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संसद के केंद्रीय कक्ष से वस्तु और सेवा कर के शुभारम्‍भ पर वित्‍त मंत्री के संबोधन का हिंदी अनुवाद

संसद के केंद्रीय कक्ष से वस्तु और सेवा कर के शुभारम्‍भ पर वित्‍त मंत्री के संबोधन का हिंदी अनुवाद
देश-विदेशव्यापार

महामहिम माननीय राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी जी, माननीय उप राष्‍ट्रपति श्री हामिद अंसारी जी, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी, लोकसभा की माननीय अध्‍यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन जी, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री और देश के वरिष्‍ठ नेता श्री एच. डी. देवीगौड़ा जी, मंत्री परिषद के सभी सदस्‍य, राज्‍य सरकारों के मंत्रिगण, अधिकारी, सांसद तथा इस ऐतिहासिक अवसर पर एकत्रित अतिथिगण।

हम आज यहां, अपने देश की यात्रा के महत्‍वपूर्ण क्षण के लिए एकत्रित हुए हैं। हम इतिहास बनाने की प्रक्रिया में हैं। मध्‍य रात्रि को वस्‍तु और सेवा कर लांच होने के साथ हम अपने इतिहास का सबसे बड़ा और सर्वाधिक महत्‍वकांक्षी कर तथा आर्थिक सुधार कार्यक्रम लांच करेंगे। जीएसटी भले ही गंतव्‍य कर हो, लेकिन भारत के लिए एक नई यात्रा की शुरूआत है। एक ऐसी यात्रा है, जहां भारत अपने आर्थिक क्षितिज और गौरवशाली राजनीतिक विज़न को विस्‍तार देने की असीम संभावनाओं के लिए जगेगा। पुराना भारत आर्थिक दृष्टि से खण्डित था, नया भारत एक देश के लिए एक कर, एक बाजार बनाएगा। एक ऐसा भारत होगा, जहां केन्‍द्र और राज्‍य साझी समृद्धि के समान लक्ष्‍य के लिए एक साथ सहयोगी और सदभावपूर्ण भाव से काम करेंगे। ऐसा भारत होगा, जो नई नियति लिखेगा।

जीएसटी पूरे देश के लिए महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है। जीएसटी काउंसिल के सहमति आधारित कार्य में संविधान संशोधन के लिए सर्वसम्‍मत समर्थन यह दिखाता है कि भारत संकुचित राजनीति से ऊपर उठ सकता है और व्‍यापक राष्‍ट्रीय हित के लिए एक स्‍वर में बोल सकता है। संविधान संशोधन तथा जीएसटी परिषद में गुणवत्‍ता संपन्‍न और परिपक्‍व बहस इस बात का परिचायक है कि भारत सामूहिक रूप से सोच सकता है और व्‍यापक उद्देश्‍य के लिए परिपक्‍कता के साथ कार्य कर सकता है।

संविधान कहता है कि भारत राज्‍यों का संघ है। संघ तभी शक्तिशाली होगा, जब राज्‍य और केन्‍द्र दोनों मजबूत हों। सहयोगी संघवाद की यही वास्‍तविक अर्थ है। जीएसटी बनाते हुए न तो केन्‍द्र ने और न ही राज्‍यों ने अपनी संप्रभुता छोड़ी। उन्‍होंने अपनी संप्रभुता को प्रत्‍यक्ष कराधान पर संयुक्‍त निर्णय करने के लिए आगे बढ़ाया है।

केन्द्र, विधानसभाओं सहित 29 राज्‍यों और दो संघ शासित प्रदेशों तथा व्‍यापक वैविध्‍यपूर्ण हितों वाले बहुदलीय लोकतंत्र की विशाल और जटिल प्रणाली में हमने संविधान संशोधन लागू किया और भारतीय राजनीति के उत्‍कर्ष को प्रदर्शित करते हुए विशाल कर सुधार को अंजाम दिया। हमने यह कार्य ऐसे समय में किया है, जबकि समूचा विश्‍व धीमी वृद्धि, पृथकतावाद और संरचनात्‍मक सुधारों के अभावों से जूझ रहा है। जीएसटी के माध्‍यम से भारत ने यह दिखा दिया है कि समावेशन, खुलेपन और साहस के साथ इन ताकतों पर काबू पाया जा सकता है। इस कार्य में योगदान देने वाले सभी सांसदों, राज्‍य सरकारों, समस्‍त राजनीतिक दलों, राज्‍यों के वित्‍त मंत्रियों तथा केन्‍द्र एवं राज्‍य सरकारों के हमारे अधिकारियों की समर्पित टीम की व्‍यापक सराहना की जानी चाहिए और इनका आभार प्रकट करना चाहिए।

