 अक्‍टूबर, 2019 को बीरपुर, देहरादून में तीसरी और नौवीं गोरखा राइफल्‍स के बुजुर्ग सैनिकों के लिए आयोजित वार्षिक बाराखाना के अवसर पर प्रदान किया गया। देहरादून तीसरी और नौवीं गोरखा रेजिमेंट का परंपरागत घर है क्‍योंकि इन रेजिमेंटों का 1932 से 1975 तक बीरपुर ही केंद्र रहा है। दोनों रेजिमेंटों के अनेक गोरखा सिपाही देहरादून में ही बस गए है। दशहरे के अवसर पर तीसरी और नौवीं गोरखा यूनिट बाराखाना के लिए ऐसे बुजुर्ग सैनिकों को आमंत्रित करती हैं।

  1. हवलदार देवी लाल खत्री  30 नवंबर, 1940 को  बीरपुर में 1/9 जीआर में भर्ती हुए थे। बाद में उन्‍हें 3/9 जीआर में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्होंने 1958 में सेवानिवृत्त होने तक सेवा की। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में बर्मा के मोर्चे पर सक्रिय कार्रवाई देखी है। श्री खत्री स्‍वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1958 तक जम्‍मू-कश्‍मीर, नगालैंड और असम में किए गए विभिन्‍न अभियानों का हिस्‍सा रहे हैं। उन्‍हें दो बर्मा स्‍टार्स और जे एंड के 1948 पदकों से नवाजा गया था। श्री देवी लाल खत्री को विशिष्‍ट गोरखा सिपाही के रूप में जाना जाता है।
  2. हवलदार देवी लाल खत्री ने देहरादून में सर्वे ऑफ इंडिया के साथ अपने केरियर की दूसरी पारी भी शुरू की थी। वे अनुशासित दिनचर्या के साथ सक्रिय जीवन शैली का आनंद उठा रहे हैं। वे अपने परिवार के साथ नया गांव, हाथीबडकला, देहरादून में रहते हैं।

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