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01 अप्रैल, 2018 से ई-वे बिल प्रणाली का सहज शुभारंभ

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नई दिल्लीः जीएसटी परिषद के निर्णय के मुताबिक वस्‍तुओं की समस्‍त अंतर-राज्‍य ढुलाई के लिए 01 अप्रैल, 2018 से ई-वे बिल प्रणाली अनिवार्य हो गई है। जीएसटी व्‍यवस्‍था के तहत राष्‍ट्रव्‍यापी ई-वे बिल व्‍यवस्‍था का क्रियान्‍वयन राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केन्‍द्र (एनआईसी) के सहयोग से जीएसटीएन द्वारा किया जा रहा है और इसका संचालन पोर्टल यथा https://ewaybillgst.gov.in पर हो रहा है।

      पहले दिन ई-वे बिल पोर्टल पर कुल मिलाकर 2.59 लाख ई-वे बिलों का सृजन हुआ। आज अपराह्न दो बजे 2,04,563 ई-वे बिल सृजित हुए हैं। अब तक कुल मिलाकर 11,18,292 करदाताओं का पंजीकर ई-वे बिल पोर्टल पर हुआ है। इसके अलावा 20,057 ट्रांसपोर्टरों ने ई-वे बिल पोर्टल पर स्‍वयं को नामांकित किया है।

      करदाताओं और ट्रांसपोर्टरों की सहायता करने के साथ-साथ उनके प्रश्‍नों का उत्‍तर देने के लिए जीएसटी की केन्‍द्रीय हेल्‍पडेस्‍क ने उन 100 एजेंटों के साथ मिलकर विशेष व्‍यवस्‍था की है, जो विशेष कर ई-वे बिलों से जुड़े प्रश्‍नों का उत्‍तर देते हैं। इसके अलावा राज्‍यों के कर प्राधिकरणों ने स्‍थानीय भाषा में हेल्‍पडेस्‍क का शुभारंभ किया है, जिसका विवरण जीएसटी के पोर्टल पर उपलब्‍ध है। केन्‍द्र के साथ-साथ राज्‍यों के कर प्राधिकरणों ने भी ई-वे बिलों के लिए प्रमुख अधिकारियों की नियुक्ति की है। प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्‍नों (एफएक्‍यू) को उपयोगकर्ताओं (यूजर) के मार्गदर्शन के लिए पोर्टल पर उपलब्‍ध कराया गया है।

      विभिन्‍न विधियों (मोड) जैसे कि वेब (ऑनलाइन), एंड्रायड एप, एसएमएस, बल्‍क अपलोड टूल और एपीआई आधारित साइट-से-साइट के एकीकरण इत्‍यादि के जरिए ई-वे बिल का सृजन हो सकता है। विभिन्‍न तरह की खेपों को ढोने वाले वाहनों के लिए समेकित ई-वे बिल को ट्रांसपोर्टरों द्वारा सृजित किया जा सकता है।

      ट्रांसपोर्टर अनेक उप-उपयोगकर्ताओं (सब-यूजर) को सृजित कर सकते हैं और उन्‍हें उनकी भूमिका बता सकते हैं। इस तरह बड़े ट्रांसपोर्टर अपने विभिन्‍न कार्यालयों को सब-यूजर के रूप में घोषित कर सकते हैं। ई-वे बिल को उस व्‍यक्ति द्वारा 24 घंटे के अंदर निरस्‍त किए जाने का प्रावधान किया गया है, जिसने ई-वे बिल सृजित किया है। प्राप्‍तकर्ता भी ई-वे बिल की वैधता अवधि के भीतर अथवा माल प्रेषक द्वारा ई-वे बिल के सृजन के 72 घंटे के भीतर, इसमें से जो भी पहले हो, ई-वे बिल को खारिज कर सकता है।

सृजित ई-वे बिलों का राज्‍यवार विवरण

सृजित ई-वे बिलों की संख्‍या
01-04-2018 02-04-2018 (अपराह्न 2 बजे तक)
राज्‍य का नाम ई-वे बिलों की संख्‍या ई-वे बिलों की संख्‍या
जम्‍मू-कश्‍मीर 384 268
हिमाचल प्रदेश 2838 1716
पंजाब 9342 2028
चंडीगढ़ 1319 1000
उत्‍तराखंड 6622 3016
हरियाणा 21131 14985
दिल्‍ली 15376 11731
राजस्‍थान 20937 10822
उत्‍तर प्रदेश 16891 8471
बिहार 1598 697
सिक्किम 14 79
अरुणाचल प्रदेश 5 15
नगालैंड 14 13
मणिपुर 6 0
मिजोरम 0 7
त्रिपुरा 36 15
मेघालय 689 445
असम 1433 956
पश्चिम बंगाल 8834 5207
झारखंड 3539 1488
ओडिशा 2619 1265
छत्‍तीसगढ़ 2864 1490
मध्‍य प्रदेश 5971 2573
गुजरात 37646 40966
दमन और दीव 2420 1326
दादर एवं नागर हवेली 4079 1303
महाराष्‍ट्र 32828 22823
कर्नाटक 29558 47185
गोवा 298 311
लक्षद्वीप 0 0
केरल 2611 1329
तमिलनाडु 13944 13381
पुडुचेरी 731 671
अंडमान एवं निकोबार 2 0
तेलंगाना 6475 3838
आंध्र प्रदेश 6430 3143
         कुल 259484 204563

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