राष्‍ट्रपति जी ये जो यात्रा थी आप इसके सबसे प्रमुख गवाह हैं कि लगभग 15 वर्ष से पहले आरंभ हुई थी। NDA-1 सरकार ने एक स‍मिति की रचना की थी जिसके अध्‍यक्ष श्री विजय केलकर इस सभागार में मौजूद है। उन्‍होंने सन 2003 में एक एतिहासिक रिपोर्ट दी थी। कि इस देश के अंदर एक Value Based Taxation GST के नाम से आरंभ किया गया। 2006 के बजट में UPA सरकार ने घोषणा की थी कि 2010 तक इसको लागू करने का प्रयास होगा और 2011 के बजट में जब महा‍महिम राष्‍ट्रपति जी ने उस वक्‍त वित्त मंत्री की हैसियत में बजट पेश किया था तो उसके तुरंत बाद आपने संविधान संशोधन भी देश के सामने रखा था। जिसके माध्‍यम से राज्‍य और केंद्र अपने अधिकारों को एकत्रित करके Goods and Service Tax की रचना करें। आपकी उस Constitution.. संविधान संशोधन के बाद Parliament की Standing Committee, उसने बहुत योगदान लायक सुझाव दिए थे। यशवंत सिन्‍हा जी आज मौजूद है इस सभागार में, वो उसके अध्‍यक्ष थे और उसका सबसे महत्‍वपूर्ण सिफारिशों में से एक थी कि GST Council की रचना की जाए जिसमें एक तिहाई वोट केंद्र का होगा, दो तिहाई वोट राज्‍यों के होंगे लेकिन निर्णय करने के लिए तीन चौथाई बहुमत की आवश्‍यकता है। Standing Committee के उस निर्णय का ये असर था कि केंद्र और राज्‍यों को स‍ंवैधानिक दृष्टि से इकट्ठा काम करने के लिए मजबूर किया गया और GST Council में जो एक प्रकार से consensus बना उसमें इसका एक बहुत बड़ा योगदान Standing Committee के उस सुझाव का था।

एक parallel रचना राज्‍यों के वित्‍त मंत्रियों की थी, एक Empowered Committee थी और समय-समय पर हर सरकार ने एक परंपरा बनाई कि किसी विरोधी पक्ष के दल की जिस राज्‍य की सरकार हो, उसका कोई वित्‍त मंत्री उस Empowered Committee का अध्‍यक्ष रहे। पहले अध्‍यक्ष श्री डॉ. असीम दास गुप्‍ता हमारे बीच में हैं और बहुत वर्षो तक देश में उन्‍होंने consensus बनाने का एक बहुत बड़ा काम किया। मुझे स्‍वयं उनका आभार इसलिए भी व्‍यक्‍त करना है कि मुझे पहली शिक्षा GST पे उनसे ही मिली थी, एक बैठक में।

प्रोफेसर दास गुप्‍ता के बाद जम्‍मू -कश्‍मीर के श्री अब्‍दुल रहीम राथर, श्री सुशील मोदी उसके बाद केरल के श्री के. एम. मणि, I think Mr. Mani is also here और फिर बंगाल के डॉ. अमित मित्रा, ये एक राज्‍यों के बीच में आम राय बनाते रहे। और इस पूरे इतिहास के बाद इस देश ने कि राजनीति ने ऐसी एक maturity का एक उदाहरण पेश किया जिसका सबसे बड़ा सबूत ये था कि संविधान संशोधन संसद के दोनों सदनों में सर्वदतमत से pass हुआ जिससे GST Council की रचना हुई। उस रचना के बाद Council की पहली जिम्‍मेवारी थी कि केंद्र के लिए और राज्‍यों के लिए कानून बनाए। वो सभी कानून पांच केंद्र के लिए एक सभी राज्‍यों के लिए सर्वसम्‍मति से बनें। संसद ने उसे सर्वसम्मति से पास किया, राज्यों ने एकमत से पास किया और आज वो एक वास्तविक्ता के रूप में हमारे सामने आया है। GST Council 18 बार मिल चुकी है। कुछ बैठकें सुबह से शाम तक और दो-दो तीन-तीन दिन चलती हैं और एक भी निर्णय पर वोट करवाने की आज तक आवश्यकता नहीं पड़ी। हर एक निर्णय सर्वसम्मति से हुआ जिसमें अलग अलग राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि थे, अलग अलग राज्य सरकारों के प्रतिनिधि थे, और एक मत से हर निर्णय उसमें हुआ अभी तक 24 Regulations बन चुके हैं। राज्य और केन्द्र के अधिकार क्षेत्र के बारे में बंटवारा क्या रहेगा उसमें निर्णय हो चुका है। 1211 का commodities हैं, जिस पर Taxation तय करना था। बिना मतभेद के, बिना किसी Dissent के एक एक Commodity का Tax सर्वमत से तय हुआ और उसके पीछे भी दो सिद्धांत थे कि एक आम और गरीब आदमी पर ज्यादा बोझ न पड़े। Revenue Neutral रहे कि जितना राजस्व राज्य और केन्द्र इक्ट्ठा करते हैं कम से कम वो बरकरार रहे और जो मौजूदा Taxation ढांचा है उससे बहुत अधिक किसी के ऊपर बोझ न पड़े। Principle of Equivalence, Revenue Neutrality and no unnecessary burden on weaker sections. और इसका स्वाभाविक एक लाभ हमारे देश को होने वाला है।

आज की जो व्यवस्था थी, उस व्यवस्था में राज्यों और केन्द्र को मिलाकर 17 Transaction Tax हैं- Seventeen, 23 cess हैं, उन सबको समाप्‍त कर दिया गया है और उनके स्‍थान पर केवल एक Tax रहेगा। उस हर Tax के लिए अलग return जाता था, आज एक return जाएगा। हर एक assesse को अलग-अलग taxation अधिकारियों के साथ interface करना पड़ता था। आज केवल उसको अपने software के साथ एक return के माध्‍यम से interface करना पड़ेगा और केवल software के ऊपर registration ले लेना और उस registration के बाद हर महीने की दस तारीख तक केवल एक form भरना computer पर कि मेरी पिछले महीने की transaction क्‍या है, उसमें डाल देना। और उसके माध्‍यम से Tax के ऊपर Tax न लगना, ये इसकी एक विशेषता है।

पूरे देश के अंदर अलग-अलग राज्‍यों में अलग-अलग रेट और चुंगी-नाकों के ऊपर ट्रको की भीड़ वो समाप्‍त होगी और एक प्रकार से single flow good and services का पूरे देश के अंदर उसके बाद होगा।

और इसका एक और लाभ है कि जो एक बार आपने Tax दे दिया inputs के ऊपर output के स्‍तर पर इसका आपको लाभ मिलने लगेगा। मंहगाई के ऊपर भी लगाम लगेगी। टैक्‍स avoidance कठिन होगा, रेट पहले की तुलना में कम होंगे। देश की GDP को लाभ मिलेगा और जो अधिक राज्‍यों को और केंद्र को साधन मिलेंगे वो इस देश की गरीब की सेवा करने के लिए उनको एक अवसर उपलब्‍ध होगा। राज्‍य ने, केंद्र ने, सभी राजनीतिेक दलों ने, सभी सांसदों ने सभी विधानसभाओं के सदस्‍यों ने, सभी राज्‍य सरकारों ने एकमत से इसमें कार्य किया है। यहां विशेष रूप से मैं सबका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

GST Council के जो सदस्य हैं, राज्यों के वित्तमंत्री वो सुबह से शाम तक कई दिनों तक बैठे रहे इन निर्णयों को लेने के लिए और एक लगन के साथ उनकी सहायता में जो अधिकारी राज्यों के और केन्द्र के रात रात भर लगे रहे, जो देश को बहुतों को उम्मीद नहीं थी कि पहली जुलाई का target meet हो पाएगा। उस target तक पहुंचने का हम लोगों ने आज जब उसके लिये तैयार कर दिया है। मैं विशेष रूप से उन सभी अधिकारियों का बहुत बहुत आभार। और आप सब सांसद जो आए हैं उन सबका बहुत बहुत आभार व्यक्त करते हुए, मैं माननीय प्रधानमंत्री जी से आग्रह करूंगा कि आपके माध्यम से आपको और पूरे देश को वो संबोधित करें। धन्यवाद।

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